Year Ender 2024: ये 7 घातक बीमारियों ने साल 2024 में लोगों को किया परेशान, जानें इनके लक्षण और बचाव के तरीके

Top 7 Deadliest Diseases Of 2024 : साल 2024 अपने अंतिम पड़ाव पर है जहां कुछ खट्टी तो कुछ मीठी यादें हमने संजोई हैं. इस साल ने बीमारी के मामले में भी लोगों को बड़ी संख्या में अपनी चपेट में लिया. कौनसी हैं वे बीमारियां आइए जानते हैं.

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ये 7 घातक बीमारियों ने साल 2024 में लोगों को किया परेशान.

Top 7 Deadliest Diseases Of 2024 : देश दुनिया में साल 2024 में कई तरह की बीमारियों के चलते जान गवाने वाले मुख्य कारणों को तीन भागों में बांटा जा सकता है. जिसमें सबसे पहले दिल से जुड़ी बीमारियां हैं (जैसे स्ट्रोक, दिल का दौरा), दूसरे नंबर पर श्वसन संक्रमण (निचले श्वसन संक्रमण और क्रोनिक पलमोनरी डिसीज), और तीसरे नंबर पर नवजात शिशुयों से जुड़ी समस्याएं जैसे नवजात सेप्सिस और संक्रमण, समय से पहले जन्म से जुड़ी समस्याएं शामिल की गई हैं. हालांकि इस दौरान लोगों ने हेल्थ इंश्योरेंस भी बड़ी मात्रा में लिए जो बीमारियों के इलाज के लिए बहुत काम आए. फिलहाल आज हम जानेंगे साल 2024 की उन प्रमुख 7 बीमारियों के बारे में जिसने बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित किया.

साल 2024 की टॉप-7 बीमारियां (Top 7 Deadliest Diseases Of 2024)

मृत्यु के मुख्य कारण और हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम की भूमिका

इन बीमारियों से होने वाली मृत्यु के कारणों को तीन भागों में एक साथ रखा जा सकता है: कम्युनिकेबल डिसीज, नॉन कम्युनिकेबल डीसीज और चोटें.

WHO की साल 2019 वर्ल्ड हेल्थ रिपोर्ट

दिल से जुड़ी समस्या के चलते मृत्यु होना नंबर 1 पर बना हुआ है. इसके अलावा मानसिक रोग और डायबटीज टॉप - 10 में शामिल हैं. WHO की साल 2019 वर्ल्ड हेल्थ रिपोर्ट के अनुसार, नॉन कम्युनिकेबल डीसीज अब दुनिया की टॉप-10 बीमारियों में से 7 के लिए रिस्पॉन्सिबल हैं.

आज तक, COVID-19 (अत्यधिक संक्रामक रोग) ने भारत और दुनिया भर में लाखों लोगों की जान ले ली है और अभी तक इसके कम होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं. जिन लोगों को डायबटीज, दिल और सांसों से जुड़ी समस्याएं पहले से हैं, उन्हें SARS CoV-2 के कारण अधिक परेशानियों और जानलेवा परिणामों का सामना करना पड़ रहा है.

राहत की बात यह है कि आजकल हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम इनमें से ज्यादातर बीमारियों के इलाज को कवर करती हैं. लेकिन यह हम सब जानते हैं कि इन बीमारियों के इलाज से ज्यादा बहतर है इनकी रोकथाम. आइए जानते हैं उन बीमारियों के बारे में साथ ही जानेंगे इसके लिए क्या सावधानियां बरतना चाहिए.

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ये रहीं भारत में टॉप-7 गंभीर बीमारियां

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1. दिल से जुड़ी बीमारियां

दिल से जुड़ी कई तरह की स्थितियां हैं जो आपको अलग-अलग तरह से प्रभावित कर सकती हैं. वे भारत में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक हैं. आइए जानते हैं इनके लक्षण, कारण और निवारण के उपाय.

लक्षण

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सांस लेने में कठिनाई, सीने में अचानक दर्द और बेचैनी, आपकी बाहों और पैरों में दर्द या सुन्नता, पेट के ऊपरी हिस्से, छाती आदि में दर्द होना.

