Stammering Problem: आखिर क्यों हकलाते हैं लोग, क्या है वजह? इन तरीकों को अपनाएं और बोलें बिना रुके

Stammering Treatment: आज हम बात करेंगे कि हकलाना आखिर क्या होता है, किस तरह की परेशानियां होती हैं और इसका क्या इलाज हो सकता है.

विज्ञापन
Read Time: 27 mins
जानें यह किस तरह की परेशानियां होती हैं और इसका क्या इलाज हो सकता है.

Stammering In Hindi: हकलाना या रुक रुककर बोलना एक कॉमन प्रॉब्लम है जो दुनिया भर की लगभग 1% आबादी को प्रभावित करती है. ये एक ऐसा स्पीच डिसऑर्डर है जिसमें इंसान बोल पाने में नार्मल फ्लो को तोड़ देता है. इसकी वजह से शब्द को दोहराने और शब्द के बीच में लंबा गैप लेने लगता है. हकलाने की समस्या का कोई एक इलाज नहीं है. इसके लिए कुछ एक्सरसाइज और थेरेपी की मदद ली जाती है. आज हम बात करेंगे कि हकलाना आखिर क्या होता है, किस तरह की परेशानियां होती हैं और इसका क्या इलाज हो सकता है.

हीटस्ट्रोक से बचने के लिए क्या करें? जानें इसके लक्षण और कारण, गर्मियों में सेल्फ केयर के लिए जरूरी बातें

क्या होता है हकलाना? (What Is Stuttering)

हकलाना एक भाषा का विकार है जिसकी वजह से बोलने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. बोलने में अटकना और बात के बीच में लंबा गैप होने को हम हकलाना कह सकते हैं.  हकलाने की समस्या हमारी भाषा के लो और बातचीत के तरीके को प्रभावित करती है. हकलाना एक ऐसी समस्या है जिससे विश्व भर में करोड़ों लोग पीड़ित हैं हालांकि कई स्टडीज में यह बात सामने आई है कि पुरषों में स्त्रियों की तुलना में 4 गुना ज्यादा हकलाने की समस्या होती है. 

Advertisement

आखिर क्यों हकलाते हैं लोग? (Why Do People Stammer)

1) जेनेटिक

कई बीमारियां आपको आपके परिवार से मिलती हैं. हकलाना भी उनमें से एक है. अगर आपके किसी क्लोज या फैमिली मेंबर में कोई ऐसा है जो हकलाता था या अभी भी हकलाता है तो आपको ये हकलाने की समस्या विरासत में मिल सकती है. ऐसी संभावना जताई जाती है कि हकलाने में कई जींस शामिल होते हैं. हालांकि अनुवांशिकी पूरी तरह हकलाने के लिए जिम्मेदार नहीं है. एक जैसे जुड़वा बच्चों के अध्ययन से पता चला है कि एक हकला सकता है जबकि दूसरा नहीं.यह बताता है कि हकलाने में कई और दूसरे फैक्टर भी शामिल होते हैं.

Advertisement

मेहंदी को सिर्फ हाथों और बालों पर ही नहीं, इन जगहों पर लगाने से भी मिलते हैं जबरदस्त स्वास्थ्य लाभ

Advertisement

2) ब्रेन फंक्शन

ब्रेन इमेजिंग स्टडीज से पता चला है कि हकलाने वाले लोगों के मस्तिष्क के विकसित होने के तरीके में मिक्रो डिफ़रेंस होता है. स्पीच सिग्नल में ब्रेन के प्रोसेस में थोड़ा सा अंतर होता है, इसके अलावा ब्रेन के कुछ पार्ट के स्ट्रक्चर में भी कुछ मामूली अंतर होते हैं.  यह अंतर 3 साल की उम्र के बच्चों में देखा जा सकता है. तो कुछ लोग क्यों हकलाते हैं ये पता लगाने के लिए इन डिफरेंसेस को समझना बेहद जरूरी है.

Advertisement

3) एनवायरमेंटल या सिचुएशनल फैक्टर

हकलाने वाले लोगों को अक्सर आपने ये कहते हुए सुना होगा कि जब प्राकृतिक प्रवाह होता है और चीजें सुचारू रूप से चल रही होती हैं,  उस परिस्थिति में वो आराम से बोल पाते हैं. एग्जांपल के लिए जब ये लोग उन लोगों के बीच होते हैं जो इनके साथ अच्छे से व्यवहार करते हैं तो  इस समस्या का उन्हें कम सामना करना पड़ता है. वहीं  इसके विपरीत जब उनमें ज्यादा दबाव होता है और कई लोगों के बीच उन्हें बात करने को कहा जाता है तब वो घबरा जाते हैं और अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते. प्रेशर के चलते ज्यादा हकलाने लगते हैं.

Food For Heart Health: स्वस्थ और सुरक्षित दिल चाहते हैं तो इन 5 चीजों से आज ही बना लें दूरी, वर्ना बाद में होगा दुख

 इसके अलावा बोलने में काम आने वाली मसल्स का जीभ पर कंट्रोल ना होने से भी हकलाने की समस्या हो सकती है. 
न्यूरोलॉजिकल रीजंस पर नजर डालें तो दिमाग के लेफ्ट साइड में कुछ गड़बड़ी होने से भी यह समस्या हो सकती है. 
 जब ज्यादा नर्वस हो या ज्यादा एक्साइटमेंट हो तब भी इस तरह हकलाने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. 

जानें क्या है इलाज:

हकलाने का पहला इलाज है डायरेक्ट थेरेपी. अगर बचपन से ही हकलाना शुरू होता है और चलता जाता है तो स्पीच थैरेपिस्ट डायरेक्ट बच्चे से बात कर सकते हैं. इस थेरेपी में ऐसे तरीके हैं जिनकी मदद से हकलाने पर कंट्रोल किया जा सकता है.
अगर ब्रेन में किसी तरह का नुकसान पहुंचने की वजह से ‘हकलाना' शुरू हुआ है तो आप न्यूरोलॉजिस्ट की मदद ले सकते हैं.  न्यूरोलॉजिस्ट की टीम पता लगाती है कि ब्रेन के किस पार्ट में चोट लगी है और थेरैपी और दवाइयों की मदद से कैसे हकलाने को ठीक किया जा सकता है.
अगर ‘हकलाने की समस्या किसी ट्रॉमा की वजह से शुरू हुई है तो ट्रॉमा फ़ोकस्ड थेरैपी काम करती है. इसके लिए साइकॉलजिस्ट से कंसल्ट किया जा सकता है.
हकलाने के बाद जो मेन्टल स्ट्रेस होता है जैसे डर, घबराहट, अपने बारे में नेगेटिव राय, इसका इलाज करना भी बहुत ज़रूरी है. ऐसा कॉग्निटिव बिहेवियर थेरैपी की मदद से किया जा है. इसमें ट्रेन्ड एक्सपर्ट मरीज से बात करते हैं और समझाते हैं. उन्हें ये समझा जाता है कि बोलते समय अपने एंजाइटी और स्ट्रेस पर  कैसे काबू किया जा सकता है. इसके अलावा जल्दबाजी में ना बोलें और अपने बारे में नेगेटिव राय न बनाएं.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

Featured Video Of The Day
Jaipur CNG Tanker Blast: 2 दिन में 3 राज्यों में 3 बड़े हादसे | Bus Fire News