निपाह वायरस एक जुनोटिक वायरस (zoonotic virus) है.
निपाह वायरस जानवरों से इंसानों में फैलने वाला एक वायरस है. यह भी कोविड की ही तरह जानवरों से इंसानों में और फिर एक इंसान से दूसरे इंसान तक फैलता है. इंसानों में निपाह इंफ़ेक्शन (NiV) होने पर सांस से जुड़ी गंभीर परेशानी हो सकती है. यह जानलेवा इंसेफ़्लाइटिस की वजह भी बन सकता है.
निपाह वायरस, Bats और 10 प्वॉइंट
- निपाह का ज्ञात इतिहास : जहां तक हम पता कर पाए हैं पहली बार इस वायरस के मामलों को साल 1998-99 में देखा गया था. मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह में इसके मामलों की पुष्टि हुई थी. यहां इस वायरस की चपेट में 250 से ज्यादा लोग आए थे. और इस वायरस ने पहली बार में ही कोहराम मचाया.
- क्योंकि यह वायरस मलेशिया में कम्पंग सुंगाई निपाह नाम की जगह पर पहली बार देखा गया था, बस इसी वजह से इसका नाम निपाह वायरस हुआ.
- कम्पंग सुंगाई निपाह में जब पहली बार इस वायरस के मामले सामने आए तो उस वक़्त इस बीमारी के वाहक सूअर बने थे. और अस्पतालों में भर्ती हुए तकरीबन 40 फीसदी लोगों को गंभीर बीमारियां हुई थीं. दुख की बात यह रही कि उन लोगों को बचाया नहीं जा सका. तभी से इस वायरस की गंभीरता और मृत्यु दर ने डर पैदा कर दिया.
- वायरस और चमगादड़ के बीच का रिश्ता : निपाह वायरस एक जुनोटिक वायरस (zoonotic virus) है. यानी यह जानवरों से इंसानों में फैलता है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि हर चार में से तीन संक्रमण वाली बीमारियाँ इंसानों में जानवरों से आती है. चमगादड़ उड़ने वाले एकमात्र स्तनधारी हैं, और रोडेंट्स के बाद ये नंबर में सबसे ज्यादा है. वे मुख्यतः भोजन के लिए उड़ते हैं.
- वायरस और चमगादड़ के बीच का रिश्ता : The Flying Foxes यानी की उड़ने वाली लोमड़ी अपने साथ कई खतरनाक वायरस लेकर चलती है. अपने अंदर इतने वायरस होने के चलते चमगादड़ों ने स्वस्थ जीवन जीना सीख लिया, लेकिन इनके संपर्क में आने से इंसानों को गंभीर खतरा हो सकता है.
- वैज्ञानिकों का कहना है कि चमगादड़ों में ढेर सारे वायरस पाए जाते हैं जो अन्य जानवरों की तुलना में लोगों को ज्यादा संक्रमित करते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि सार्स, निपाह, इबोला और कोरोना वाले वायरस चमगादड़ों से ही इंसानों तक आए.
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक़ निपाह वायरस (NiV) एक तेज़ी से उभर रहा है.निपाह वायरस फलों और पेड़ों के जरिए इंसानों तक पहुंचाता है. भारत में भी निपाह के मामलों की वजह चमगादड़ों या संक्रमित फलों, खासतौर पर कच्चे खजूर के रस से सेवन से आए.
- साल 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए. खबरों के अनुसार इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले लिक्विड चखा था. जो फ्रूट बैट (Fruit Bat) से संक्रमित हो सकता है.
- साल 2001 के बाद, भारत और बांग्लादेश में भी निपाह वायरस के मामले सामने आने लगे.
- सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक़ निपाह वायरस का इंफ़ेक्शन एंसेफ़्लाइटिस का कारण बन सकता है. जिसमें दिमागी बुखार हो सकता है. तकरबीन आधे मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें हो सकती हैं.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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