बिना वजह बात-बात पर झगड़ती है बीवी या Girlfriend, जानें डील करने का सबसे Cool तरीका

महिलाओं में मूड स्विंग (Mood Swing) होना या बार-बार गुस्सा आना, बेचैनी, चिड़चिड़ापन जैसे परेशानियों का सीधा संबंध सेरोटोनिन (Serotonin) हॉर्मोन के लो और हाई लेवल के बार-बार होने के कारण होता है. यहाँ तक कि पीरियड्स (Periods) के दौरान इमोशन और मन दोनों रोलर कोस्टर की सवारी करने लगते हैं.

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महिलाओं में मूड स्विंग (Mood Swing) होना का सीधा संबंध सेरोटोनिन (Serotonin) हॉर्मोन के लो और हाई लेवल के बार-बार होने के कारण होता है.

Mood Swings in Women: आज मैंने ऐसे ही औरत के गुस्‍से पर गूगल सर्च की. तो एक सवाल देख कर मैं खुद हैरान हो गई. सवाल था - 'शादीशुदा महिलाओं को अपने पति पर गुस्सा क्यों आता रहता है?' अब औरत के गुस्‍से को सिर्फ उसके पत‍ि से जोड़कर न देखें. इसके अलावा भी कुछ सवाल थे जैसे- लड़की को गुस्सा कब आता है? औरत गुस्सा हो तो क्या करना चाहिए? छोटी छोटी बातों पर गुस्सा क्यों आता है? अब ये वो सवाल हैं जिनके लिए आप डॉक्‍टर या मेडिकल फील्‍ड की तरफ रुख कर सकते हैं और उनके पीछे की वजह को समझ सकते हैं. 

इस बारे में हमने बात की क्लाउडनाइन हॉस्पिटल में गायनोकोलॉजिस्ट डॉ सोनम गुप्ता से. उनका कहना है कि  ''खुद महिलाएं भी इस बात से हैरान हो जाती हैं कि उन्‍हें बार-बार बिना वजह गुस्सा क्‍यों आ जाता है या मन उदास क्‍यों हो जाता है, रोने को मन करने लगता है? तो न करें इसको नजरअंदाज. यह सारे लक्षण किसी बीमारी के आगमन का संकेत हो सकते हैं. अक्सर महिलाएं रोजमर्रा के जिंदगी के उधेड़बुन में इन परेशानियों के तरफ ध्यान ही नहीं दे पाती हैं.'' 

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लेकिन कोई बात नहीं, हम आज इसी के बारे में बात करने जा रहे हैं कि मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन किन कारणों से हमारी जिंदगी में दस्तक देने लगते हैं. 

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बार-बार और बिना वजह आने वाले गुस्‍से का कारण हो सकता है पेरिमेनोपॉज:

डॉ सोनम गुप्ता के अनुसार, पेरिमेनोपॉज का अर्थ है मेनोपॉज यानि रजोनिवृत्ति का समय पास आ जाना. यह वह समय है जब शरीर प्रजनन करने की क्षमता को खोने लगता है. पेरिमेनोपॉज को मेनोपॉजल ट्रांजिशन भी कह सकते हैं. इस दौरान पीरियड्स के डेट मिस होने शुरू हो सकते हैं या बार-बार होने लगते हैं. 

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इस दौरान पीरियड्स के डेट मिस होने शुरू हो सकते हैं या बार-बार होने लगते हैं. Photo Credit: iStock

लेकिन यह सारी परेशानियाँ हर महिला के लिए समान नहीं होती है. हर महिला के जीवन में अलग-अलग उम्र में पेरिमेनोपॉज शुरू होता है. पेरिमेनोपॉज के कारण एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन,और टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का स्तर कम हो जाता है. इस हॉर्मोनल बदलाव के कारण मूड में भी बदलाव होने लगते हैं. 

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बार-बार और बिना वजह आने वाले गुस्‍से का कारण हो सकता है थायरॉयड:

थायरॉयड असल में गर्दन के सामने एक छोटी, तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जो थायराइड हार्मोन बनाती है. थायराइड हार्मोन यह नियंत्रित करता है कि आपका शरीर एनर्जी का उपयोग कैसे करेगा, इसलिए वे आपके शरीर के लगभग हर अंग के काम करने के तरीके को प्रभावित करता है. 

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आपके जानकारी के लिए बता दें कि थायरॉयड दो तरह के होते हैं- हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म. हाइपरथायरायडिज्म में जब थायराइड ओवरएक्टिव हो जाते हैं, तब चिड़चिड़ापन, मूड में जल्दी-जल्दी बदलाव, बेचैनी, तनाव जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं. ठीक इसके विपरित हाइपोथायरायडिज्म में जब थायराइड अंडरएक्टिव हो जाते हैं तो तब थकान और डिप्रेशन जैसे लक्षण महसूस होते हैं.

बार-बार और बिना वजह आने वाले गुस्‍से का कारण हो सकता है डिप्रेशन:

डॉ सोनम गुप्ता के अनुसार, डिप्रेशन एक प्रकार का मूड डिसऑर्डर है,जिसके कारण हमेशा मन उदास रहता है. यहाँ तक कि डिप्रेशन के कारण मरीज आत्महत्या तक करने की कोशिश करता है. जैसा कि आप समझ ही रहे होंगे कि डिप्रेशन का सीधा संबंध मन से होता है तो जाहिर है कि मन का बेचैन होना, चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण महसूस होना लाजमी हो जाता है.

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बार-बार और बिना वजह आने वाले गुस्‍से का कारण हो सकता है हॉर्मोन का हाई और लो लेवल होना:

मूड स्विंग (Mood Swing) होना या बार-बार गुस्सा आना, बेचैनी, चिड़चिड़ापन जैसे परेशानियों का सीधा संबंध सेरोटोनिन हॉर्मोन के लो और हाई लेवल के बार-बार होने के कारण होता है. यहाँ तक कि पीरियड्स के दौरान इमोशन और मन दोनों रोलर कोस्टर की सवारी करने लगते हैं. एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दोनों हॉर्मोन का लो और हाई लेवल होना- सेरोटोनिन के उत्पादन के लेवल को नियंत्रित करते हैं. इसलिए इसके अंसतुलन से मन पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है.

बार-बार और बिना वजह आने वाले गुस्‍से का कारण हो सकता है हद से ज्यादा खाली समय होना:

अगर किसी महिला के पास बहुत ज्यादा खाली समय रहता है तो उनके मन में बेकार की बातों का ताना-बाना चलता रहता है. मन इस उधेड़बुन में इतना फंस जाता है कि उनका मूड स्विंग होने लगता है. वह न चाहते हुए इन परेशानियों को जिंदगी में शामिल कर लेती हैं.

अब तो आप समझ ही गए होंगे कि मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन आम समस्या होते हुए भी किसी बीमारी का संकेत हो सकता है. इसलिए समय रहते डॉक्टर से संपर्क करें और इसका इलाज करवाएं.

तो इन परेशानियों से डील करने का सबसे कूल तरीका यही है कि खुद ही डॉक्‍टर बनने के बजाए किसी एक्‍सपर्ट से मिलें और सही तरह से इसे ट्रीट कराएं.

(यह लेख डॉ सोनम गुप्ता, गायनोकोलॉजिस्ट, क्लाउडनाइन हॉस्पिटल, पंजाबी बाग, दिल्‍ली से बातचीत पर आधारित है.) 

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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