कारण

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दिल से जुड़ी बीमारी की फैमिली हिस्ट्री, ख़राब खान-पान, ख़राब और इनएक्टिव लाइफ स्टाइल, तम्बाकू का सेवन, हाई कोलेस्ट्रॉल या बीपी, लंबे समय तक बैठे रहना या इनएक्टिव लाइफ स्टाइल, अधिक वजन होना

निवारण के उपाय

नियमित रूप से व्यायाम करें, अपने अच्छे कोलेस्ट्रॉल स्तर, खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स की जांच के लिए लिपिड प्रोफाइल जांच करवाएं. शारीरिक रूप से एक्टिव रहें और अपने वजन पर नज़र रखें, अपने ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें, धूम्रपान छोड़ें, अखरोट, जई, मछली और अन्य फाइबर युक्त और ओमेगा 3 युक्त खाद्य पदार्थ जैसे हेल्दी फूड खाएं. ट्रांस फैट वाले ऑयल और पैकेज्ड प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल सीमित करें, अपनी डाइट में फलों को शामिल करें.

2. सांस संबंधी रोग

अस्थमा, हाई ब्रोंकाइटिस, टीबी आदि जैसे सांस से जुड़े संक्रमण भारत में चिंता का सबसे बड़ा कारण और मृत्यु का एक प्रमुख कारण बने हुए हैं.

इनके लक्षण

बहती नाक, नाक का बंद होना, बुखार, कमजोरी, छींक आना, खांसी, सांस लेने में कठिनाई, गला खराब होना आदि.

कारण

धूल, धूम्रपान, वायु प्रदूषण, वाइरल इंफेक्शन, धूम्रपान या विशैले पदार्थों के बहुत ज्यादा संपर्क में आना, कम रोग प्रतिरोधक क्षमता, जन्मजात आदि. 

निवारण के उपाय

प्रदूषित इलाकों में जाने से बचें, श्वसन हाइजीन बनाए रखें, धूम्रपान छोड़ें, नियमित रूप से व्यायाम करें एक्टिव रहें, जहां भी जरूरी हो, सर्जिकल मास्क पहनें.

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3. डायबटीज मेलेटस

भारत में हर छह में से एक व्यक्ति को डायबटीज  है, जो दुनिया में दूसरे स्थान पर है. टाइप-1 डायबटीज एक ऐसी स्थिति है जहां अग्न्याशय के जरिए पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता है. वहीं, टाइप 2 डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जिसमें इंसुलिन का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल नहीं किया जाता है. मधुमेह से किडनी फैल्युअर, सीओवीआईडी ​​​​-19 रोगियों में ब्लैक फंगस, अंधापन आदि जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.

इसके लक्षण

अनएक्पेक्टेड वजन घटना, बहुत ज्यादा भूख लगना, थकान, जल्दी पेशाब आना, प्यास का बढ़ना, चिड़चिड़ापन आदि होना.

कारण

अनहेल्दी डाइट, नियमित व्यायाम न करना, हाई ब्लड प्रेशर, टेंशन, मोटापा, अनहेल्दी भोजन का सेवन, फास्ट फूड और अधिक चीनी का सेवन.

निवारण के उपाय

नियमित व्यायाम, गतिहीन जीवनशैली छोड़ें, धूम्रपान छोड़ें, अच्छा पोषण बनाए रखें, अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट कम करें और अधिक फाइबर शामिल करें, डायबटीज के लिए हेल्थ इंश्योरंस स्कीम देखें.

4. घातक और अन्य ट्यूमर
अक्सर घातक ट्यूमर कैंसर का कारण बनते हैं. यह स्थिति तब बनती है जब सेल्स बिना किसी कंट्रोल के बढ़ती हैं. यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है और जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है. ट्यूमर का पता आमतौर पर एमआरआई और सीटी स्कैन के जरिए लगाया जाता है.

लक्षण

शुरुआती चरणों में, घातक ट्यूमर के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते. पहला लक्षण आमतौर पर बिना दर्द वाली गांठ होती.

कारण

जिनेटिक, पैथेजन, आयनॉज़िंग रेडिएशन, कैमिकल या विशैले कम्पाउंड के संपर्क में आना.

निवारण के उपाय

स्वस्थ भोजन खाएं, नियमित रूप से व्यायाम करें, शरीर का हेल्दी वेट बनाए रखें, तम्बाकू के सेवन से बचें, नियमित टीकाकरण कराएं, कैंसर हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम की जांच करें.

