Nasha Chhudane Ki Aadat: आज की तेज रफ्तार जिंदगी में बहुत से लोग ऐसी आदतों में फंस जाते हैं जो धीरे-धीरे शरीर और दिमाग दोनों को नुकसान पहुंचाती हैं. धूम्रपान, शराब या अन्य नशे की चीजें शुरुआत में तनाव से बचने या मजे के लिए ली जाती हैं. लेकिन, फिर ये धीरे-धीरे जरूरत बन जाती हैं. लाखों लोग इनसे छुटकारा पाना चाहते हैं, लेकिन बार-बार की कोशिश के बाद भी नहीं निकल पाते. ऐसे में सवाल उठता है, क्या ध्यान और योग वाकई इस लत से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं? आइए जानते हैं क्या कहते हैं श्री श्री रवि शंकर.
नशे की लत छुड़ाने के लिए क्या करें? (How To Quitting Addictive Habits)
नशा सिर्फ शारीरिक नहीं, इसकी मानसिक जड़ें भी गहरी होती हैं
जब कोई व्यक्ति रोज नशे की आदत दोहराता है, तो उसका दिमाग एक खास रासायनिक प्रक्रिया का आदी बन जाता है. स्मोकिंग या शराब लेने से ब्रेन में एक सुखद अनुभव पैदा होता है और दिमाग उसी अनुभव को बार-बार पाना चाहता है. यही आदत धीरे-धीरे लत बन जाती है. ये सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और मानसिक जुड़ाव भी होता है, जिससे बाहर निकलना आसान नहीं होता.
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ध्यान और योग कैसे मदद करते हैं
ध्यान यानी मेडिटेशन और योग का असर शरीर के साथ-साथ मन पर भी होता है. जब कोई व्यक्ति रोजाना कुछ मिनट भी ध्यान करता है, तो उसका मन धीरे-धीरे शांत होने लगता है. एक शांत मन अपने अंदर की भावनाओं और आदतों को बेहतर समझ पाता है. योग के साथ जब ध्यान किया जाता है, तो शरीर में सकारात्मक एनर्जी बढ़ती है. नकारात्मक विचार और इच्छाएं धीरे-धीरे कम होने लगती हैं. इसका असर ये होता है कि व्यक्ति को नशे की जरूरत महसूस होना कम होने लगता है.
विज्ञान क्या कहता है?
अमेरिका, यूरोप और भारत में कई रिसर्च से ये साबित हो चुका है कि ध्यान और योग से नशे की आदतें कम करने में मदद मिलती है. मेडिकल साइंस कहता है कि ध्यान करने से दिमाग में डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे प्राकृतिक हार्मोन एक्टिव होते हैं, जो अच्छा महसूस कराने में मदद करते हैं. जब ये हार्मोन स्वाभाविक रूप से बनने लगते हैं, तो बाहर से किसी नशे की जरूरत महसूस नहीं होती.
कई लोगों के अनुभव बनते हैं मिसाल
दुनिया भर में ऐसे हजारों उदाहरण हैं जहां लोगों ने सिर्फ ध्यान और योग से शराब, सिगरेट या ड्रग्स जैसी आदतों को छोड़ा है. किसी ने किसी क्लास में शामिल होकर शुरुआत की, तो किसी ने घर पर ही वीडियो देखकर ये यात्रा शुरू की. शुरुआत थोड़ी मुश्किल लग सकती है, लेकिन धीरे-धीरे बदलाव साफ दिखने लगता है.
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भारत से निकली रोशनी
ध्यान और योग की जड़ें भारत में हैं और आज पूरी दुनिया इसे अपना चुकी है. चाहे स्कूल हों, अस्पताल हों या जेलें, आज हर जगह योग और ध्यान को एक इलाज की तरह अपनाया जा रहा है. ये भारत की सबसे बड़ी देन है, जिसने जीवन को बदलने का तरीका सिखाया है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)