ज्यादातर लड़कियों को होती है पीरियड्स से जुड़ी ये समस्या, लेकिन नहीं होता पता, जानें मेंस्ट्रुअल डिसऑर्डर क्या हैं, इसे कैसे पहचानें?

What Is Menstrual Disorder : मेडिकल की भाषा में मेंस्ट्रुअल डिसऑर्डर या मासिक धर्म विकार एक ऐसी स्थिति है जिसमें पीरियड्स इरेगुलर हो जाते हैं. फिर चाहें वे समय से पहले आ सकते हैं या फिर समय के बाद. इसमें कई बार पीरियड्स का फ्लो भी कम ज्यादा हो सकता है.

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Menstrual disorders: मेडिकल की भाषा में मेंस्ट्रुअल डिसऑर्डर या मासिक धर्म विकार एक ऐसी स्थिति है जिसमें पीरियड्स इरेगुलर हो जाते हैं

What is the reason for irregular periods: अक्सर महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान कई सारे बदलावों होते हैं. जिसका असर उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर देखने को मिलता है. ये स्थिति ऐसी होती है जब महिलाओं को चिड़चिड़ाहट, दर्द और मूड  स्विंग जैसी समस्या से गुजरना होता है. इन सभी में एक स्थिति ऐसी भी आती है जिसे मेडिकल की भाषा में मेंस्ट्रुअल डिसऑर्डर कहा जाता है. मेंस्ट्रुअल डिसऑर्डर महिलाओं को कैसे प्रभावित करता है. इसके लक्षण क्या हैं. इन सभी सवालों के जवाब विस्तार से जानेंगे डॉक्टर नूपुर गुप्ता, निदेशक और प्रसुति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ एफएमआरआई से.

मेंस्ट्रुअल डिसऑर्डर क्या है? (What Is Menstrual Disorder)

मेडिकल की भाषा में मेंस्ट्रुअल डिसऑर्डर या मासिक धर्म विकार एक ऐसी स्थिति है जिसमें पीरियड्स इरेगुलर (irregular periods treatment) हो जाते हैं. फिर चाहें वे समय से पहले आ सकते हैं या फिर समय के बाद. इसमें कई बार पीरियड्स का फ्लो भी कम ज्यादा हो सकता है.

मेंस्ट्रुअल डिसऑर्डर के कारण 

महिलाओं में मेंस्ट्रुअल डिसऑर्डर की समस्या कई कारणों से हो सकती है. इसके पीछे महिलाओं का तनाव, अधिक मात्रा में एक्सरसाइज, जरूरत से ज्यादा डाइट करना या फिर जो लड़कियां स्पोर्ट्स में होती हैं उन्हें मेंस्ट्रुअल डिसऑर्डर की समस्या हो सकती है. इसके अलावा जिनका वजन अधिक हो जाता है, पॉलिसिस्टिक ओवरीज या पीसीओडी की समस्या के कारण भी मेंस्ट्रुअल डिसऑर्डर हो जाता है.

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अन्य कारण

महिलाओं में पीरियड्स डिले या जल्दी होने की समस्या के पीछे ब्लड टेस्ट के जरिए या इवेल्युएट करने से भी जानकारी मिलती है कि सही वजह क्या हो सकती है. इनमें कॉमन है थायरॉयड हार्मोन के डिस्फंक्शन से पीरियड डिले होता है, प्रोलेक्टिन हार्मोन से हो जाता है, पीसीओडी के कारण भी ये समस्या होती है. 

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कब होती है ये समस्या

मेंस्ट्रुअल डिसऑर्डर की समस्या आमतौर पर 9 साल से 25 साल तक की लड़कियों में देखने को मिलती है. स्ट्रक्चरल डिफेक्ट जिसमें यूट्रस में रसोली का बनना. ओवरी में सिस्ट का बनना ये सारी समस्या 20 साल के बाद ही देखने को मिलती है लेकिन आज के समय में छोटी बच्चियों का भी चेकअप किया जाता है. 

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महिलाओं में इमेनोरिया

ये ऐसी स्थिति होती है जब महिलाओं को या तो जल्दी-जल्दी पीरियड्स आते हैं या लेट आते हैं या आते ही नहीं हैं. दवा देने के बाद ही पीरियड्स आते हैं. ये समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है. अगर किसी महिला या लड़की को साल में 3 या 4 बार ही पीरियड्स होते हैं तो उन्हें तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए. 

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इंटर मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग

जब किसी महिला को दो पीरियड्स के बीच में ब्लीडिंग होती है तो ऐसी स्थिति को इंटर मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग कहा जाता है.

दवा के साइड इफेक्ट

कई बार 20 साल से 40 साल की महिलाओं की दवा चल रही होती है जिसके कारण भी पीरियड्स डिस्टर्ब हो जाते हैं. जैसे कुछ महिलाएं एंटी एंजायटी ड्रग्स लेती हैं, एंटी साइकॉटिक मेडिकेशन या डिप्रेशन की दवा लेती हैं उनके भी पीरियड्स इरेगुलर हो जाते हैं. 

बड़ी उम्र की महिलाएं ध्यान दें

अगर मेंस्ट्रुअल डिसऑर्डर की समस्या 40 से 60 साल की उम्र में तो बहुत इंपॉर्टेंट है कि रूल आउट करें. प्रेमालिगनेंट या फ्रीकेंसर्स कंडीशन या कोई तरह का कैंसर तो डेवलप नहीं हो रहा. इस उम्र में अपना नियमित चेकअप करवाते रहें ताकी आपको किसी तरह की बड़ी बीमारी न हो सके.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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