मलेरिया (Malaria) फीमेल एनोफिलीज नाम के मच्छर से काटने के कारण होने वाली बीमारी है और इससे जान को खतरा हो सकता है. बारिश के मौसम या नम वातावरण में ये मच्छर तेजी से पनपते हैं और इस बीमारी का प्रकोप होने लगता है. मलेरिया की गंभीर स्थित बच्चों के लिए खतरनाक हो सकती है. इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष 25 अप्रैल (25 april) को विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day) मनाया जाता है. आइए जानते हैं कैसे और कहां से हुई विश्व मलेरिया दिवस मनाने की शुरुआत और इसका क्या है महत्व.
वर्ल्ड मलेरिया डे का इतिहास (History of World Malaria Day)
अफ्रीकी देशों में गर्म और नम वातावरण के कारण मलेरिया का प्रकोप काफी ज्यादा है इसलिए पहली बार अफ्रीकी देशों में मलेरिया दिवस मनाया गया. 2000 में अफ्रीकी देशों में इसे अफ्रीका मलेरिया डे के रूप में मनाना शुरू किया गया. वर्ष 2007 में WHO ने मलेरिया दिवस को पूरी दुनिया के स्तर पर मनाने का निर्णय लिया इसके बाद पूरी दुनिया में 25 अप्रैल 2008 से विश्व मलेरिया मनाया जाने लगा.
वर्ल्ड मलेरिया डे का महत्व (Significance of World Malaria Day)
मलेरिया के कारण हर वर्ष हजारों लोगों की जान चली जाती है. इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक किए जाने की जरूरत है. विश्व मलेरिया दिवस के दिन पूरी दुनिया में कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को इस बीमारी से अवेयर किया जाता है. WHO के अनुसार वर्ष 2000 और 2014 के बीच दुनिया भर में मलेरिया से से होने वाली मौतों में 40 प्रतिशत की कमी आ गई.
वर्ल्ड मलेरिया डे 2024 की थीम
हर वर्ष दुनिया भर में वर्ल्ड मलेरिया डे मनाने के लिए नई थीम चुनी जाती है. वर्ष 2024 में के लिए ‘Accelerating the fight against malaria for a more equitable world' यानी ‘दुनिया को और न्यायसंगत बनाने के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाना ' रखा गया है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)