नॉन वेज, खराब नींद और मोटापा से महिलाओं में बढ़ रहा स्तन कैंसर का खतरा, ICMR की स्टडी में खुलासा

साल 2022 में भारत में स्तन कैंसर के 2,21,757 नए मामले दर्ज किए गए, जो देश में महिलाओं में होने वाले सभी कैंसरों का करीब 23 प्रतिशत है. देश में प्रति वर्ष स्तन कैंसर के मामलों में 5.6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो रही और लगभग 50 हजार केस हर साल नए आ रहें हैं.

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पहला बच्चा 30 साल से बाद होने वाली महिलाओं में खतरा काफी ज्यादा है.

नई दिल्ली: मोटापा, मांसाहारी आहार और अपर्याप्त नींद के कारण महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा बढ़ रहा हैं. ये जानकारी सामने आई है भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के नए अध्ययन में जिसे नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च (NCDIR) बेंगलुरु ने किया है. स्टडी के अनुसार, देश में प्रति वर्ष स्तन कैंसर के मामलों में 5.6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो रही और लगभग 50 हजार केस हर साल नए आ रहें हैं.

यह स्टडी 22 दिसंबर 2024 तक भारत में छपी सभी रिसर्च का विश्लेषण है, जिसमें पहचाने गए 1,871 अध्ययनों में से 31 को मूल्यांकन में शामिल किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में दुनिया भर में करीब 23 लाख महिलाओं को स्तन कैंसर हुआ, जिसमें से 6.7 लाख की मौत हो गए. साल 2022 में भारत में स्तन कैंसर के 2,21,757 नए मामले दर्ज किए गए, जो देश में महिलाओं में होने वाले सभी कैंसरों का करीब 23 प्रतिशत है.

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शादी देर में होने से जोखिम ज्यादा:

अध्ययन में बताया गया है कि  50 वर्ष से पहले रजोनिवृत्ति (Menopause) मेनोपॉज कैंसर के कम जोखिम से जुड़ी हैं जबकि  रजोनिवृत्ति 50 साल के बाद होने पर स्तन कैंसर का जोखिम महिलाओं में दो गुना से ज्यादा बढ़ जाता है. स्टडी में शादी और मातृत्व से जुड़े कई कारकों का प्रभाव सामने आया कि शादी की उम्र जितनी ज्यादा, जोखिम उतना ज्यादा है.

प्रेरित गर्भपात बढ़ा रहा जोखिम

रिपोर्ट के अनुसार, जिन महिलाओं के दो या ज्यादा प्रेरित गर्भपात (Induced Abortion) हुए, उनमें खतरा 1.68 गुना ज्यादा पाया गया. पहला बच्चा 30 साल से बाद होने वाली महिलाओं में खतरा काफी ज्यादा है. चौकाने वाली बात यह है कि स्तनपान की अवधि और गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग इन दोनों का स्तन कैंसर जोखिम से कोई अहम संबंध नहीं मिला.

अध्ययन में यह भी पता चला कि कि लगातार मांसाहारी भोजन (खासतौर से हाई-फैट डाइट, रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट) लेने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा ज्यादा था. यह हाई फैट और हार्मोनल प्रभाव (Estrogen ) बढ़ाने से जुड़ा है. इसी तरह नींद की खराब क्वालिटी, अनियमित सोना-जागना और रोशनी में सोना ये सभी कारक स्तन कैंसर के जोखिम से जुड़े मिले. हालांकि अलग-अलग अध्ययनों में हाई स्ट्रेस लेवल को भी जोखिम बढ़ाने वाला पाया गया, लेकिन मापने के तरीकों में अंतर होने के कारण इसे निर्णायक प्रमाण नहीं माना गया.

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शरीर की चर्बी भी खतरनाक

शोधकर्ताओं का कहना है कि शरीर द्रव्यमान सूचकांक (BMI) से ज्यादा खतरनाक पेट की चर्बी है. पेट के आसपास जमा वसा भारतीय महिलाओं के लिए बीएमआई से ज्यादा जोखिमकारी है. मतलब कुल वजन से ज्यादा जरूरी यह बात है कि चर्बी शरीर में कहां इकठ्ठा हो रही है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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