पारा ही नहीं यूटीआई और पथरी के मामले भी बढ़ा रही है गर्मी, तेज गर्मी के चलते बढ़ रही हैं ये बीमारियां

अपोलो स्पेक्ट्रा पुणे के यूरोलॉजिस्ट डॉ. पवन रहांगडाले ने आईएएनएस को बताया, "गर्मियों में पेशाब में पथरी की समस्या बढ़ने की संभावना रहती है. यह समस्या तब होती है जब गर्मी के कारण शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है. हर दिन 2 से 3 मरीज पेट दर्द की शिकायत लेकर इलाज के लिए आते हैं.''

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पुणे:

डॉक्टरों ने सोमवार को बताया कि प्रचंड गर्मी से लोगों में यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन और गुर्दे की पथरी के मामलों में वृद्धि देखने को मिल रही है. यूरिनरी ट्रैक्ट पथरी में खनिज और एसिड लवण के छोटे कठोर जमाव होते हैं जो पेशाब के गाढ़ा होने पर बनते हैं. डॉक्टरों ने इस स्थिति से बचने के लिए पर्याप्त पानी पीने की सलाह दी है. ऐसे में बॉडी को हाइड्रेट रखना महत्वपूर्ण है.

अपोलो स्पेक्ट्रा पुणे के यूरोलॉजिस्ट डॉ. पवन रहांगडाले ने आईएएनएस को बताया, "गर्मियों में पेशाब में पथरी की समस्या बढ़ने की संभावना रहती है. यह समस्या तब होती है जब गर्मी के कारण शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है. हर दिन 2 से 3 मरीज पेट दर्द की शिकायत लेकर इलाज के लिए आते हैं.''

डॉक्टर ने कहा, "गर्म मौसम में नियमित अंतराल पर पानी पीना चाहिए और पेशाब का रंग साफ पानी जैसा होना चाहिए. पीला पेशाब कम पानी पीने का संकेत देता है."

डॉक्टर ने सलाह देते हुए कहा कि लगातार पसीने के कारण हमारे शरीर में पानी की कमी हो जाती है. इसके लिए विशेष तौर पर ज्यादा से ज्यादा पानी की जरूरत है. आगे कहा कि पानी की कमी से पेशाब गाढ़ा होगा जिससे पथरी बन जाएगी. उन्होंने कहा, "अगर इसका इलाज नहीं किया तो पेशाब में पथरी वाले लोगों को गुर्दे में संक्रमण या गुर्दे की क्षति हो सकती है."

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डॉक्टरों के अनुसार, पीठ या पेट में तेज दर्द, मतली और पेशाब में खून आना, पेशाब करने की तुरंत इच्छा होना कुछ ऐसे सामान्य लक्षण हैं जिनका सामना लोगों को पेशाब में पथरी के कारण होता है. जि‍नोवा शाल्बी हॉस्पिटल के यूरोलॉजिस्ट डॉ. रविंदर होदरकर ने आईएएनएस को बताया कि ऐसे में पथरी का आकार कुछ सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है. उन्होंने कहा, "कुछ पथरी बिना किसी उपचार के अपने आप घुल जाती है, जबकि बड़ी पथरी के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है. गर्मी में पेशाब की पथरी होने की संभावना होती है.''

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विशेषज्ञों ने पथरी बनने की संभावना को कम करने के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव के लिए पालक, शकरकंद, चुकंदर और बादाम जैसे ऑक्सलेट युक्त खाद्य पदार्थों का कम सेवन करने की सलाह दी है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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