Vitamin D Source: विटामिन डी एक fat-soluble विटामिन है, जो हड्डियों (Bones) की सेहत को बेहतर बनाए रखने और इम्यून सिस्टम (Immune System) को सपोर्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ये शरीर को रूटीन डाइट (Routine Diet) से कैल्शियम और फास्फोरस को अब्जॉर्ब करने में मदद करता है, जो हड्डियों के लिए जरूरी होता हैं. इसके अलावा, विटामिन डी (Vitamin D) मसल्स और सेल्स को बनाने और सूजन को कम करने का भी काम करता है. लेकिन ये विटामिन हमें कहां-कहां से मिल सकता है, इस बारे में NDTV ने ऑर्थोपेडिक डॉ. ईश्वर बोहरा से की खास बातचीत.
सवाल- विटामिन डी के सोर्स कौन-कौन से हो सकते हैं?
जवाब- डॉ. ईश्वर बोहरा ने बताया कि विटामिन डी का प्राइमरी सोर्स सूरज की रोशनी है, क्योंकि यूवीबी किरणों के संपर्क में आने पर स्किन इसे अब्जॉर्ब करती है. अगर आप रेगुलर कोई एक्टिविटी या स्पोर्ट्स खेलते हैं तो इससे भी आपको विटामिन डी मिलता है. वहीं, गर्वमेंट की गाइडलाइन के अनुसार 45 ऐसे फूड हैं, जिसमें विटामिन डी पाया जाता है. इसमें फैटी फिश (जैसे सैलमन और मैकेरल), डेयरी उत्पाद ( घी, दूध, दही, मक्खन ), अंडे की जर्दी और कुछ मशरूम शामिल हैं. हालांकि, अकेले डाइट के जरिए पर्याप्त विटामिन डी लेना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, इसलिए रोजाना 15-20 मिनट या हफ्ते में 3 बार 25-25 मिनट तक सूर्य की किरणें हमें लेनी चाहिए. साथ ही सप्लीमेंट्स भी विटामिन डी की कमी को पूरा कर सकते हैं.
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सवाल- क्या विटामिन बी का ओवरडोज नुकसानदायक है?
जवाब- विटामिन डी के ओवरडोज पर बात करते हुए डॉक्टर बोहरा ने बताया कि विटामिन डी का ओवरडोज बहुत रेयर कंडीशन में होता है, वो भी ज्यादातर बच्चों के अंदर देखा जाता है. दरअसल, विटामिन डी फैट सॉल्युबल विटामिन है, जो बॉडी के अंदर स्टोर हो जाता है. लेकिन ज्यादा देर सनलाइट में बैठने से स्किन पिगमेंटेशन हो सकता है और त्वचा झुलस कर काली पड़ सकती है. वहीं अगर आप सप्लीमेंट के तौर पर विटामिन डी लेते हैं, तो इसका ओवरडोज करने से बचना चाहिए. इसके लिए हर 6 महीने में विटामिन डी का टेस्ट करवाएं और उसे मेंटेन करने के लिए आप मंथली, वीकली या रेगुलर भी अपने विटामिन डी के डोज का इंटेक कर सकते हैं. साथ ही अपनी डाइट के अंदर विटामिन डी के नेचुरल सोर्स को लेने से भी ये लेवल में रहता है.
सवाल- क्या पूरी तरह से विटामिन डी सप्लीमेंट्स डिपेंड पर रहना ठीक है?
जवाब- डॉक्टर ईश्वर बोहरा ने बताया कि विटामिन डी के नेचुरल सोर्स और सप्लीमेंट दोनों ही फायदेमंद होते हैं, लेकिन जब आपके पास नेचुरल सोर्स जैसे सनलाइट और कुछ फूड आइटम्स अवेलेबल हैं, तो सप्लीमेंट्स लेने से हमें बचना चाहिए. सनलाइट से बनने वाला विटामिन डी सबसे बेस्ट क्वालिटी का विटामिन होता है. दूसरी ओर अगर आप सप्लीमेंट के तौर पर विटामिन डी लेते हैं, तो कई बार इसे बंद करने से विटामिन डी अचानक से कम भी हो जाता है. ऐसी स्थिति में विटामिन डी के साथ मैग्नीशियम की दवाइयां भी दी जाती है.
(डॉ. ईश्वर बोहरा, एसोसिएट डायरेक्टर, आर्थोपेडिक्स, बीएलके सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली)
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