साइकोसिस से पीड़ित लोगों में खराब पाए गए दो ब्रेन सिस्टम, वास्तविक चीजों को पहचानने में होती है परेशानी : अध्ययन

अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में साइकेट्री और बिहेवियर साइंसेज के प्रोफेसर विनोद मेनन ने कहा, वे इस तरह से खराब हो जाते हैं कि रिअलिटी से जुड़े थिंकिग ब्रेन नेटवर्क पर कब्जा कर लेते हैं.

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शोधकर्ताओं ने कहा कि साइकोसिस में मरीज कन्फ्यूजन का अनुभव करते हैं.
New Delhi:

यूएस के नेतृत्व में किए गए एक नए शोध के अनुसार, साइकोसिस का अनुभव करने वाले लोगों में ब्रेन के दो सिस्टम अनुचित तरीके से काम करते पाए गए हैं, जहां उन्हें यह पहचानने में परेशानी होती है कि क्या रियल है और क्या नहीं है. शोधकर्ताओं ने बताया कि फिल्टरिंग सिस्टम या सैलिएंस नेटवर्क, हमें तर्कहीन विचारों को खारिज करने में मदद करता है ताकि हम उस पर फोकस कर सकें जो हमारे लिए वास्तविक और सार्थक है, जैसे कि ड्राइविंग करते समय ट्रैफिक पर ध्यान देना.

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उन्होंने कहा, डोपामाइन से चलने वाले रिवॉर्ड प्रेडिक्शन सिस्टम, यह अनुमान लगाने के लिए जरूरी है कि क्या फायदेमंद और क्या नहीं. अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में साइकेट्री और बिहेवियर साइंसेज के प्रोफेसर विनोद मेनन ने कहा, वे इस तरह से खराब हो जाते हैं कि रिअलिटी से जुड़े थिंकिग ब्रेन नेटवर्क पर कब्जा कर लेते हैं.

'मॉलीक्यूलर साइकिएट्री' पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के वरिष्ठ लेखक मेनन ने कहा, "यह प्रक्रिया कॉग्नेटिव कंट्रोल के सामान्य कामकाज को पटरी से उतार देती है, जिससे घुसपैठिए विचार हावी हो जाते हैं, जो साइकोसिस जैसे लक्षण दिखाते हैं"

इन लक्षणों से गुजरते हैं साइकोसिस के मरीज:

शोधकर्ताओं ने कहा कि साइकोसिस में मरीज कन्फ्यूजन का अनुभव करते हैं, जैसे आवाजें सुनना और भ्रमपूर्ण विश्वास रखते हैं, जैसे कि यह सोचना कि जो लोग वास्तविक नहीं हैं, वे मौजूद हैं. यह स्थिति या तो अपने आप उत्पन्न होती है या बाइपोलर डिसऑर्डर और सिजोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारियों के लक्षण के रूप में जानी जाती है.

अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने साइकोसिस से पीड़ित 6-39 साल की आयु के लोगों के ब्रेन स्कैन का विश्लेषण किया. उन्होंने पाया कि साइकोसिस में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले दो ब्रेन एरिया एंटीरिया इंसुला थे, जो लार या 'फ़िल्टरिंग' नेटवर्क का एक बड़ा हिस्सा है.

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साइकेट्री और बिहेवियर साइसेज के क्लिनिकल एसोसिएट प्रोफेसर, मुख्य लेखक कौस्तुभ सुपेकर के अनुसार, सिजोफ्रेनिया की ग्रोथ को समझने के लिए एक अच्छा मॉडल प्रदान करते हैं.

क्या निष्कर्ष निकला?

सुपेकर ने कहा, "सिजोफ्रेनिया में डायग्नोस के समय तक ब्रेन में पहले ही बहुत सारी डैमेज हो चुकी होती है और डिजीज कोर्स को बदलना बहुत मुश्किल हो सकता है."

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उन्होंने कहा, "हमने जो देखा वह यह है कि शुरुआत में, सिमिलर ब्रेन सिस्टम के भीतर ब्रेन एरिया के बीच फंक्शनल इंट्रेक्शन होता है," उन्होंने आगे कहा, "एब्नॉर्मेलिटी तब शुरू नहीं होती जब आप 20 साल के होते हैं; वे तब भी साफ होती हैं जब आप 7 या 8 साल के होते हैं."

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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