Mpox Virus: शरीर में दिखें ये बदलाव तो न करें इग्नोर, हो सकते हैं मंकी पॉक्स के लक्षण, एक्सपर्ट से जाने सिंप्टम्स, बचाव और डायग्नोसिस

एनडीटीवी ने इस संबंध में डॉ. चारुदत्त अरोड़ा से चर्चा की और जाना कि इस वायरस के लक्षण क्या हैं और कैसे ये डायग्नोज किया जा सकता है कि ये मंकी पॉक्स वायरस ही है.

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Mpox Virus: मंकी पॉक्स वायरस ने मेडिकल जगत में खलबली मचा रखी है. वैसे तो ये वायरस अभी भारत नहीं आया है. लेकिन सरकार और मेडिकल एजेंसियां इस वायरस को लेकर गंभीर हो गए हैं और अभी से इसकी रोकथाम पर काम शुरू हो चुका है. पाकिस्तान में मंकी वायरस का केस मिलने के बाद सरकार पहले से ज्यादा एक्टिव हो चुकी है. बात करें अंतरराष्ट्रीय स्तर की, तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वायरस को लेकर हेल्थ अलर्ट जारी भी कर दिया है. अब जिम्मेदारी आम लोगों की भी है कि वो इस बीमारी के लक्षणों को समझें और तुरंत जांच करवाएं एनडीटीवी ने इस संबंध में डॉ. चारुदत्त अरोड़ा से चर्चा की और जाना कि इस वायरस के लक्षण क्या हैं और कैसे ये डायग्नोज किया जा सकता है कि ये मंकी पॉक्स वायरस ही है.

मंकी पॉक्स वायरस के लक्षण, बचाव और जांच| Mpox Virus Symptoms, Precaution and Diagnosis

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मंकी पॉक्स वायरस के सिंपटम्स क्या हैं

डॉ. चारुदत्त अरोरा के मुताबिक जिन्हें मंकी पॉक्स वायरस अपनी चपेट में लेगा उन लोगों को शरीर में तेज दर्द हो सकता है. मसल्स में जकड़न महसूस होगी. तेज कंपकंपी के साथ तेज बुखार आ सकता है. इसके साथ ही सर्दी, खांसी, जुकाम जैसे आम वायरल वाले लक्षण भी मंकी पॉक्स वायरस की चपेट में आने पर दिखाई देते हैं.

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इसका एक खास लक्षण गर्दन में भी दिखाई देता है. इस वायरस के चलते गर्दन में मौजूद लिंफ नोड्स एनलार्ज होने लगती है. क्योंकि उनमें सूजन आने लगती है.

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इसके अलावा पूरे शरीर पर चेचक जैसे रेशेज या दाने दिखाई देते हैं. डॉ. चारुदत्त अरोड़ा के मुताबिक ये दाने पहले मुंह में होते हैं और फिर धीरे धीरे पूरे शरीर में फैलने लगते हैं. इस दानों में पानी भरा हो सकता है. साथ ही इनमें दर्द भी होता है.

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डॉ. चारुदत्त अरोड़ा ने बताया कि बुखार आने के सात से दस दिन के भीतर पीड़ित को शरीर पर दाने आने लगते हैं.

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कैसे समझें की मंकी पॉक्स वायरस ही है?

मंकी पॉक्स वायरस की चपेट में आने पर पीड़ित के शरीर में शुरुआती लक्षण वही दिखाई देते हैं जो आम वायरल इंफेक्शन में होते हैं. यानी कि सर्दी, जुकाम, खांसी, शरीर दर्द और बुखार. ऐसे में ये पहचान कर पाना मुश्किल होता है कि मरीज को आम वायरल है या मंकी पॉक्स वायरस का असर है. डॉ. चारुदत्त अरोड़ा के मुताबिक किसी मरीज में वायरल फीवर के लक्षण दिखे और वो कहीं से ट्रेवल करके लौटा हो तो मंकी पॉक्स वायरस होने की संभावना बढ़ सकती है. इसके अलावा कोई व्यक्ति अगर ऐसे किसी व्यक्ति के संपर्क में आ चुका है जिसे मंकी पॉक्स वायरस अपनी चपेट में ले चुका है तो उसे भी मंकी पॉक्स वायरस का इंफेक्शन होने की आशंका बढ़ जाती है.

बचाव के लिए क्या करें?

डॉ. चारुदत्त अरोरा के मुताबिक जिन लोगों वायरल फीवर के लक्षण हैं और वो ट्रेवल हिस्ट्री पॉजिटिव भी हैं, ऐसे लोगों को बिना देर किए आइसोलेशन में चले जाना चाहिए. मंकी पॉक्स वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड 5 से 21 दिन का होता है. उन्हीं दिनों में इंफेक्शन होता है और संक्रमित व्यक्ति इंफेक्शन फैला भी सकते हैं. इसलिए बाहर से आने वालों को करीब तीन हफ्ते के लिए आइसोलेट रहना चाहिए.

किस तरह होता है डायग्नोज?

कोई व्यक्ति मंकी पॉक्स वायरस से संक्रमित है या नहीं ये जानने के लिए डॉक्टर क्लीनिकल डायग्नोजेस की प्रक्रिया अपनाते हैं. इसके आगे की जांच के लिए बॉडी फ्लूड्स का टेस्ट भी किया जाता है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)