'हफ्ते में 70 घंटे काम करने से मौत का खतरा', OLA सीईओ के आह्वान पर डॉक्टरों ने दी चेतावनी

हैदराबाद के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के सुधीर कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्‍स पर एक पोस्ट में कहा कि लंबे समय तक काम करने से कई गंभीर बीमारियों और यहां तक ​​कि समय से पहले मौत का खतरा बढ़ जाता है.

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ओला के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) भाविश अग्रवाल द्वारा इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सलाह का समर्थन करने पर एक शीर्ष न्यूरोलॉजिस्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि इससे कई गंभीर बीमारियों के साथ मौत का खतरा भी बढ़ सकता है. मूर्ति ने 2023 में अपने एक बयान में कहा था कि अगर भारत हाल के दशकों में उल्लेखनीय प्रगति करने वाली विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ प्रतिस्पर्धा करना चाहता है तो इसके लिए युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहिए. हाल ही में एक पॉडकास्ट में भाविश ने 70 घंटे के कार्य सप्ताह पर छिड़ी बहस को फिर से हवा दे दी है. उन्होंने कहा कि वह इस बात से पूरी तरह से सहमत हैं.

हैदराबाद के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के सुधीर कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्‍स पर एक पोस्ट में कहा कि लंबे समय तक काम करने से कई गंभीर बीमारियों और यहां तक ​​कि समय से पहले मौत का खतरा बढ़ जाता है. कई वैज्ञानिक अध्ययनों का हवाला देते हुए डॉक्टर ने कहा , "प्रति सप्ताह 55 या उससे अधिक घंटे काम करने से स्ट्रोक का खतरा 35 प्रतिशत अधिक होता है और प्रति सप्ताह 35-40 घंटे काम करने की तुलना में इस्केमिक हृदय रोग से मरने का खतरा 17 प्रतिशत अधिक होता है.''

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इसके अलावा, उन्होंने कहा कि सप्ताह में 55 घंटे से अधिक काम करने से हर साल आठ लाख से अधिक लोगों की मौत होती है. लंबे समय तक काम करने से अधिक वजन, प्रीडायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है, जो कई बीमारियों और समय से पहले मृत्यु का कारण बनता है. उन्होंने कहा, "सप्ताह में 69 या उससे अधिक घंटे काम करने वाले लोगों में सप्ताह में 40 घंटे काम करने वालों की तुलना में मध्यम से गंभीर अवसाद के लक्षण होने की संभावना अधिक होती है.''

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न्यूरोलॉजिस्ट ने कहा, "सीईओ अपनी कंपनी के मुनाफे और अपनी खुद के नेटवर्थ को बेहतर बनाने के लिए अपने कर्मचारियों को लंबे समय तक काम करने की सलाह देते हैं." उन्होंने कहा कि अगर "कर्मचारी बीमार पड़ते हैं, तो उन्हें आसानी से बदला जा सकता है". उन्होंने कहा, "आपके लिए सबसे बेहतर यही होगा कि आप ऐसे संगठन का चयन करें जो कर्मचारियों की परवाह करता हो. साथ ही बेहतर कार्य-जीवन संतुलन सुनिश्चित करने के लिए उचित कार्य घंटों की सिफारिश करता हो.''

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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