What is blinking: सेहत के बारे ज्यादा जागरूक नहीं होने के चलते हम अपने शरीर की कई स्वाभाविक गतिविधियों को जल्दी नोटिस नहीं करते. जैसे सांसों का चलना या पलक झपकाना. कोरोना महामारी के दौर ने तमाम लोगों को सांसों के बारे में सावधान कर दिया. वहीं, पलक झपकाना या ब्लिकिंग को लेकर अब भी उतनी जागरूकता नहीं है. आइए, हम जानते हैं कि पलक झपकाना क्या है और इसके क्या कारण हैं? इसके अलावा इसके कितने प्रकार हैं और सेहतमंद रहने के लिए पलकों को कैसे झपकाएं?
पलक झपकाना क्या है (What is blinking)
पलक झपकाना या ब्लिंकिंग एक सामान्य और स्वस्थ आदत है. ऑटोनोमस नर्वस सिस्टम की बदौलत आपको पलक झपकाने के बारे में सोचने की जरूरत नहीं होती है. यह अपने आप होता है, लेकिन आप चाहकर भी पलक झपका सकते हैं.
पलक झपकाने के प्रकार (Types of blinking)
पलक झपकाने के तीन अलग-अलग प्रकार हैं. इनमें पहला है सहज पलक झपकाना. यह पलक झपकने का सबसे आम प्रकार है. यह अवचेतन रूप से होता है, जैसे सांस लेना. दूसरा है स्वेच्छा से पलक झपकाना. यह तब होता है जब आप जानबूझकर पलक झपकाते हैं. जैसे अगर आप पलक झपकाना चाहते हैं, तो आप कर सकते हैं और तीसरा है अचानक पलक झपकाना (कॉर्नियल प्रतिवर्त). इस प्रकार पलक झपकना तब होता है जब कोई चीज आपकी आंख के बहुत करीब आ जाती है या आपको खतरा महसूस होता है. जैसे अगर आप धूल भरी आंधी में फंस गए हों, या कोई बॉल आपके चेहरे के पास से गुजर जाए.
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पलक झपकाना क्यों जरूरी है? (Why is it important to blink?)
अगर आप पलक नहीं झपकाए तो आपकी आंखें सूख जाएगी. उसकी हालत असहज और दर्दनाक हो जाएंगी. आप साफ-साफ देख नहीं पाएंगे. आंखों में संक्रमण होने का जोखिम बहुत अधिक होगा. पलक झपकाना आपकी आंखों को कई तरह से स्वस्थ रखता है.
हर पलक झपकाना आपकी आंखों को जलन पैदा करने वाली चीजों और खतरे से बचाता है. आपकी आंखों में नमी बनाए रखने और उन्हें आराम पहुंचाने के लिए लैक्रिमल स्राव (आंसू) को आपकी आंखों की पुतलियों में फैलाता है. आंखों से मृत कोशिकाएं, सूखे आंसू और दूसरे मलबे को हटाता है. आपकी आंखों में ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाता है.
इंसान दिन में औसत कितनी बार पलक झपकाता है?
ज्यादातर वयस्क एक मिनट में लगभग 14 से 17 बार पलक झपकाते हैं. यानी हर घंटे 840 से 1,020 बार पलक झपकाना. अगर आप हर रात 8 घंटे सोते हैं, तो इसका मतलब है कि आप जागते समय दिन में लगभग 13,440 से 16,320 बार पलक झपकाते हैं. हालांकि, कुछ लोग कम पलक झपकाते हैं, तो कुछ ज्यादा. हालांकि, जब तक पलक झपकने की दर आपके लिए दिक्कत पैदा नहीं करती तब तक चिंता की कोई बात नहीं है.
स्क्रीन टाइम में पलकें झपकाने पर रखें ध्यान (Blinking During Screen Time)
रिसर्च से पता चलता है कि ज़्यादातर लोग कंप्यूटर या फोन पर देखते समय बहुत कम पलकें झपकाते हैं. जब हम स्क्रीन के सामने काम कर रहे होते हैं तो यह संख्या घटकर पांच बार रह जाती है. पलक झपकने की दर में यह भारी कमी आंखों में तनाव, थकान और क्रॉनिक ड्राई आई का कारण बन सकती है.
स्क्रीन के सामने बहुत ज़्यादा समय बिताते हैं, तो 20-20-20 नियम आजमाएं. स्क्रीन के हर 20 मिनट के समय के लिए, कम से कम 20 सेकंड के लिए कम से कम 20 फीट दूर किसी चीज को देखें. इसको रूटीन में शामिल करने से आंखों के तनाव, थकान और पुरानी सूखी आंखों को राहत में मदद मिल सकती है. इसके बावजूद आंखों में दर्द, जलन, सूजन, या आपकी रोशनी में अचानक बदलाव आने पर नजदीकी आई-स्पेशलिस्ट डॉक्टर से मिलें.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)