योग करने से पहले जान लें क्या है 'कॉमन योग प्रोटोकॉल', शरीर को कैसे रखता है चुस्त-दुरुस्त और तंदुरुस्त

Common Yoga Protocol: अपनी सेहत के लिए योग के सफर की शुरुआत कॉमन योग प्रोटोकॉल के साथ कर सकते हैं. भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने कॉमन योग प्रोटोकॉल के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. बताया है कि ये क्या है और इसे कैसे करना चाहिए.

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यह बॉडी और मन के लिए बेहतरीन और सरल तरीका है.

Common Yoga Protocol: योग एक ऐसा नाम है, जिसके पास कई समस्याओं का समाधान है. योग करने से न केवल शरीर चुस्त-दुरुस्त और तंदुरुस्त रहता है बल्कि शारीरिक और मानसिक समस्याएं कोसों दूर भाग जाती हैं. क्या आप जानते हैं'कॉमन योग प्रोटोकॉल' क्या हैं और इसके 4 स्टेप्स को अपने रूटीन में कैसे शामिल करें? कॉमन योग प्रोटोकॉल (सीवाईपी) एक हेल्दी बॉडी और मन के लिए आसान सा तरीका है, जिसमें कुछ योगासन कराए जाते हैं. अपनी सेहत के लिए योग के सफर की शुरुआत कॉमन योग प्रोटोकॉल के साथ कर सकते हैं. भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने कॉमन योग प्रोटोकॉल के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. बताया है कि ये क्या है और इसे कैसे करना चाहिए.

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कॉमन योग प्रोटोकॉल क्या है?

कॉमन योग प्रोटोकॉल (सीवाईपी) एक हेल्दी बॉडी और मन के लिए बेहतरीन और सरल तरीका है. इसे ब्रीथ, स्ट्रेच और ट्रांसफॉर्म नाम दिया गया है. सरल हिंदी में कहें तो सांस लेने की प्रक्रिया, शरीर की मांसपेशियों को प्रकृति अनुसार स्ट्रेच या खिंचाव करना और इसके जरिए अपनी शख्सियत को बदलकर रखना.

सबसे पहले क्या करें?

इसके लिए सबसे पहले कुछ आसन, सांस लेना या छोड़ना और ध्यान लगाना शुरू करें, जिससे शरीर में लचीलापन बनता है और एकाग्रता आती है. इससे न केवल शरीर मजबूत होता है बल्कि आंतरिक शांति भी बढ़ती है. इन अभ्यासों को खड़े होकर या बैठकर दोनों ही तरीकों से किया जा सकता है.

सदलज, क्लान क्रियाएं

सदलज, क्लान क्रियाएं या लूजिंग प्रैक्टिस के लिए आयुष मंत्रालय ने कुल 4 स्टेज के बारे में बताया है. पहला, आगे और पीछे की ओर झुकना और फिर स्ट्रेस करना. दूसरा, दाईं और बाईं ओर झुकना फिर स्ट्रेस करना. तीसरा, दाईं और बाईं ओर गर्दन, सिर और शरीर को घुमाना. वहीं, चौथा और अंतिम है गर्दन को चारों ओर घुमाना. ये सामान्य योग प्रोटोकॉल शरीर और मन दोनों के लिए बेहद लाभकारी होते हैं.

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रिलेक्सेशन प्रैक्टिस

सदलज के बाद ही चालन क्रिया या रिलेक्सेशन का अभ्यास कराया जाता है. यह खासतौर से शरीर के अंगों को थोड़ा शिथिल या लचीला बनाने के लिए किया जाता है ताकि कोई भी योगासन करने के दौरान शरीर इसके अनुकूल रहे और योगासन करने में आसानी रहे. इस क्रिया में ग्रीवा चालन, कंधे का संचालन, कटि यानी कमर और घुटने का संचालन कराया जाता है. ये वे जोड़ या मोड़ हैं, जो योगासन के दौरान मुड़ते हैं.

योग के आसान से प्रोटोकॉल को रूटीन में शामिल करने से सर्वाइकल, तनाव, शरीर में खिंचाव, दर्द, सांस संबंधित परेशानियों में राहत के साथ ही मन को भी शांत करता है. इन प्रक्रियाओं को 5 से 10 बार लगातार करना चाहिए.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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