एक महिला जो एक आईटी प्रोफेशनल है, रेगुलर जंक और फैटी फूड्स का सेवन करती थीं, जिसके कारण उन्हें पेट फूलने और भारीपन महसूस होता था. इससे निपटने के लिए वह पिछले 3 से 4 महीनों से रेगुलर रूप से ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) एंटासिड ले रही थी. महिला को पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में बार-बार दर्द भी होता था, जो पीठ और कंधे तक फैल जाता था. ज्यादातर समय, दर्द मतली और उल्टी के साथ जुड़ा होता था. उन्होंने अपने फैमिली डॉक्टर से संपर्क किया और अल्ट्रासाउंड की सलाह दी गई, जिसमें पता चला कि उनका पित्ताशय पथरी से भरा हुआ था.
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पथरी निकालने के लिए पेट में किया 10 मिमी और 5 मिमी का छेद:
सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने पित्ताशय की थैली (लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी) को पथरी के साथ निकालने के लिए कीहोल सर्जरी की सलाह दी. सर गंगा राम अस्पताल के लेप्रोस्कोपिक और जनरल सर्जन के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ सलाहकार डॉ मनीष के गुप्ता के नेतृत्व में टीम ने उसके पेट में 10 मिमी और 5 मिमी के छेद किए और पित्ताशय को बाहर निकाला. डॉक्टर ने कहा, "यह जानकर आश्चर्य हुआ कि पित्ताशय कई बड़े और छोटे पत्थरों से भरा हुआ था, जिनकी संख्या लगभग 1,500 से ज्यादा थी."
दो भोजन के बीच लंबा अंतराल और लंबे समय तक उपवास बढ़ रहे मामले:
डॉ मनीष ने कहा कि बदलती लाइफस्टाइल, कभी-कभी दो भोजन के बीच लंबा अंतराल और लंबे समय तक उपवास करने से पित्त का अवक्षेपण होता है, ये सभी देश में पित्ताशय की पथरी की घटनाओं को बढ़ा रहे हैं. उन्होंने कहा, "भले ही पत्थर छोटे हों, लेकिन कॉमन बाइल डक्ट (सीबीडी) में खिसक सकते हैं और पीलिया और अग्नाशयशोथ का कारण बन सकते हैं. इसी तरह अगर पित्ताशय की थैली में बहुत लंबे समय तक बड़े पत्थरों का इलाज न किया जाए, तो पुरानी जलन के कारण पित्ताशय के कैंसर का खतरा हो सकता है." डॉक्टर ने बताया कि सर्जरी के अगले ही दिन मरीज को छुट्टी दे दी गई और वह सामान्य डाइट लेने और स्वतंत्र रूप से घूमने में सक्षम हो गया.
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