Yoga Dose: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में योग तन और मन दोनों को सुकून देने का काम करता है. योग की शुरुआत अगर किसी आसान, शांत और मन को केंद्रित करने वाली मुद्रा से करनी हो, तो 'सुखासन' सबसे बेहतर है. जैसा कि नाम से ही पता चलता है- 'सुख' यानी आराम और खुशी, और 'आसन' का मतलब बैठने की एक खास मुद्रा. यह आसन इतना आसान होता है कि बच्चे हों या बड़े, हर कोई इसे आसानी से कर सकता है. यह योग की शुरुआत करने वालों के लिए सबसे सही आसन है. यह योगासन आपको तनावमुक्त रखने में मदद करता है.
सुखासन करने के फायदे ( Sukhasana Benefits)
आयुष मंत्रालय के अनुसार, सुखासन करने से शरीर में ताकत बढ़ती है और मूड भी अच्छा होता है. यह मन और शरीर दोनों के लिए बहुत फायदेमंद होता है. जब हम इस आसन में बैठते हैं, तो हमारा मन शांत होता है और तनाव कम हो जाता है. साथ ही, शरीर की मांसपेशियां भी आराम महसूस करती हैं. यह आसन हमारी सांसों को सही ढंग से लेने में मदद करता है, जिससे ऊर्जा बढ़ती है और शरीर ताजगी महसूस करता है.
सुखासन से हमारे पेट को भी फायदा होता है. जब हम इस आसन में सीधी कमर के साथ शांत होकर बैठते हैं, तो पेट के अंगों पर हल्का दबाव पड़ता है, जिससे पाचन क्रिया बेहतर होती है. खाना खाने के बाद कुछ देर इस आसन में बैठना पेट की गड़बड़ियों को कम कर सकता है. इस आसन को करने से गैस, अपच जैसी परेशानियों से राहत पाने में मदद मिलती है.
जब हम सुखासन में बैठते हैं, तो हमारे घुटनों और टखनों में थोड़ा सा खिंचाव महसूस होता है. यह खिंचाव शरीर को धीरे-धीरे लचीला बनाता है और मांसपेशियों को मजबूत करता है. इस आसन को करने से जोड़ों की ताकत बढ़ती है और उनका दर्द कम होता है. खास बात यह है कि सुखासन बहुत ही आरामदायक होता है, इसलिए इसे लंबे समय तक किया जा सकता है. रोजाना इसे करने से शरीर का लचीलापन बढ़ता है और साथ ही मन भी शांत रहता है.
सुखासन करने से हमारी पीठ मजबूत होती है. जब हम इस आसन में सीधे बैठते हैं, तो हमारी कमर और रीढ़ की हड्डी सही तरीके से सीधी रहती है, जिससे पीठ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं. इससे पीठ दर्द की समस्या भी कम होती है. साथ ही, मजबूत पीठ होने से हम लंबे समय तक आराम से बैठ पाते हैं और शरीर में संतुलन भी बना रहता है.
सुखासन करने का तरीका
सुखासन करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सीधे बैठ जाएं और अपनी पीठ को सीधा रखें. फिर अपने बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाएं पैर को जांघ के नीचे आराम से रखें. इसके बाद दाएं पैर को भी मोड़कर बाएं पैर की जांघ के नीचे रख दें. अब दोनों हाथों को आराम से घुटनों पर रखें, जैसे ध्यान की मुद्रा होती है. आख़िर में अपनी आंखें बंद कर लें और आराम से सांस लें. सांस पर ध्यान करते हुए इस तरह बैठने से आपका मन शांत होता है और शरीर भी आराम महसूस करता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)