रेबीज से बचना है तो कुत्ते के काटने के 72 घंटे के अंदर लगवाएं इंजेक्शन, 14 नहीं 5 डोज ही है काफी, जानिए ये अहम बातें

इनक्यूबेशन पीरियड में कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है लेकिन वायरस के ब्रेन तक पहुंचने के बाद स्थिति बहुत तेजी से गंभीर होने लगती है.

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When should I take a rabies injection? रेबीज एक संक्रामक बीमारी है जो आमतौर पर लिसावायरस फैमिली के वायरस से संक्रमित जानवर के काटने से इंसानों में फैलती है. दरअसल, रेबीज का वायरस जानवरों के लार में होता है जो काटने के बाद इंसानों में फैल जाता है. वायरस सीधा संक्रमित व्यक्ति के नर्वस सिस्टम पर हमला करते हुए स्पाइनल कॉर्ड और मस्तिष्क तक पहुंच जाता है. इस प्रक्रिया में तीन से लेकर 12 हफ्ते तक का समय लग सकता है और कई बार तो साल भी लग जाते हैं जिसे इनक्यूबेशन पीरियड कहा जाता है. इनक्यूबेशन पीरियड में कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है लेकिन वायरस के ब्रेन तक पहुंचने के बाद स्थिति बहुत तेजी से गंभीर होने लगती है.

रेबीज के लक्षण

लिसा वायरस फैमिली के वायरस से संक्रमित जानवर के काटने से होने वाली रेबीज बीमारी बेहद खतरनाक होती है. इसलिए किसी भी जानवर के काटने के तुरंत बाद सतर्क रहना और इलाज बेहद जरूरी है. संक्रमित व्यक्ति में रेबीज के शुरुआती से लेकर गंभीर लक्षण देखे जा सकते हैं जिसे पहचानना जरूरी है.

1. कमजोरी
2. उल्टी
3. दर्द
4. कार्डियक फेल्योर
5. गले की मांसपेशियों का लकवाग्रस्त हो जाना जिससे पानी पीने में भी दिक्कत होना.
6. पानी से डर लगना (हाइड्रोफोबिया)
7. हवा से डर लगना (एयरोफोबिया)
8. इनसेफेलाइटिस
9. पैरालिसिस
10. कोमा में चले जाना

पालतू जानवरों में रेबीज के लक्षण

किसी भी बीमारी से बचने के लिए सतर्क और जागरूक होना बेहद जरूरी है. अगर आपके घर में पालतू जानवर हैं तो सबसे पहले उनका टीकाकरण करवाएं. इसके अलावा कड़ी निगरानी के जरिए भी खुद को और अपने पेट को रेबीज से बचाया जा सकता है. अगर आपके पेट्स में यहां बताए गए लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो सतर्क हो जाए क्योंकि ऐसे में आपका पेट रेबीज से संक्रमित हो सकता है. आपके पेट्स रेबीज से संक्रमित हैं या नहीं इसका पता आप उनके टिशू और लार के लैब टेस्ट के जरिए भी लगा सकते हैं.

1. ज्यादा लार आना
2. सुस्ती
3. कभी-कभी आक्रामक हो जाना
4. लकवाग्रस्त होना
5. बीमार सा लगना
6. खाना निगलने में परेशानी होना

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हल्की खरोंच से भी फैल सकता है रेबीज

संक्रमित जानवर के काटने के अलावा रेबीज पहले से कटी स्किन और म्यूकस मेम्ब्रेन के जरिए भी फैल सकता है. रेबीज से संक्रमित होने के लिए घाव का गहरा होना जरूरी नहीं है, शरीर पर पहले से मौजूद हल्की-फुल्की खरोंच और आंख, नाक या मुंह के म्यूकस मेम्ब्रेन से भी बॉडी में पहुंच सकता है. इसके अलावा यह हवा में तैर रहे लार की बूंदों से भी फैल सकता है. हालांकि, ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है.

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72 घंटे के अंदर एंटी रेबीज जरूरी

पालतू या आवारा कुत्ते या बिल्ली के काटने पर तुरंत एंटी रेबीज का टीका लगवाएं. जानवर के काटने के 72 घंटे के अंदर इंजेक्शन लेना फायदेमंद रहता है वहीं ज्यादा देरी करने पर रेबीज से बचाव के खिलाफ टीका कम असरदार साबित होता है. सबसे पहले मरीज को घोड़े की एंटीबॉडीज से बनाए गए रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन की डोज दी जाती है. इसके बाद चार हफ्ते के दरमियान में एंटी रेबीज वैक्सीन की पांच डोज दी जाती है.

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14 नहीं अब 5 इंजेक्शन ही काफी

आपने अक्सर सुना होगा कि पागल कुत्ते (रेबीज से संक्रमित) के काटने पर 14 इंजेक्शन लेना पड़ता है. पहले रेबीज से बचाने के लिए मरीज को 14 से 16 इंजेक्शन दिए जाते थे जो मरीज के लिए कष्टदायक होता था. हालांकि, अब रेबीज के खिलाफ वैक्सीन के डोज की संख्या में काफी कमी आई है. बाद में डेवलप हुई वैक्सीन 5 डोज में ही अपना काम कर जाती है और पहले के मुकाबले ज्यादा सुरक्षा भी देती है. जागरूकता की कमी के वजह से कई लोग कॉफी पाउडर और गोबर लगाने जैसे घरेलू नुस्खे भी अपनाते हैं जो खतरनाक साबित हो सकता है.

रेबीज से बचने के उपाय

रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी से बचने के लिए कुछ सुरक्षात्मक उपाय करना बेहद जरूरी है. इनके जरिए आप खुद को रेबीज के खतरे से दूर रख पाएंगे.

1. किसी जानवर के काटने से पहले ही आप प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस दवा लेकर आप खुद को रेबीज से बचा सकते हैं. इस दवा के दो डोज आपको तीन साल तक सुरक्षित रख सकते हैं.
2. कुत्ते और बिल्ली के अलावा चमगादड़ों से भी सतर्क रहें.
3. अपने पालतू जानवरों को रेबीज का टीका लगवाएं.
4. जानवर के काटने पर डॉक्टर से तुरंत एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाएं.
5. आवारा कुत्तों और जंगली जानवरों से दूर रहें.
6. अगर पालतू जानवर या अन्य किसी पशु का बर्ताव अजीब लगे तो उससे दूर रहें.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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