Hypersomnia: अगर आपको बहुत ज्यादा नींद आ रही है, तो हो सकता है कि आप हाइपरसोमनिया (Hypersomnia) से पीड़ित हैं. बता दें, हाइपरसोमनिया के कई कारण हो सकते हैं. जिनमें नींद पूरी न होना, नींद संबंधी विकार, दवाएं और चिकित्सीय या मानसिक बीमारियां शामिल हैं. ऐसे में आइए जानते हैं इसके लक्षणों के बारे में और क्या यह बीमारी जानलेवा है?
जानें हाइपरसोमनिया के बारे में |Know about excessive sleepiness
हाइपरसोमनिया का अर्थ है अत्यधिक नींद आना. इसके कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं. बता दें, यह देर रात शिफ्ट में काम करने, पारिवारिक जरूरतों (जैसे कि नए बच्चे का आना), पढ़ाई या सामाजिक जीवन के कारण हो सकता है. अन्य कारणों में नींद संबंधी विकार, दवाइयां और चिकित्सीय व मानसिक बीमारियां शामिल हैं.
हाइपरसोमनिया के लक्षण क्या होते हैं | Know about Symptoms of hypersomnia|
हाइपरसोमनिया के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं. बता दें, हाइपरसोमनिया के लक्षणों में दिन में अत्यधिक नींद आना और रात में देर तक सोना है. इसके प्रमुख लक्षणों में पर्याप्त नींद के बाद भी लगातार नींद आना, जागने में कठिनाई, बार-बार झपकी लेना जो नींद से राहत नहीं देती है. इसी के साथ किसी चीज में फोकस करने में कठिनाई होती है. वहीं हाइपरसोमनिया के अन्य लक्षणों में चिंता, चिड़चिड़ापन और थकान शामिल हो सकते हैं.
बता दें,गंभीर मामलों में, हाइपरसोमनिया से ग्रस्त व्यक्ति रात में 12 घंटे या उससे ज्यादा गहरी नींद सो सकता है, लेकिन फिर भी उसे दिन में झपकी लेने की जरूरत महसूस हो सकती है. सोने और झपकी लेने से कोई फायदा नहीं हो सकता है, और दिमाग उनींदापन के कारण धुंधला सा रह सकता है. यह भी हो सकता है कि हाइपरसोमनिया से ग्रस्त व्यक्ति की नींद बहुत खराब हो, लेकिन उसे इसका एहसास न हो.
कैसे पहचानें आप हाइपरसोमनिया से ग्रस्त हैं? |How to know if you have hypersomnia?|
नीचे दिए गए लक्षणों को अगर आप महसूस करते हैं, तो इसका मतलब है, कि आप हाइपरसोमनिया से ग्रस्त हैं?
-हर समय असामान्य रूप से थका हुआ महसूस करना.
-दिन में झपकी लेने की जरूरत.
-सोने और झपकी लेने के बावजूद उनींदापन महसूस होना.
- जागने पर तरोताजा महसूस न होना.
- सोचने और निर्णय लेने में कठिनाई.
- मन 'धुंधला' महसूस होना.
- याददाश्त या कंसन्ट्रेशन में कठिनाई
- दुर्घटनाओं का बढ़ता जोखिम, खासकर मोटर वाहन दुर्घटनाओं का.
हाइपरसोमनिया के कारण |Causes of hypersomnia|
अपर्याप्त नींद - लंबे समय तक काम करने और ओवरटाइम करने से महीनों या सालों तक नींद आने के लक्षण दिखाई दे सकते हैं. इसी के साथ जो लोग देर रात घर में आते हैं या सुबह तक घर से बाहर रहते हैं, वे पूरे सप्ताह थके रह सकते हैं.
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पर्यावरण के कारण - नींद में खलल कई कारणों से पड़ सकता है, जैसे खर्राटे लेने वाला साथी, जागने वाला बच्चा, शोरगुल करने वाले पड़ोसी, गर्मी और सर्दी, या असुविधाजनक गद्दे पर सोना के कारण भी नींद पूरी नहीं होती है.
शिफ्ट वर्क - रात की शिफ्ट में काम कर रहे हैं तो अच्छी नींद लेना बहुत मुश्किल हो सकता है. इससे स्लीपिंग साइकिल बिगड़ जाता है.
मानसिक तनाव - चिंता व्यक्ति को रात में जगाए रख सकती है, जिससे उसे दिन में नींद आने की संभावना बढ़ जाती है. इसी के साथ मानसिक तनाव ऊर्जा को भी कम करता है.
क्या हाइपरसोमनिया जानलेवा है | Is hypersomnia life-threatening?|
हाइपरसोमनिया हमेशा जानलेवा नहीं होता, लेकिन इसके संभावित प्रभाव के कारण यह खतरनाक हो सकता है. अत्यधिक नींद आने से दुर्घटनाएं हो सकती हैं, खासकर वाहन चलाते या मशीनरी चलाते समय. इसके अलावा, हाइपरसोमनिया कई स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हो सकता है, जिनमें मनोदशा संबंधी विकार, हृदय रोग.
कैसे बचें हाइपरसोमनिया से |How to avoid hypersomnia|
अगर आप हाइपरसोमनिया से खुद का बचाव करना चाहते हैं, तो अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करना जरूरी है. ऐसे में आइए जानते हैं कुछ सुझाव के बारे में.
- सोने के समय सिगरेट, शराब और कैफीन ड्रिंक से बचें.
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करें और अपनी ऊंचाई के अनुसार नॉर्मल वजन बनाए रखें.
- पोषण संबंधी कमियों से बचने के लिए संतुलित आहार लें.
- सुनिश्चित करें कि आपको बिस्तर पर अधिक गर्मी या ठंड न लगे.
- रेगुलर नींद का रूटीन अपनाएं ताकि आपके शरीर को पता रहे कि सोने का समय हो गया है.
- जब आपको नींद आने लगे तभी बिस्तर पर जाएं.
बता दें, लाइफस्टाइल में कुछ सही बदलाव करके हाइपरसोमनिया को ठीक किया जा सकता है. अगर आपको फिर भी बहुत ज्यादा नींद आती है, तो अपने डॉक्टर या स्लीप डिसऑर्डर क्लिनिक से सलाह ले सकते हैं. घर पर इसके लिए कोई दवा खाने की भूल न करें.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)