
Google ने अपना Doodle रूसी फिल्म डायरेक्टर थियोरिस्ट सर्गेई मिखाईलोविच आईजनस्टाइन को समर्पित किया है.
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120वीं जयंती पर गूगल ने किया याद
समर्पित किया अपना डूडल
रूसी फिल्म डायरेक्टर हैं
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साल 1920 में सर्गेई मास्को गए और इस तरह थिएटर में उनका करियर शुरू हो गया. वे उनके लिए बतौर डिजाइनर काम करते थे. 1923 में सर्गेई ने बतौर थियोरिस्ट करियर की शुरुआत की और उन्होंने ‘द मोंटाज ऑफ एट्रेक्संस’ की रचना की. सर्गेई मोंटाज (फिल्म एडिटिंग का खास इस्तेमाल) के इस्तेमाल करने के माहिर थे. इसी साल सर्गेई ने अपनी पहली फिल्म ग्लुमोव्ज डायरी भी बनाई. सर्गेई की पहली फीचर फिल्म ‘स्ट्राइक’ थी. लेकिन उन्हें दुनिया भर में पहचान ‘द बैटलशिप पोटमकिन (1925)’ से मिली. यही नहीं, 1917 की अक्टूबर क्रांति पर उन्होंने ‘अक्टूबर’ फिल्म भी डायरेक्ट की. उसके बाद बाद उन्होंने ‘द जनरल लाइन’ फिल्म बनाई. सर्गेई का फोकस इन फिल्मों में कैमरे के एंगल, लोगों की हरकतों और मोंटाज पर रहा, औऱ इस वजह से वे सोवियत फिल्म कम्युनिटी के निशाने पर आ गए. जिसके लिए उन्हें अपनी सफाई के लिए कई पब्लिक आर्टिकल्स भी लिखने पड़े. 1926 में उन्हें स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर सिनेमा का प्रोफेसर बना दिया गया.
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वे अपने दोस्त ग्रेगरी अलेक्सांद्रोव और एडवर्ड टिसे के साथ 1929 में हॉलीवुड की सैर करने पहुंचे तो वहां उन्होंने पैरामाउंट के साथ एक बड़े कॉन्ट्रेक्ट को साइन किया. लेकिन एक समय में कई प्रोजेक्ट करने की वजह से 1930 में इस कॉन्ट्रेक्ट को रद्द करना पड़ा. 1932 में वे ‘क्यू वीवा मेक्सिको!’ बनाने के लिए अमेरिका गए तो उन्हें वर्क पर्मिट नहीं मिला. वे मेक्सिको चले गए लेकिन अमिरका ने उन्हें दोबारा प्रवेश का परमिट देने से मना कर दिया. उनकी परेशानियां यहीं खत्म नहीं हुई. फाइनेंसर ने शूटिंग रोक दी और अनकट फिल्म अपने पास रख ली. इस वजह से निराश होकर सर्गेई को वापस सोवियत लौटना पड़ा.

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उन्होंने 1933 में मास्को फिल्म इंस्टीट्यूट में पढ़ाना शुरू कर दिया. लेकिन 1946 में ‘इवान द टेरिबल’ को खत्म करने के बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ गया. 11 फरवरी 1948 को मॉस्को में उनका देहांत हो गया.
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