Monkeypox के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. भारत में ही इसके 4 केस सामने आ चुके हैं. ऐसे में इस वायरस का लेकर तरह-तरह के अंदाजे लगाए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक इसको लेकर कोई सटीक तथ्य सामने नहीं आए हैं. हम आज मंकीपॉक्स के बारे में बात करने जा रहे हैं कि क्या ये एक नई बीमारी है? मंकीपॉक्स का इलाज क्या है? क्या इसके लिए वैक्सीन प्रभावी हैं, मंकीपॉक्स का संक्रमण किन लोगों को हो सकता है, मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं, हम अपनी रक्षा कैसे कर सकते हैं? और डब्ल्यूएचओ को इसकी चिंता क्यों है? इन सभी सवालों का जवाब देने के लिए हमने डब्ल्यूएचओ की डॉ. रोसमंड लुईस से बात की.
क्या मंकीपॉक्स एक नई बीमारी है?
डॉ. लुईस का कहना है कि मंकीपॉक्स एक नहीं बीमारी नहीं है. इसे 1958 में बंदरों में पाया गया है जिसकी वजह से इसका नाम भी पड़ा. मानव में इस वायरस को पहली बार एक छोटे बच्चे में लगभग 1970 के दौरान पाया गया. उस समय इस वायरस के मामलों की संख्या बढ़ी, लेकिन इसके विपरीत पिछले 5 से 10 साल में कुछ इक्का दुक्का मामलों को छोड़कर मंकीपॉक्स के मामलों में काफी कम देखने को मिले थे.
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सबसे जरूरी बात मंकीपॉक्स के बारे में ये है कि इसमें खुजलीदार रैशेज काफी दर्दनाक हो सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले अपनी स्किन का ध्यान रखने की जरूरत है. इसके साथ ही इससे जुड़े किसी भी लक्षणों की पहचान करना है.
डॉ कहती हैं, ये जानना बहुत जरूरी है कि कई सालों से मंकीपॉक्स के लिए वैक्सीन और इलाज के लिए रिसर्च की जा रही है और कई नए प्रोडक्ट्स भी बनाए गए हैं. कई लोगों के लक्षण बहुत सामान्य होते हैं जिनको ट्रीटमेंट की भी जरूरत नहीं है और उनको रेगुलर केयर के जरिए मैनेज किया जा सकता है.
मंकीपॉक्स कैसे फैलता है और इससे कैसे बचें?
इसके जवाब में डॉ. लुईस ने कहा कि, मंकीपॉक्स डायरेक्ट कॉन्टैक्ट फेस टू फेस, स्किन टू स्किन संपर्क से फैलता है. इससे बचने के लिए सबसे पहले आपको लक्षण दिखने पर खुद किसी के कॉन्टैक्ट में आने से बचना चाहिए. इसमें आपकी फैमिली और अन्य लोग भी शामिल हैं. इसके साथ ही तुरंत डायग्रोस के लिए भी जाना भी जरूरी है. मंकीपॉक्स का रिस्क सबसे ज्यादा उन लोगों को है जो विदेशों की यात्रा कर रहे हैं या इसको लेकर जागरूक और सतर्क नहीं हैं.
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डब्ल्यूएचओ को इसकी चिंता क्यों है?
इस पर डॉक्टर का कहना है कि मंकीपॉक्स के मामले अब वहीं भी आने लगे हैं जहीं इसे इससे पहले रिपोर्ट नहीं किया गया और तेजी से केस बढ़ रहे हैं. कई लोग इस वायरस को बहुत घातक भी मान रहे हैं. ऐसे में इसको लेकर जागरूकता लाने के लिए भी डब्ल्यूएचओ कोशिश कर रहा है ताकि लोग जान सके हैं इससे कैसे बचा जा सके और कौन इसके सबसे ज्यादा रिस्क में है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.