Wheat chapati health benefits : भारतीय रसोई में रोजाना गेहूं के आटे की रोटी बनती है. बिना इसके पेट ही नहीं भरता. वहीं, रोटी गरम-गरम खाने को मिले तो हम भूख से ज्यादा भी खा लेते हैं. लेकिन आजकल हमारी पुरानी और सबसे प्यारी चीज – गेहूं की रोटी – भी शक के घेरे में आ गई है. कोई कहता है इसमें ग्लूटेन है, तो कोई कहता है वजन बढ़ता है. डॉक्टर भी कई बार इसे कम खाने की सलाह दे देते हैं.
पर क्या आप जानते हैं, रोटी बुरी नहीं है, हमारा उसे बनाने और खाने का तरीका गलत हो गया है. आयुर्वेद कहता है कि अगर आप कुछ आसान बदलाव कर लें, तो यही रोटी आपके लिए वरदान बन जाएगी. तो बिना देर किए आइए जानते हैं गेहूं की रोटी बनाने का आसान तरीका...
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आटे का चुनाव - Choosing the Flourसबसे पहली गलती हम आटे में करते हैं. पैकेट वाला कई दिन पुराना आटा इस्तेमाल करने के बजाय, ताजा पिसा हुआ आटा इस्तेमाल करें. आयुर्वेद मानता है कि ताजा पिसा आटा ज्यादा हेल्दी और पचाने में हल्का होता है.
गुनगुने पानी से गूंधेगुनगुने पानी से आटा गूंथने पर उसका रूखापन खत्म हो जाता है, जिससे रोटी मुलायम और सुपाच्य (आसानी से पचने वाली) बनती है. जब पेट को पचाने में कम मेहनत लगती है, तो गैस या ब्लोटिंग की समस्या नहीं होती.
रोटी हमेशा गरम ही खाएं, बासी या ठंडी रोटी पेट में कब्ज कर सकती है.
अब सबसे जरूरी चीजरोटी पर थोड़ा सा देसी घी लगाकर खाना शुरू करें. बहुत से लोग घी से डरते हैं, लेकिन आयुर्वेद कहता है कि देसी घी रोटी के सारे दोष खत्म कर देता है. घी आंतों की सेहत सुधारता है और रोटी को और भी बेहतर तरीके से पचाने में मदद करता है. बिना घी की सूखी रोटी पचाना आपके पेट के लिए एक भारी काम हो सकता है.
अब से आप इन तीन आसान तरीकों (ताजा आटा, गुनगुना पानी और देसी घी) से रोटी खाते हैं, तो यह आपकी सेहत के लिए अमृत के समान बन जाएगी.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














