स्मोकिंग और पैसिव स्मोकिंग में क्या फर्क है? बिना घूम्रपान के भी हो सकता है लंग कैंसर, डॉक्टर ने बताया कैसे

World Lung Cancer Day 2025: एक्सपर्ट्स के मुताबिक, महिलाएं और बच्चे पैसिव स्मोकिंग के सबसे बड़े शिकार होते हैं, क्योंकि अक्सर घरों में पुरुष सदस्य धूम्रपान करते हैं और महिला-बच्चे वेंटिलेशन की कमी वाले वातावरण में लंबे समय तक धुआं झेलते हैं.

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World Lung Cancer Day: पैसिव स्मोकिंग से हर साल दुनियाभर में करीब 6 लाख लोगों की जान जाती है.

World Lung Cancer Day 2025: फेफड़ों के कैंसर को अक्सर धूम्रपान करने वालों की बीमारी समझा जाता है, लेकिन सच्चाई इससे कहीं बड़ी है. रिसर्च बताती हैं कि पैसिव स्मोकिंग यानी दूसरों के धुएं में सांस लेना भी उतना ही खतरनाक हो सकता है. वर्ल्ड लंग कैंसर डे पर एक्सपर्ट्स चेतावनी दे रहे हैं कि अगर आप सिगरेट नहीं भी पीते, लेकिन किसी स्मोकर के पास नियमित रहते हैं, तो आपके फेफड़े खतरे में हैं. एशियन अस्पताल में रेस्पिरेटरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन के डायरेक्टर एवं हेड  डॉ. मानव मनचंदा के अनुसार, “एक अनुमान के मुताबिक, पैसिव स्मोकिंग से हर साल दुनियाभर में करीब 6 लाख लोगों की जान जाती है. भारत में यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है.”

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पैसिव स्मोकिंग क्या है? (What Is Passive Smoking?)

जब कोई व्यक्ति खुद सिगरेट न पीकर, किसी और द्वारा छोड़े गए धुएं को सांस के जरिए अंदर लेता है, तो उसे पैसिव स्मोकिंग कहते हैं. इसमें दो तरह का धुआं शामिल होता है, सिगरेट के जलने से निकलने वाला और स्मोकर के मुंह से छोड़ा गया धुआं. यह धुआं नॉन-स्मोकर्स के फेफड़ों में जाकर धीरे-धीरे टिशू डैमेज करता है.

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डॉ. मनचंदा के अनुसार, हमारे यहां बहुत से मरीज ऐसे आते हैं जिन्होंने कभी सिगरेट को हाथ तक नहीं लगाया, लेकिन उनके घर या ऑफिस में कोई स्मोकर रहा है. CT स्कैन में उनके फेफड़ों में वही नुकसान दिखता है जो एक नियमित स्मोकर में होता है.” 

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बच्चों और महिलाओं पर ज्यादा असर

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, महिलाएं और बच्चे पैसिव स्मोकिंग के सबसे बड़े शिकार होते हैं, क्योंकि अक्सर घरों में पुरुष सदस्य धूम्रपान करते हैं और महिला-बच्चे वेंटिलेशन की कमी वाले वातावरण में लंबे समय तक धुआं झेलते हैं.

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क्या करें बचाव?

स्मोक: फ्री वातावरण सुनिश्चित करें, घर, कार और ऑफिस में कोई धूम्रपान न करें.
स्मोकर से दूरी बनाए रखें: पब्लिक प्लेसेज़ पर स्मोकर से कम से कम 6 फीट की दूरी जरूरी है.
शिशु और बुजुर्गों को खास सुरक्षा दें: उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है.

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डॉ. के अनुसार, “अब वक्त आ गया है कि हम धूम्रपान को सिर्फ व्यक्तिगत आदत न मानें, बल्कि यह दूसरों की जान के लिए खतरा है, खासकर उनके लिए जो खुद कभी सिगरेट नहीं पीते.” 

स्मोकिंग और पैसिव स्मोकिंग दोनों ही फेफड़ों की सेहत के लिए गंभीर खतरा हैं. जागरूकता, कड़े कानून और जिम्मेदार व्यवहार ही हमें इस धीमे जहर से बचा सकते हैं. क्योंकि लंग कैंसर सिर्फ स्मोकर की नहीं, बल्कि आसपास रहने वाले हर व्यक्ति की कहानी बन सकता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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