Sunita Williams Health Challenges: नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) और उनके साथी बुच विल्मोर (Butch Wilmore) ने 9 महीने के लंबे अंतरिक्ष मिशन के बाद सफलतापूर्वक पृथ्वी पर वापसी की है. यह मिशन केवल 8 दिनों का होना था, लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण यह 9 महीने तक विस्तारित हो गया. अब सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगी बुच विल्मोर 9 महीने के लंबे मिशन के बाद सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौट आए हैं. उनकी वापसी स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के माध्यम से फ्लोरिडा के तट पर हुई. यह मिशन केवल आठ दिनों का होना था, लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण यह नौ महीने तक बढ़ गया. अंतरिक्ष में इतने लंबे समय तक रहने के बाद उन्हें किन स्वास्थ्य समस्याओं का सामना पड़ा और उन्हें अब पृथ्वी पर किन शारीरिक और मानसिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. आइए समझते हैं.
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मसल्स और हड्डियों पर प्रभाव
सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी) के वातावरण में लंबे समय तक रहने से मांसपेशियों और हड्डियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. पीठ के निचले हिस्से, पैरों और कोर की मांसपेशियों की ताकत और आकार कम हो जाते हैं, क्योंकि उनका उपयोग शरीर के वजन को सहारा देने के लिए नहीं किया जाता. इसी तरह, हड्डियों खासतौ से रीढ़, कूल्हों और पैरों में मिनरल की कमी हो जाती है, जिससे फ्रैक्चर का जोखिम बढ़ जाता है. पृथ्वी पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को खड़े होने, चलने और संतुलन बनाने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उनकी मस्कुलोस्केलेटल प्रणाली गुरुत्वाकर्षण के अनुरूप पुन: समायोजित हो रही होती है.
हार्ट रिलेटेड प्रोब्लम्स
अंतरिक्ष में हार्ट को उतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती, जिससे मांसपेशियों का नुकसान हो सकता है. पृथ्वी पर लौटने के बाद यह हृदय संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है. सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में हार्ट अपना आकार बदल सकता है, जिससे हार्ट रिलेटेड समस्याएं हो सकती हैं.
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आंखों की रोशनी से जुड़ी समस्याएं
अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने से आंखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है, क्योंकि सिर में दबाव बढ़ जाता है, जिससे ऑप्टिक नर्व पर असर पड़ता है. कुछ अंतरिक्ष यात्रियों को धुंधला दिखने लगता है, जिससे वे पढ़ने-लिखने में दिक्कत महसूस कर सकते हैं.
मानसिक स्वास्थ्य और अवसाद का खतरा
लंबे समय तक एकांतवास और अनिश्चितता के कारण तनाव, चिंता और यहां तक कि अवसाद भी हो सकता है. मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अंतरिक्ष एजेंसियां स्ट्रक्चर्ड रूटीन, परिवार और मनोवैज्ञानिकों के साथ निर्धारित संचार, फिल्में, संगीत तथा पढ़ने जैसी मनोरंजक गतिविधियों को लागू करती हैं.
विकिरण का प्रभाव
अंतरिक्ष में हाई एनर्जी कॉस्मिक विकिरण से कोई सुरक्षा नहीं होती. अंतरिक्ष यात्री सूर्य से हाई लेवल की विकिरण का सामना करते हैं, जो पृथ्वी पर हर दिन एक सीने का एक्स-रे लेने के बराबर होता है. 9 महीने में सुनीता विलियम्स ने लगभग 270 एक्स-रे के बराबर विकिरण का सामना किया. लंबे समय तक इस विकिरण के संपर्क में आने से इम्यूनिटी तंत्र कमजोर हो सकती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है और घाव भरने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है. इसके अलावा, हार्ट रिलेटेड बीमारियों और कुछ कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है.
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बैलेंस और ब्लड सर्कुलेशन की समस्या
अंतरिक्ष में शरीर का तरल पदार्थ सिर की ओर बढ़ जाता है, जिससे संतुलन और ब्लड सर्कुलेशन पर असर पड़ता है. पृथ्वी पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को चक्कर आने, ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव और खड़े होने में परेशानी हो सकती है. गुरुत्वाकर्षण के बिना, हार्ट को ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं होती, जिससे यह थोड़ा कमजोर हो सकता है. वापसी के बाद धीरे-धीरे सामान्य गतिविधियां शुरू करने और व्यायाम करने से ये समस्याएं ठीक हो सकती हैं.
हार्ट हेल्थ में बदलाव
माइक्रोग्रैविटी में हार्ट को ब्लड पंप करने में उतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती, जिससे हार्ट का आकार बदल सकता है. शोधों से पता चला है कि अंतरिक्ष यात्रियों के हार्ट का आकार लगभग 9.4 प्रतिशत ज्यादा गोल हो जाता है. पृथ्वी पर लौटने के बाद, हृदय को फिर से सामान्य कार्यप्रणाली में आने में समय लग सकता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)