Holi 2023: होली बोले रंग-गुलाल (Rang-gulal), पिचकारी, ढेर सारी मस्ती और पुआ-पुकवान. होली के रंग ही जीवन में उत्साह भरते हैं. यह वह त्योहार है, जब पूरा देश रंगों में सरोबोर होता है. रंगों के इस त्योहार में सभी अपने घर में अपने परिवार के साथ होते हैं. यह वहीं समय होता है, जब परिवार के साथ क्वालिटी समय बिताने, एक-दूसरे को समझने और एक-दूसरे पर प्यार उड़ेलना का समय होता है. इस दिन सभी अपने भाई-बहनों, दोस्तों, पड़ोसी के साथ ही नहीं दुश्मन के भी गले लगकर रंग लाकर बधाई देते हैं. रंगों से खेलने से न सिर्फ हमें खुशी मिलती है, बल्कि इससे हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है. वैसे भी खुशियां आपकी सारी नकारात्मकता को सकारात्कता में बदल देती हैं और आप शारीरिक-मानसिक रूप से बहुत अच्छा महसूस करते हैं.
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कहा जाता है कि रंगों से खेलने और लोगों से मिलने से खुशी के साथ इसका चिकित्सीय प्रभाव पड़ता है. सकारात्मक भावनाएं (Positive emotions) बेहतर सोशल सर्कल (social circles), हेल्दी रिलेशनशिप, शैक्षणिक और व्यावसायिक सफलता से जुड़ी होती हैं. मनोचिकित्सकों (psychiatrists) की राय में रंगों का प्रभाव हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है. यहां हम आपको कुछ तरीके बताए रहे हैं कि होली के रंग मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में कैसे मदद करते हैं-
तनाव को कम करने में
होली में चारों ओर खुशनुमा माहौल के साथ गुलाल के रंग तनाव के स्तर को कम करने में मदद करते हैं. होली में अपनों दोस्तों, रिश्तेदारों से मिलना उनके साथ रंग-खेलना, मस्ती करना, डांस और हो-हल्ला करने से एंजाइटी कम होती है और अपका मूड अच्छा होता है.
मूड रहता है अच्छा
यह केवल रंगों की बात नहीं है बल्कि होली की तरंगे आपके मूड को अच्छा रखते हैं. रंग बिरंगे पानी के छींटे मारते लोग, नाचते-गाते और संगीत का आनंद लेते हुए आप बेहतर महसूस करते हैं.
कलर थेरेपी
होली के दौरान उपयोग किए जाने वाले रंगों का हमारे मन और मनोदशा पर उपचारात्मक प्रभाव पड़ता है. ये अलग-अलग रंग ऊर्जावान वाइब्स से लेकर प्रोड्क्टिविटी या क्रिएटिव होने तक विभिन्न भावनाओं के लिए जाने जाते हैं.
बॉन्डिग टाइम
रंगों का त्योहार अपने दोस्तों और परिवार के साथ बॉन्डिंग का एक अच्छा समय है. इस दिन जब आपके दोस्त और रिश्तेदार रंग खेलने के लिए आपके घर आते हैं. आपको एक-दूसरे से बातचीत करने का मौका मिलता है, इससे बॉन्डिंग बढ़ती है. साथ ही गप-शप करने, गुजिया खाने और हंसी-मजाक से जीवन में खुशियों का प्रसार होता है.
हैप्पी हार्मोंन्स
लाल-पीले रंग, मिठाइयां और अपनों का साथ, चारों तरफ खुशियां ये माहौल हैप्पी हार्मोन को प्रोड्यूज करते हैं. यही कारण है कि आपकों होली में अंदर से खुशी महसूस होती है.