क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे? क्या है इस साल की थीम, जानें क्यों जरूरी है मेंटल हेल्थ केयर

Mental Health Day: 2024 में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का थीम “कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का समय आ गया” है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 4 में एक व्यक्ति किसी ना किसी प्रकार से मानसिक स्वास्थ्य का सामना कर रहा है.

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Mental Health Day 2024: इस दिन लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया जाता है.

Mental Health Day 2024: जिस तरह से हमारा शरीर खराब होने पर हम किसी काम को करने में परेशानी महसूस करते हैं, ठीक उसी प्रकार से मन खराब होने पर भी हम किसी भी काम को कुशल तरीके से करने में असमर्थ होते हैं, लेकिन इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे कि हम तन से जुड़ी समस्याओं को लेकर तो संवेदनशील होते हैं, मगर मन से संबंधित समस्याओं को नजरअंदाज कर जाते हैं, जिस वजह से हमें कई भयावह चीजों का सामना करना पड़ता है.

वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाने का कारण (Reason for celebrating World Mental Health Day)

हालांकि अब हमारा समाज मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हो चुका है. इसी जागरूकता को प्रचारित करने के मकसद से हर साल 10 अक्टूबर को ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस' के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया जाता है. धरातल पर अब इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं. इसे मनाने की शुरुआत 1992 से हुई थी.

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क्या है इस साल वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे की थीम? (World Mental Health Day Theme)

2024 में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का थीम “कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का समय आ गया” है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, चार में एक व्यक्ति किसी ना किसी प्रकार से मानसिक स्वास्थ्य का सामना कर रहा है. भारत में 60 से 70 मिलियन लोग मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं. कई बार लोग मानसिक स्वास्थ्य पर ज्यादा नहीं दे पाते हैं, उसे नजरअंदाज कर देते हैं, जिसके बाद उसके भयावह नतीजे निकलकर सामने आते हैं.

कई बार ऐसा भी देखने को मिला है कि कोई व्यक्ति मानसिक समस्याओं (मानसिक रूप से बीमार होता है) से जूझ रहा होता है, लेकिन उसे खुद ही इस बात का एहसास नहीं होता है और ना ही उसके आसपास रहने वाले लोगों को इसका एहसास होता है. हम कई बार इसे उस व्यक्ति का मिजाज या आदत समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन ऐसा होता नहीं है.

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50 फीसदी आबादी पूरे जीवन काल में मानसिक समस्याओं से जूझती है:

2024 में कार्यस्थल पर एक सकारात्मक माहौल बनाने पर जोर दिया गया है, ताकि लोग मानसिक समस्याओं से ग्रसित होकर कोई भयावह कदम उठाने पर बाध्य ना हो जाएं. हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि 50 फीसदी आबादी अपने जीवन में मानसिक समस्याओं से जूझ रहे होते हैं, लेकिन उन्हें इस बात का एहसास तक नहीं होता है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि कई बार अनियमित रूप से काम करने, वर्क लाइफ बेलेंस नहीं होने की वजह से भी लोग मानसिक स्वास्थ्य का सामना करते हैं. मानसिक स्वास्थ्य के बिगड़ने का पहला लक्षण एकाग्रता का भंग होना होता है, बाद में यह समस्या गंभीर हो जाती है. ऐसे में यह जरूरी है कि इसे समय रहते पहचान लिया जाए, ताकि इसके डायग्नोस का रास्ता निकाला जाए.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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