National Voluntary Blood Donation Day: ब्लड डोनेट करना आपके लिए भी फायदेमंद, जानिए कैसे

National Voluntary Blood Donation Day: भारत में हर साल 1 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस मनाया जाता है. यह दिन उन सभी स्वैच्छिक रक्तदाताओं को सम्मानित करने और रक्तदान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
National Voluntary Blood Donation Day: 1 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस मनाया जाता है.

National Voluntary Blood Donation Day: भारत में हर साल 1 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस मनाया जाता है. यह दिन उन सभी स्वैच्छिक रक्तदाताओं को सम्मानित करने और रक्तदान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है, जो निःस्वार्थ भाव से दूसरों के जीवन को बचाने के लिए आगे आते हैं. राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस की शुरुआत 1975 में भारतीय रक्त आधान एवं प्रतिरक्षा रक्ताधान विज्ञान सोसायटी और रक्तदान जागरूकता अभियान से जुड़ी संस्थाओं के सहयोग से की गई थी. 

इसका उद्देश्य देश में सुरक्षित रक्त की आवश्यकता को पूरा करना और लोगों को स्वेच्छा से नियमित रूप से रक्तदान करने के लिए प्रेरित करना है. भारत में हर साल लाखों लोगों को दुर्घटनाओं, ऑपरेशनों, प्रसव, कैंसर, एनीमिया और थैलेसीमिया जैसी बीमारियों के इलाज के लिए रक्त की आवश्यकता होती है. समय पर रक्त की अनुपलब्धता के कारण कई जानें भी चली जाती हैं. ऐसे में स्वैच्छिक रक्तदाता एक मसीहा की भूमिका निभाते हैं.

ये भी पढ़ें: राजस्थान में कफ सीरप पीने से बच्चे की हुई मौत, जानिए दवा खरीदते समय और खाते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी

रक्तदान सिर्फ खून ग्रहण करने वाले के लिए नहीं, खून देने वाले के लिए भी फायदेमंद होता है. नियमित रक्तदान से आयरन लेवल नियंत्रित रहता है, जिससे दिल की बीमारियों की संभावना कम होती है. रक्तदान के बाद शरीर में नई रक्त कोशिकाएं बनती हैं, जिससे रक्त संचार बेहतर होता है. एक बार रक्तदान करने से लगभग 650 कैलोरी तक बर्न होती हैं, जो वजन प्रबंधन में सहायक हो सकती है. साथ ही रक्तदान से पहले आपकी मुफ्त स्वास्थ्य जांच होती है, जिसमें रक्तचाप, हीमोग्लोबिन, एचआईवी, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों की जांच की जाती है.

रक्तदान के लिए कुछ आवश्यक शारीरिक और स्वास्थ्य मापदंड निर्धारित किए गए हैं ताकि यह प्रक्रिया रक्तदाता और रक्त प्राप्तकर्ता दोनों के लिए सुरक्षित बनी रहे. रक्तदाता की उम्र 18 से 65 वर्ष के बीच होनी चाहिए, और उसका वजन कम से कम 50 किलोग्राम होना आवश्यक है.  इसके अलावा, रक्तदाता का हीमोग्लोबिन स्तर कम से कम 12.5 ग्राम प्रति डेसिलीटर होना चाहिए ताकि शरीर को रक्तदान के बाद किसी प्रकार की कमजोरी या स्वास्थ्य समस्या का सामना न करना पड़े. रक्तचाप सामान्य सीमा में होना चाहिए, यानी न तो अत्यधिक उच्च और न ही अत्यधिक निम्न.

यदि किसी व्यक्ति को एचआईवी, हेपेटाइटिस, कैंसर या कोई अन्य गंभीर संक्रमण या क्रॉनिक डिजीज है, तो वह रक्तदान के लिए अयोग्य माना जाता है. इसके अलावा, गर्भवती महिलाएं या स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी रक्तदान नहीं कर सकतीं.

Advertisement

Gurudev Sri Sri Ravi Shankar on NDTV: Stress, Anxiety, से लेकर Relationship, Spirituality तक हर बात

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
asicup_3_158421ACC बैठक में Naqvi Exposed! BCCI का सवाल | Trophy किसी की Property नहीं!