5. अल्जाइमर डीसीज 

अल्जाइमर रोग मस्तिष्क से जुड़ी एक ऐसी स्थिति है जिसमें माइंड सेल्स के डेड होने से याददाश्त कम होने लगती है. लगभग 60-80% पागलपन अल्जाइमर है. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, इसके परिणामस्वरूप कई लक्षण दिखाई देते हैं.

लक्षण

भूलने की बीमारी, पागलपन, मेंटल ब्रेकडाउन, भूलने की समस्या, बहकावा होना, सोचने और समझने में कठिनाई होना, पर्सनेलिटी चैंज, बहकी-बहकी बातें करना, छोटे-छोटे कैल्कुलेशन में परेशानी होना.

कारण

वृद्धावस्था (65 वर्ष से अधिक), जिनेटिक या फैमिली हिस्ट्री, खराब लाइफस्टाइल, पिछली दिमागी चोट, 
लंबे समय तक डिप्रेशन.

निवारण के उपाय

दिल की सेहत बनाए रखना, दिल के लिए हेल्दी फूड खाएं, फैट का सेवन सीमित करें, धूम्रपान या शराब का सेवन ना करें.

6. डायरिया की समस्या

डायरिया पेट की खराबी या लीवर के काम करने के तरीके के कारण होता है, जिससे दस्त या पानी जैसा मल हो सकता है. इससे बॉडी में डिहाइड्रेशन हो सकता है. इससे शरीर में पानी और नमक का स्तर भी कम हो जाता है, जिससे इंसान कमजोर हो जाता है. ऐसी स्थिति को 3-5 दिनों के अंदर ही कंट्रोल कर लेना चाहिए. आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय.

लक्षण

पेट में दर्द, ऐंठन, पेचिश होना, सूजन, मल में बलगम/खून आना, जी मिचलाना, बार-बार मल त्याग करना आदि.

कारण

पीने का साफ पानी नहीं की उपलब्धता की कमी, अन हाईजीन, कुपोषण, कमजोर इम्यून सिस्टम,

निवारण के उपाय

शराब का सेवन नहीं, नियमित रूप से हाथ धोएं, हाईजीन का ध्यान रखें, स्टेरॉयड और एस्पिरिन और स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बचें.

7. कोविड-19 (कोरोनावायरस)

COVID-19 (SARS CoV-2) एक नया कोरोनोवायरस संक्रमण है जो हर उम्र के लोगों को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करता है. जब कोई संक्रमित व्यक्ति सांस लेता है, खांसता है, बात करता है या छींकता है तो यह बीमारी फैलती है. यदि सांस ली जाए तो दूसरा व्यक्ति संक्रमण की चपेट में आ सकता है. COVID-19 के लक्षण, इसके कारण और निवारण के उपाय जानेंगे.

लक्षण

सिरदर्द, बुखार, गला खराब होना, खांसी, न्यूमोनिया, कमजोरी या थकान.

कारण

वायरस का हवा में फैलना, किसी कोविड पॉजिटिव व्यक्ति के संपर्क में आना, संक्रमित हाथों से आंख, चेहरे और नाक को छूना, मास्क न पहनना और सामाजिक दूरी बनाए न रखना और संक्रमित व्यक्ति से वायरस पकड़ना आदि.

निवारण के उपाय

डबल मास्क पहनें, मेडिकल फैसिलिटीज के लिए जाते समय फेस शील्ड लगाएं, सांसों से जुड़ा हाईजीन, फेस और हाथ की स्वच्छता बनाए रखना, सोशल डिस्टन्सिंग, हाथों में संक्रमण को खत्म करने के लिए हैंड सैनिटाइजर और साबुन का इस्तेमाल करना, सही भोजन लेना, व्यायाम और योग के साथ इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देना आदि. 

हमें इन घातक बीमारियों के बारे में जानने की आवश्यकता क्यों है?

WHO और CDC जैसे वर्ल्ड फेमस संगठन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार इन बीमारियों का डेटा इसलिए रखते हैं ताकि लोगों को हेल्दी लाइफ लंबी उम्र मिल सके. यह हेल्थ केयर की क्वालिटी को मेजर में मदद करता है और जहां हेल्थ से जुड़ी समस्याओं को लेकर ज्यादा मेडिकल इनोवेशन की जरूरत होती है उन जगहों पर इन संसाधनों को उपलब्ध कराता है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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