Mother's Help: बेटियां ही नहीं बेटों को भी अक्सर मम्मी की हेल्प की जरूरत पड़ती है. अक्सर ये कहा जाता है कि बढ़ती हुई बेटियों को मां की सलाह, मां के साथ और मां के प्यार की जरूरत होती है. और, बेटों के लिए कहा जाता है कि वो अपनी परेशानियां पापा से डिस्कस कर सकते हैं. लेकिन जिंदगी में कई पल ऐसे भी आते हैं जब बेटों को भी मम्मी की हेल्प की जरूरत होती है. ये हेल्प सिर्फ फिजिकली ही हो ये जरूरी नहीं है. बहुत सी बार ऐसा होता है कि बेटों को मेंटल हेल्प की जरूरत पड़ती है. ऐसे समय में उन्हें पिता से पहले मां की ही याद आती है. आपको बताते हैं वो सात फेक्टर्स जब बेटों को मां की ही मदद की जरूरत पड़ती है.
ऐसे समय में बेटे चाहते हैं मां की मदद | 7 Times Boys Seek Help From Mother
1. जब लगती है भूख
भूख लगती है तो बेटों को भी सबसे पहले मां की ही याद आती है. बेटे भी चाहते हैं कि उन्हें घर का खाना मिले. खासतौर से ऐसा खाना जिसे वो खुद कंफर्ट फूड या फिर फेवरेट फूड में काउंट करते हैं. ऐसे खाने की चाहत में बेटे मां से ही खाना तैयार करने और उन्हें सर्व करने की एक्सपेक्टेशन रखते हैं. जिससे उनकी भूख भी शांत होती है साथ ही वो केयर और वार्मथ भी फील करते हैं.
2. इमोशनल सपोर्ट के लिए
बेटे जब भी किसी तरह के टेंशन में होते हैं. स्कूल से मिले किसी असाइनमेंट की वजह से या किसी एग्जाम की वजह से वो हमेशा अपनी मां के आंचल में ही सुकून तलाशते हैं. मम्मी के प्यार भरे शब्द और उनका गले लगाना उन्हें राहत और स्ट्रेंथ दोनों देता है.
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3. सेलिब्रेशन की प्लानिंग
बॉयज जब भी किसी सेलिब्रेशन को प्लान करते हैं. मसलन वो बर्थडे पार्टी प्लान करते हैं, किसी के लिए सरप्राइज प्लान करते हैं. तो उन्हें मम्मी की हेल्प की जरूरत होती है. इस हेल्प के जरिए वो अपने फैमिली इवेंट्स को स्पेशल टच देने की कोशिश करते हैं. और, मम्मी की क्रिएटिविटी की मदद से वो अपने सेलिब्रेशन को यादगार बनाने की ख्वाहिश रखते हैं.
4. स्कूल असाइनमेंट्स में
स्कूल से मिलने वाले असाइनमेंट, प्रोजेक्ट वर्क या किसी और काम के लिए भी बेटे मम्मी की ही मदद लेना प्रिफर करते हैं. खासतौर से जब समय कम हो और स्कूल का वर्क ज्यादा हो तब वो अपनी मम्मी की मदद से ही इस मुश्किल से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं.
5. प्रॉब्लम फिक्स करने के लिए
शर्ट का टूटा हुआ बटन टांकना हो या घर में कोई और चीज ठीक करनी हो. बच्चों को सबसे पहले अपनी मम्मी की ही याद आती है. फिर चाहें वो बेटा ही क्यों न हो. उनके लिए मम्मी ही सबसे बड़ी प्रॉब्लम सॉल्वर होती हैं. जो उनकी पहली आवाज के साथ ही मदद के लिए तैयार रहती हैं.
6. जरूरी एडवाइज के लिए
फ्रेंडशिप हो, रिलेशनशिप हो या करियर से जुड़ी बात हो. बेटे हमेशा जरूरी एडवाइज के लिए पहले अपनी मम्मी का ही रुख करते हैं. उनके गाइडेंस की मदद से ही वो अपनी लाइफ के बड़े फैसले ज्यादा कॉन्फिडेंस और क्लियरिटी से ले पाते हैं.
7. फर्स्ट एड के लिए
छोटी सी चोट से लेकर किसी बड़ी तकलीफ में भी बेटों को सबसे पहले मम्मी की ही याद आती है. उनकी बताई रेमेडीज बेटों के लिए फर्स्ट एड का काम करता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)