World Asthma Day 2023: ब्रोन्कियल अस्थमा, बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित करने वाली एक बहुत ही सामान्य रेस्पिरेटरी प्रोब्लम है. अनुमान है कि भारत की 3-5 प्रतिशत आबादी अस्थमा से पीड़ित है. यानी भारत में करीब 4 करोड़ अस्थमा के मरीज हैं. एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या होने के बावजूद इसे अक्सर गलत समझा जाता है. अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिसे पूरी तरह से कंट्रोल किया जा सकता है और अस्थमा से पीड़ित लोग लाइफस्टाइल को मैनेज कर सामान्य जीवन जी सकते हैं. यहां अस्थमा से जुड़े आम मिथ्स के बारे में बताया गया है.
अस्थमा से जुड़े कुछ आम मिथ्स | Common Myths Related To Asthma
1. मिथ: एक बार अस्थमा का पता चलने के बाद, लोग सामान्य जीवन नहीं जी पाएंगे
अस्थमा एक ऐसी बीमारी है, जिसे अगर सही तरीके से पहचाना जाए और उचित इलाज किया जाए तो इसे अच्छी तरह से कंट्रोल किया जा सकता है. अस्थमा से पीड़ित लोग सामान्य और एक्टिव लाइफ जी सकते हैं. अस्थमा में कोई कलंक नहीं है क्योंकि यह एक ऐसी बीमारी है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती है, और बहुत प्रभावी दवाएं हैं जो लोगों को सामान्य जीवन जीने में मदद करेंगी.
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2. मिथ: आपको हमेशा के लिए दवाई का इस्तेमाल करना है
अस्थमा के निदान वाले लोगों को लक्षणों के आधार पर दवाएं दी जाती हैं. सभी दमा रोगियों को जीवन भर दवाओं की जरूरत नहीं होगी, जिन लोगों में केवल एक विशेष मौसम (मौसमी अस्थमा) के लक्षण होते हैं, उन्हें केवल उस खास मौसम में ही दवाएं दी जाती हैं. अगर किसी व्यक्ति को हल्का अस्थमा है, लक्षण कभी-कभी (महीने में लगभग दो से चार बार) होते हैं, तो वह लक्षणों के होने पर इनहेलर ले सकता है. हालांकि, अस्थमा वाले लोग जिनमें लक्षण अधिक बार होते हैं, इनहेलर्स को रेगुलर लंबे पीरियड्स के लिए बीमारी को कंट्रोल में रखने के लिए लेना पड़ता है.
3. मिथ: घरघराहट ही अस्थमा का एकमात्र लक्षण है
अस्थमा के लक्षण सभी में अलग-अलग हो सकते हैं. अस्थमा के सामान्य लक्षणों में खांसी, थूक बनना, सांस फूलना, सीने में भारीपन और घरघराहट (सांस अंदर या बाहर करते समय सीटी की आवाज आना) शामिल हैं. दमा से पीड़ित लोगों में सभी लक्षणों में से एक या ज्यादा लक्षण हो सकते हैं और जरूरी नहीं कि उनमें सभी लक्षण हों. जबकि घरघराहट अस्थमा के सामान्य लक्षणों में से एक है, सभी अस्थमा रोगियों को घरघराहट नहीं होती है.
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4. मिथ: इनहेलर्स नशे की लत की तरह होते हैं और दुष्प्रभाव पैदा करते हैं
इनहेलर अस्थमा के लिए पसंदीदा उपचार हैं और अस्थमा वाले सभी लोगों के लिए दिए जाने चाहिए. इनहेलर्स के बारे में कई भ्रांतियां हैं.
जब सही तरीके से लिया जाता है, तो इनहेलर वास्तव में अस्थमा के लिए गोलियों/सिरप से अधिक सुरक्षित होते हैं. जब कोई दवा गोली/सिरप के रूप में ली जाती है, तो यह सबसे पहले आंतों से अवशोषित होती है और खून में पहुंचती है. जब यही दवा सूंघी जाती है तो सीधे वायुमार्ग में पहुंचती है. दवा का एक बड़ा प्रतिशत (50 प्रतिशत तक) वायुमार्ग में पहुंचता है.
यह समझना जरूरी है कि इनहेलर के उपयोग की तकनीक बहुत जरूरी है. जब इनहेलर्स का गलत इस्तेमाल किया जाता है, तो साइड इफेक्ट हो सकते हैं.
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योग, ध्यान, डेली एक्सरसाइज/चलना और वजन कम करना लाइफस्टाइल में बदलाव हैं जो अस्थमा के लक्षणों को सुधारने में मदद करते हैं. लाइफस्टाइल में ये बदलाव सप्लीमेंट हैं लेकिन इनहेलर्स को रिप्लेस नहीं करते हैं.
(डॉ. वी. नागार्जुन मातुरु, वरिष्ठ सलाहकार, क्लिनिकल और इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी, यशोदा अस्पताल हैदराबाद)
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