Invisible Illness Causes: बहुत से लोगों के साथ ऐसा होता है कि वे लगातार थकान, सिरदर्द, पेट की गड़बड़ी, नींद न आना, चिड़चिड़ापन, जोड़ों में दर्द या बार-बार सर्दी-जुकाम जैसी परेशानियों से जूझते रहते हैं. डॉक्टर के पास जाते हैं. ब्लड टेस्ट, शुगर, थायरॉइड, बीपी, अल्ट्रासाउंड तक करा लेते हैं, लेकिन रिपोर्ट आती है सब नॉर्मल. ऐसे में मन में सवाल उठता है अगर सब कुछ ठीक है तो मैं ठीक क्यों महसूस नहीं कर रहा? अक्सर लोगों के साथ ऐसा होता है कि रिपोर्ट नॉर्मल होती है और वे बीमार फील करते हैं.
यह स्थिति सिर्फ एक-दो लोगों की नहीं, बल्कि आज की तेज और तनाव भरी लाइफस्टाइल में लाखों लोग इससे गुजर रहे हैं. असलियत यह है कि हर बीमारी रिपोर्ट में साफ-साफ नहीं दिखती. कई बार शरीर अंदर से कमजोर होता है, लेकिन टेस्ट उसे पकड़ नहीं पाते. आइए आसान भाषा में समझते हैं कि ऐसा क्यों होता है.
टेस्ट कराने के बाद भी बीमारी पकड़ में क्यों नहीं आती? | Why is the Disease Not Detected Even After Testing?
1. रिपोर्ट बीमारी नहीं, सीमा (Range) बताती है
ज्यादातर मेडिकल रिपोर्ट एक तय सीमा (नॉर्मल रेंज) पर बेस्ड होती हैं. मान लीजिए किसी विटामिन या हार्मोन की निचली सीमा पर आपकी वैल्यू है, तो रिपोर्ट उसे नॉर्मल दिखा देगी, लेकिन शरीर को वह मात्रा पर्याप्त नहीं होगी. यानी रिपोर्ट नॉर्मल है, पर शरीर ऑप्टिमल लेवल पर नहीं चल रहा.
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2. माइक्रो न्यूट्रिएंट की कमी पकड़ में नहीं आती
आयरन, विटामिन B12, विटामिन D, मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों की हल्की कमी से भी थकान, चक्कर, उदासी, मांसपेशियों में दर्द, ध्यान न लगना जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. अक्सर लोग केवल बेसिक जांच कराते हैं, जिसमें ये कमियां सामने नहीं आतीं.
3. स्ट्रेस और एंग्जायटी की बीमारी रिपोर्ट में नहीं दिखती
लंबे समय तक तनाव में रहना शरीर को अंदर से खोखला कर देता है. लेकिन, स्ट्रेस, एंग्जायटी, बर्नआउट, हल्का डिप्रेशन किसी भी ब्लड टेस्ट में नहीं दिखता. इनका असर नींद, पाचन, हार्मोन और इम्यूनिटी पर पड़ता है, जिससे इंसान खुद को बीमार महसूस करता है.
4. पाचन तंत्र कमजोर है, पर जांच सामान्य है
अगर खाना सही से नहीं पच रहा, गैस, एसिडिटी, कब्ज या ब्लोटिंग रहती है, तो शरीर को पोषण नहीं मिलेगा. नतीजा कमजोरी, सुस्ती और बार-बार बीमार पड़ना. अक्सर अल्ट्रासाउंड या सामान्य टेस्ट में यह समस्या पकड़ में नहीं आती.
5. हार्मोन का असंतुलन शुरुआती स्टेज में छिपा रहता है
थायरॉइड, कोर्टिसोल, इंसुलिन जैसे हार्मोन जब थोड़ा-सा बिगड़ते हैं, तब रिपोर्ट नॉर्मल आ सकती है. लेकिन, शरीर संकेत देने लगता है, वजन बढ़ना या घटना, मूड स्विंग, नींद खराब, थकान यानी बीमारी शुरू हो चुकी होती है, पर रिपोर्ट उसे अभी पहचान नहीं पाती.
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6. नींद पूरी न होना सबसे बड़ा छुपा कारण
अगर आप रोज 7–8 घंटे की गहरी नींद नहीं लेते, तो इम्यूनिटी कमजोर, हार्मोन गड़बड़, शरीर की रिपेयर प्रक्रिया रुक जाती है. लेकिन, नींद की कमी किसी जांच रिपोर्ट में नहीं आती.
7. लाइफस्टाइल की गलतियां जो बीमारी बन जाती हैं
घंटों मोबाइल-स्क्रीन देखना, फिजिकल एक्टिविटी की कमी, गलत समय पर खाना, ज्यादा चाय-कॉफी, पानी कम पीना ये सब धीरे-धीरे शरीर को बीमार करते हैं, लेकिन रिपोर्ट में कुछ खास नहीं दिखता.
8. शरीर संकेत देता है, हम अनदेखा कर देते हैं
शरीर पहले छोटे संकेत देता है सुबह उठते ही थकान, बिना वजह दर्द, बार-बार बीमार होना, मन भारी रहना. अगर इन्हें नजरअंदाज किया जाए, तो बड़ी बीमारी की जमीन तैयार होती है.
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क्या करें अगर रिपोर्ट नॉर्मल है लेकिन तबीयत ठीक नहीं?
- सिर्फ रिपोर्ट पर नहीं, लक्षणों पर ध्यान दें.
- पोषण और नींद सुधारें.
- तनाव कम करने के उपाय अपनाएं.
- जरूरत हो तो डॉक्टर से एडवांस या स्पेशल टेस्ट पर बात करें.
- शरीर को समय दें, सिर्फ दवा नहीं, आदतें भी बदलें.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














