भारत में कम उम्र के लोग करते हैं सबसे ज्यादा आत्महत्या : विशेषज्ञ

'विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस' पर एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया. इसके मुताबिक, दुनिया में सबसे ज्यादा आत्महत्या भारतीय युवा कर रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक भारत में किशोरावस्था (15-19 वर्ष) के बीच आत्महत्या मृत्यु का चौथा बड़ा कारण है.

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'विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस' पर एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया. इसके मुताबिक, दुनिया में सबसे ज्यादा आत्महत्या भारतीय युवा कर रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक भारत में किशोरावस्था (15-19 वर्ष) के बीच आत्महत्या मृत्यु का चौथा बड़ा कारण है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, आत्महत्या के सभी मामलों में से 40 प्रतिशत से अधिक मामले 30 वर्ष से कम आयु के युवाओं में होते हैं.

एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर नंद कुमार ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "भारत में आत्महत्या करने वाले युवाओं की संख्या बहुत अधिक है. भारत में आत्महत्या करने वाले युवाओं की संख्या वैश्विक औसत की तुलना में लगभग दोगुनी है. भारत में प्रतिदिन लगभग 160 युवा आत्महत्या करते हैं." उन्होंने कहा, "लोगों के आत्महत्या करने के लिए मजबूर होने के कई कारण हैं जैसे, परिवार का तनावपूर्ण माहौल, अस्थिर भावनात्मक स्वास्थ्य, नशीले पदार्थों का सेवन, आपसी संबंधों में असफलता, दोस्तों के बीच खराब संबंध और अकेलापन."

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एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2022 में 1.71 लाख लोगों की आत्महत्या से मौत हुई. मनोचिकित्सक डॉ. श्याम भट ने बताया, "आत्महत्या, 15 से 39 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है, जो विश्व स्तर पर और हमारे देश में सबसे अधिक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकटों में से एक है."

मनस्थली की संस्थापक निदेशक और वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. ज्योति कपूर का इस मामले में कहना है, ''सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य संकट को दूर करने और आत्महत्या रोकने के लिए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और किरण हेल्पलाइन जैसी कई सेवाएं शुरू की हैं.'' उन्होंने कहा, “आत्महत्या की दरों को कम करने के लिए अधिक जागरूकता, देखभाल तक पहुंच सबसे ज्यादा आवश्यक है. हमें आत्महत्या की नैरेटिव को बदलने की भी जरूरत है, ताकि मानसिक स्वास्थ्य संघर्षों से जुड़ी चीजों को तोड़ने के लिए खुली और अच्छी बातचीत हो सके."

खास बात यह है कि आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. हार से निराश नहीं हो, रिश्ते में कड़वाहट हो या सपने पूरी नहीं हों तो घबराने की जरूरत नहीं है. जीवन उतार-चढ़ाव से भरा होता है और हर गुजरते दिन के साथ आप सफलता के एक कदम करीब पहुंचते हैं. इसलिए, निराशा का भाव त्यागें और आपने सपनों को पूरा करने में जुट जाएं.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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