Hypothyroidism in Pregnant Women: गर्भवती महिलाओं में थायराइड डिसऑर्डर पर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) राष्ट्रीय अध्ययन शुरू करने जा रही. यह पहला ऐसा बड़ा अध्ययन होगा जिसमें देशभर के अस्पतालों और शोध संस्थानों से डेटा एकत्रित किया जाएगा. इस अध्ययन का उद्देश्य यह जानना है कि गर्भावस्था के दौरान थायराइड की समस्या कितनी आम है, इसकी क्या वजह हैं और मां और बच्चे पर इसका क्या असर पड़ता है.
ICMR ने कहा कि यह समझने के लिए राष्ट्रीय अध्ययन शुरू किया जा रहा है जिसके लिए सभी संस्थान अपने यहां पंजीकृत गर्भवती महिलाओं में हाइपोथायरायडिज्म का डाटा साझा करें. इसके आधार पर मातृ और नवजात स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए नीतियां बनाई जाएंगी. आईसीएमआर की वैज्ञानिक डॉ. तानिका लिंगदोह के अनुसार, देश में गर्भावस्था के दौरान थायराइड विकार अब एक बड़ा स्वास्थ्य मुद्दा बन गया है. इस अध्ययन से हमें जोखिम समूहों की पहचान करने और मातृ-शिशु स्वास्थ्य सुधार के लिए नीति-निर्माताओं को ठोस साक्ष्य उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी.
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हाइपोथायरॉयडिज्म क्या है?
गर्भवती महिलाओं में हाइपोथायरॉयडिज्म काफी सामान्य रोग है. गर्भावस्था के दौरान शरीर को ज्यादा आयोडीन और थायराइड हार्मोन की जरूरत होती है, जिससे यह समस्या बढ़ सकती है. इसका इलाज अगर सही तरीके से नहीं हो तो गर्भपात, प्रीक्लेम्पसिया (हाई ब्लड प्रेशर), समय से पहले प्रसव और बच्चे के मानसिक विकास पर गंभीर असर पड़ सकता है.
मां और बच्चे को खतरा होगा कम
आईसीएमआर के अनुसार, इस अध्ययन के जरिए गर्भवती महिलाओं में थायराइड की सटीक दर, जोखिम कारक जैसे पोषण, पर्यावरण, शरीर की मेटाबॉलिक स्थिति को समझने में मदद होगी. इसके जरिये देशभर से चल रहे या हो चुके प्रेगनेंसी कोहॉर्ट स्टडी, क्रॉस-सेक्शनल सर्वे और रैंडमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल्स से डाटा मांगा है.
कुल मिलाकर, इस अध्ययन के जरिये चार मुख्य बातें समझी जाएंगी जिसमें गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में हाइपोथायरायडिज्म का आकलन करना, इससे जुड़े पोषण, पर्यावरण, मेटाबॉलिक और ऑटोइम्यून जोखिम कारकों की पहचान करना, सबक्लिनिकल हाइपोथायरायडिज्म के गर्भावस्था और नवजात परिणामों से संबंधों का अध्ययन करना और भारतीय महिलाओं के लिए थायराइड फंक्शन के ट्राइमेस्टर-विशिष्ट सामान्य मानक तय करना शामिल है.
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डेटा पॉलिसी बनाने में होगा सहायक
आईसीएमआर ने अस्पतालों और शोध संस्थानों को लिखे पत्र में कहा है कि यह प्रयास गर्भवती महिलाओं में थायराइड लोगों की सही पहचान और प्रबंधन के लिए देश में एकीकृत डाटा प्रणाली विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है. इस डेटा का इस्तेमाल देश में गर्भावस्था के दौरान थायराइड की जांच और इलाज के नए दिशा-निर्देश बनाने में किया जाएगा. सभी चयनित संस्थाओं से मिले डाटा की गुणवत्ता, पूर्णता और वैज्ञानिक आधार की जांच एक विशेषज्ञ सलाहकार समिति करेगी.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














