हर इंसान को होती है ये बीमारी, जिसका लालू यादव ने हाल ही में कराया इलाज

बेटी मीसा भारती ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए बताया कि लालू यादव तेजी से रिकवर कर रहे हैं और फिलहाल घर पर आराम कर रहे हैं.

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लालू यादव की शनिवार को मोतियाबिंद और रेटिना की संयुक्त सर्जरी की गई.

आंखें हमारे जीवन की सबसे अनमोल इंद्रियों में से एक हैं. इनके बिना न तो दुनिया के रंग दिखते हैं और न ही अपनों के चेहरे. लेकिन, उम्र बढ़ने के साथ आंखों से जुड़ी कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं, जो लगभग हर इंसान को कभी न कभी अपनी चपेट में ले ही लेती हैं. ऐसी ही एक आम लेकिन गंभीर समस्या है मोतियाबिंद (Cataract) और कई मामलों में इससे जुड़ी रेटिना की बीमारी. हाल ही में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की इन्हीं समस्याओं का इलाज नई दिल्ली के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में किया गया, जो पूरी तरह सफल रहा.

लालू यादव की शनिवार को मोतियाबिंद और रेटिना की संयुक्त सर्जरी की गई. यह सर्जरी देश के जाने-माने नेत्र रोग विशेषज्ञ और सेंटर फॉर साइट ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल्स के चेयरमैन एवं मेडिकल डायरेक्टर डॉ. महिपाल सिंह सचदेव की निगरानी में हुई. परिवार और डॉक्टरों के अनुसार, ऑपरेशन बिना किसी जटिलता के पूरा हुआ और उनकी हालत अब स्थिर है. बेटी मीसा भारती ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए बताया कि लालू यादव तेजी से रिकवर कर रहे हैं और फिलहाल घर पर आराम कर रहे हैं.

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मोतियाबिंद क्या होता है?

मोतियाबिंद आंख की एक ऐसी बीमारी है, जिसमें आंख के अंदर का लेंस धीरे-धीरे धुंधला हो जाता है. इससे देखने में परेशानी, धुंधलापन, रोशनी में चकाचौंध और रात में कम दिखना जैसी समस्याएं होने लगती हैं. डॉक्टरों के अनुसार, बढ़ती उम्र इसका सबसे बड़ा कारण है, इसलिए कहा जाता है कि लगभग हर इंसान को जीवन में कभी न कभी मोतियाबिंद हो सकता है.

क्या है मोतियाबिंद, जो लगभग हर इंसान को होता है?

आई7 ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. राहिल चौधरी ने एनडीटीवी को बताया कि मोतियाबिंद तब होता है, जब आंख के लेंस में मौजूद प्रोटीन आपस में चिपकने लगते हैं या टूटकर गुच्छे बना लेते हैं. इससे लेंस धुंधला हो जाता है और रोशनी रेटिना तक नहीं पहुंच पाती.

हर किसी को क्यों होता है ये बीमारी?

60 साल की उम्र के बाद मोतियाबिंद होना आम बात है. यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जैसे बाल सफेद होना या त्वचा पर झुर्रियां आना. हालांकि कुछ मामलों में यह जल्दी भी हो सकता है, जैसे डायबिटीज के मरीजों में, UV किरणों के ज्यादा संपर्क में आने पर स्टेरॉइड्स का लंबे समय तक सेवन करने पर आंख में चोट लगने पर.

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रेटिना की समस्या क्यों होती है खतरनाक?

रेटिना आंख का वह हिस्सा है, जो रोशनी को दिमाग तक पहुंचाने का काम करता है. डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या उम्र से जुड़ी बीमारियों के कारण रेटिना प्रभावित हो सकती है. अगर समय रहते इलाज न हो, तो यह समस्या नजर कमजोर होने या स्थायी नुकसान का कारण भी बन सकती है.

आधुनिक तकनीक से आसान हुआ इलाज

डॉ. सचदेव के अनुसार, आज के समय में मोतियाबिंद और रेटिना की सर्जरी लगभग दर्द रहित, ब्लेड रहित और बेहद सुरक्षित हो चुकी है. आधुनिक मशीनों और अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत की जाने वाली ये सर्जरी अब ज्यादातर मामलों में डे-केयर प्रक्रिया होती है, यानी मरीज को उसी दिन अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है.

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सर्जरी के बाद क्या जरूरी है?

डॉक्टरों का कहना है कि सर्जरी के बाद नियमित जांच, आंखों में डाली जाने वाली दवाएं और कुछ सावधानियां बेहद जरूरी होती हैं. सही देखभाल से आंखों की रोशनी जल्दी बेहतर होती है और मरीज जल्द सामान्य जीवन में लौट सकता है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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