जवान होते बेटे को जरूर समझाएं ये 5 बातें, बनेगा सफल आदमी, दुनिया करेगी तारीफ

Essentials for Raising a Teenage Boy: अक्‍सर किशोर अवस्‍था में युवा समझ की कमी और उत्‍सुकता की अधिकता के कारण गलत फैसले ले लेते हैं, जिनके लिए वे जीवन भी पछताते हैं. ऐसे में यह आपकी भी जिम्‍मेदारी बनती है कि आप अपने जवान होते बेटे को सफलता के गुर सिखाएं.

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How to be a better father to your teenage son: यह आपकी भी जिम्‍मेदारी बनती है कि आप अपने जवान होते बेटे को सफलता के गुर सिखाएं.

How a father should be with his son? ये बेहद जरूरी है कि आप अपने बच्‍चों को सही समझ और श‍िक्षा दें. ऐसे ही नहीं कहा जाता कि माता पिता बच्‍चों के पहले शिक्षक होते हैं. माना कि कुछ बच्‍चों का अपना नेचर होता है, लेकिन बहुत कुछ ऐसा है जो वह अपने आसपास के माहौल, परिवार और माता पिता से सीखता है. हर उम्र में बच्‍चे की जरूरतें अलग होती हैं. जैसे बचपन में आपको इस बात का ख्‍याल रखना होता है कि वह ठीक से खा पी रहा है या नहीं, ठीक वैसे ही जब वह जवान होने लगता है तो आपको इस बात का ख्‍याल रखना है कि वह सही श‍िक्षा (Jeevan Shiksha) ले और सही रास्‍ते पर चले.

How to Deal with Your Teenage Son: अक्‍सर किशोर अवस्‍था में युवा समझ की कमी और उत्‍सुकता की अधिकता के कारण गलत फैसले ले लेते हैं, जिनके लिए वे जीवन भी पछताते हैं. ऐसे में यह आपकी भी जिम्‍मेदारी बनती है कि आप अपने जवान होते बेटे को सफलता के गुर सिखाएं. उसे बताएं कि वह जीवन में किस तरह से एक सफल और अच्‍छा इंसान बन सकता है. अब यहां सवाल उठता है कि यह किया कैसे जाए. जवान होते बेटे से कौन सी बात करनी है कौन सी नहीं यह समझ नहीं आ रहा, तो चलिए हम आपको बताते हैं. ठीक इसी तरह कुछ बातें हैं जो आपको अपनी युवा होती बेटी से करनी चाहिए. यहां जानें उनके बारे में.


किशोर होते बेटे को समझाएं ये 5 बातें | 5 Important Things to Teach Your Teenage Son | Essential Life Skills For Teens To Learn

औरत की इज्‍जत करे : कोई पुरुष तभी सही मायने में पुरुष होता है, जब वह स्‍त्री का सम्‍मान करना जानता है. हिंदू धर्म में तो स्‍त्री को अर्धांग माना जाता है. हर शरीर को दो भागों में बांटा गया है. इसमें दांया भाग पौरुष तो बायां भाग स्‍त्री तत्‍व का होता है. अपने बेटे को समझाएं कि महिलाओं का अनादर न करे, उन्‍हें केवल भोग की वस्‍तु के तौर पर देखने की मानसिकता बेहद ही खराब है. वह समाज में सम्‍मान तभी पा सकता है जब वह अपने साथी जेंडर को सम्‍मान की नजर से देखें.

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बड़ों का सम्‍मान करना सीखे : बेटे को समझाएं कि एक उम्र ऐसी आएगी जब उसे लगेगा कि बस वही सही है. और बड़े जो बातें कर रहे हैं वो सभी दकियानूसी और पुरानी हैं. लेकिन बड़ों के अनुभव का सम्‍मान हमेशा करे. हां, इस बात का भी ध्‍यान रखें कि कोई बड़ा उम्र से नहीं बडप्‍पन से होता है. कई बार कुछ लोग उम्र में बड़े हो जाते हैं, लेकिन अनुभव नहीं होता. ऐसे में उसे समझाएं कि कैसे वह लोगों में फर्क कर सकता है और सभी के साथ अपने सम्‍मान को भी बनाए रख सकता है.

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ईमानदारी सबसे जरूरी : जमाना बदल रहा है. लोगों का एक दूसरे से भरोसा उठ रहा है. हर कोई अपने अपने मतलब के लिए दूसरे को काटने में लगा है. ऐसे में आपकी जिम्‍मेदारी है कि आप अपने बच्‍चों को अच्‍छे संस्‍कार दें. उन्‍हें समझाएं कि ईमानदार होना कितना जरूरी है. यह किसी दूसरे के लिए नहीं या किसी तीसरे को दिखाने के लिए नहीं, न ही अपने खुद के लाभ को पूरा करने के लिए होना चाहिए. ईमानदार होना बस इसलिए जरूरी है क्‍योंकि हम सभी इंसान हैं और यह हमारा धर्म है कि हम एक दूसरे के साथ ईमानदार रहें.

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मदद के लिए रहे तैयार : एक अच्‍छा इंसान बनने के लिए अपने बेटे को सिखाएं कि लोगों की मदद करने के लिए वह तैयार रहे. इसके साथ ही साथ उसे यह भी सिखाएं कि मदद करने के अलावा मदद मांगने में भी वह शर्म न करे. किसी से मदद मांग लेने से वह कमजोर नहीं बन जाएगा. 

संवेदनशील बने : बेटों को संवेदनशील जरूर बनाएं. अक्‍सर हम लड़कों को बस यही सिखाते हैं कि वह मर्द है उसे दर्द नहीं होगा. आप अपने बेटे को बताएं कि वह एक इंसान है उसे भी दर्द होगा और अपने दर्द को जाहिर करने में उसे किसी तरह से झिझकने की जरूरत नहीं.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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