World AIDS Day: आज तक क्यों लाइलाज है एड्स, जानिए इस बीमारी के बारे में सब कुछ

एड्स एक गंभीर बीमारी है, जो एचआईवी वायरस के संक्रमण के कारण होती है. इस बीमारी का अभी तक कोई स्थायी इलाज नहीं है, और इसके पीछे कई वैज्ञानिक, जैविक और चिकित्सा से जुड़े कारण हैं.

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World Aids Day: दुनिया भर में हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. एचआईवी वायरस ऐसा वायरस है जो जानलेवा है. शरीर में एक बार ये घर बना ले तो इससे निजात पाना असंभव है और कई रोगों का कारण बनता है. यह रोग इतना गंभीर इसलिए है क्योंकि इसका अभी तक कोई इलाज नहीं निकाला जा सका है. इस संक्रमण को खत्म करने के लिए अभी तक किसी भी तरह की कोई भी वैक्सीन या दवा नहीं बन पाई है जो इस रोग को पूरी तरह से खत्म कर सकें. आइए जानते हैं कि आखिर आज तक क्यों लाइलाज है ये बीमारी?

एड्स (AIDS) अभी तक लाइलाज क्यों है?

एड्स (Acquired Immunodeficiency Syndrome) एक गंभीर बीमारी है, जो एचआईवी वायरस (HIV - Human Immunodeficiency Virus) के संक्रमण के कारण होती है. इस बीमारी का अभी तक कोई स्थायी इलाज नहीं है, और इसके पीछे कई वैज्ञानिक, जैविक और चिकित्सा से जुड़े कारण हैं.

1. HIV वायरस का जटिल स्वभाव

इम्यून सिस्टम पर हमला:

HIV मुख्य रूप से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित करने वाले CD4+ T कोशिकाओं पर हमला करता है. इन कोशिकाओं के कमजोर होने से शरीर संक्रमण और बीमारियों से लड़ने में नाकाम हो जाता है.

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तेजी से रूप बदलना:

HIV वायरस म्यूटेशन (रूपांतरण) करता रहता है. यह तेजी से अपना जीनोम बदलता है, जिससे दवाओं या वैक्सीन का असर उस पर स्थायी नहीं रह पाता.

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2. वायरस का छिपा रहना 

HIV वायरस शरीर के अंदर छिपा रहता है, खासकर "लैटेंसी फेज" में. यह वायरस शरीर की कोशिकाओं में निष्क्रिय रूप से छिपा रह सकता है, और एंटीवायरल दवाएं इसे पूरी तरह नष्ट नहीं कर पातीं. जब वायरस फिर से सक्रिय होता है, तो संक्रमण दोबारा बढ़ सकता है.

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3. एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) का सीमित प्रभाव दवाएं रोकती हैं, खत्म नहीं करतीं:

एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी HIV के प्रसार को रोकती है और इसे "Undetectable" स्तर तक ला सकती है, लेकिन यह वायरस को पूरी तरह खत्म नहीं कर पाती.

लंबे समय तक इलाज की आवश्यकता:

एआरटी (ART) जीवनभर लेनी पड़ती है, और इसे बंद करने पर वायरस फिर सक्रिय हो सकता है.

4. वैक्सीन बनाने की चुनौतियां

HIV की म्यूटेशन क्षमता और उसके छिपे रहने की प्रवृत्ति के कारण प्रभावी वैक्सीन बनाना बेहद कठिन है.
इसके अलावा, HIV इम्यून सिस्टम को ही कमजोर कर देता है, जिससे वैक्सीन का असर कम हो सकता है.

5. इम्यून सिस्टम को धोखा देना

HIV वायरस "ग्लाइकोप्रोटीन शील्ड" का उपयोग करता है, जिससे इम्यून सिस्टम इसे पहचान नहीं पाता. यह वायरस उन कोशिकाओं को ही संक्रमित करता है, जो इम्यून प्रतिक्रिया के लिए जरूरी होती हैं.

क्या चल रहा है समाधान के लिए?

जीन थैरेपी:

वैज्ञानिक HIV वायरस के जीनोम को एडिट करने के तरीके पर काम कर रहे हैं.

फंक्शनल क्योर:

कोशिश है कि HIV को पूरी तरह खत्म किए बिना इसे निष्क्रिय अवस्था में रखा जा सके, ताकि यह शरीर को नुकसान न पहुंचाए.

वैक्सीन रिसर्च:

व्यापक और प्रभावी वैक्सीन विकसित करने के प्रयास जारी हैं.

बोन मैरो ट्रांसप्लांट:

कुछ मामलों में संक्रमित लोगों का इलाज बोन मैरो ट्रांसप्लांट से हुआ है, लेकिन यह तरीका जटिल और जोखिमपूर्ण है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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