Google ने अपना Doodle रूसी फिल्म डायरेक्टर थियोरिस्ट सर्गेई मिखाईलोविच आईजनस्टाइन को समर्पित किया है.
नई दिल्ली:
Sergei Eisenstein को Father of Montage भी कहा जाता है. Google ने आज का Doodle सोवियत (रूस) के फिल्म डायरेक्टर और फिल्म थियोरिस्ट सर्गेई मिखाईलोविच आइजेनस्टाइन को समर्पित किया है. गूगल ने Sergei Eisenstein's 120th birthday शीर्षक से डूडल बनाया है. Sergei Eisenstein का जन्म 1898 को लात्विया में हुआ था. उस समय यह रूसी साम्राज्य का हिस्सा था. Sergei Eisenstein ने सेंट पीटर्सबर्ग के इंस्टीट्यूट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग से आर्किटेक्चर की पढ़ाई की थी. पिता आर्किटेक्ट थे और मां धनी व्यापारी की बेटी थीं. 1918 में सर्गेई ने स्कूल छोड़ दिया और रेड आर्मी का हिस्सा बन गए ताकि बोल्शेविक क्रांति में अपना योगदान कर सकें. हालांकि उनके पिता दूसरे पक्ष के साथ थे. 1920 में सर्गेई का तबाला मिंस्क में हो गया. जहां उनका वास्ता काबुकी थिएटर से पड़ा. इसी बहाने उन्होंने जापानी सीखी. इसी वजह से वे जापान भी घूम आए.
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साल 1920 में सर्गेई मास्को गए और इस तरह थिएटर में उनका करियर शुरू हो गया. वे उनके लिए बतौर डिजाइनर काम करते थे. 1923 में सर्गेई ने बतौर थियोरिस्ट करियर की शुरुआत की और उन्होंने ‘द मोंटाज ऑफ एट्रेक्संस’ की रचना की. सर्गेई मोंटाज (फिल्म एडिटिंग का खास इस्तेमाल) के इस्तेमाल करने के माहिर थे. इसी साल सर्गेई ने अपनी पहली फिल्म ग्लुमोव्ज डायरी भी बनाई. सर्गेई की पहली फीचर फिल्म ‘स्ट्राइक’ थी. लेकिन उन्हें दुनिया भर में पहचान ‘द बैटलशिप पोटमकिन (1925)’ से मिली. यही नहीं, 1917 की अक्टूबर क्रांति पर उन्होंने ‘अक्टूबर’ फिल्म भी डायरेक्ट की. उसके बाद बाद उन्होंने ‘द जनरल लाइन’ फिल्म बनाई. सर्गेई का फोकस इन फिल्मों में कैमरे के एंगल, लोगों की हरकतों और मोंटाज पर रहा, औऱ इस वजह से वे सोवियत फिल्म कम्युनिटी के निशाने पर आ गए. जिसके लिए उन्हें अपनी सफाई के लिए कई पब्लिक आर्टिकल्स भी लिखने पड़े. 1926 में उन्हें स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर सिनेमा का प्रोफेसर बना दिया गया.
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वे अपने दोस्त ग्रेगरी अलेक्सांद्रोव और एडवर्ड टिसे के साथ 1929 में हॉलीवुड की सैर करने पहुंचे तो वहां उन्होंने पैरामाउंट के साथ एक बड़े कॉन्ट्रेक्ट को साइन किया. लेकिन एक समय में कई प्रोजेक्ट करने की वजह से 1930 में इस कॉन्ट्रेक्ट को रद्द करना पड़ा. 1932 में वे ‘क्यू वीवा मेक्सिको!’ बनाने के लिए अमेरिका गए तो उन्हें वर्क पर्मिट नहीं मिला. वे मेक्सिको चले गए लेकिन अमिरका ने उन्हें दोबारा प्रवेश का परमिट देने से मना कर दिया. उनकी परेशानियां यहीं खत्म नहीं हुई. फाइनेंसर ने शूटिंग रोक दी और अनकट फिल्म अपने पास रख ली. इस वजह से निराश होकर सर्गेई को वापस सोवियत लौटना पड़ा.
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उन्होंने 1933 में मास्को फिल्म इंस्टीट्यूट में पढ़ाना शुरू कर दिया. लेकिन 1946 में ‘इवान द टेरिबल’ को खत्म करने के बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ गया. 11 फरवरी 1948 को मॉस्को में उनका देहांत हो गया.
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