Tomato Flu: केंद्र ने मंगलवार को हाथ, पैर और मुंह (एचएफएमडी) रोग यानि टोमेटो फ्लू के टेस्ट, रोकथाम और उपचार पर राज्यों को दिशानिर्देश जारी किए. यह एक दुर्लभ वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से दक्षिणी राज्यों में पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित कर रही है. टमाटर फ्लू की पहचान सबसे पहले केरल के कोल्लम जिले में 6 मई को हुई थी और 26 जुलाई तक पांच साल से कम उम्र के 82 से ज्यादा बच्चे संक्रमित हो गए थे. कोल्लम के अलावा, केरल के अन्य प्रभावित क्षेत्र आंचल, आर्यनकावु और नेदुवथुर हैं.
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क्यों पड़ा इस बीमारी का नाम टोमेटो फ्लू?
आमतौर पर बच्चों के शरीर पर टमाटर की तरह लाल फफोले होते हैं जो बाद में बड़े होकर टमाटर की शेप में दिखते हैं इसलिए इस फ्लू को टोमेटो फ्लू कहा जाता है. टोमेटो फ्लू के शिकार लोगों को शरीर में अकड़न, जोड़ों में दर्द, बुखार उल्टी होना स्किन इरिटेशन होना आम लक्षण हैं.
छोटे बच्चों में हाथ-पैरों, मुंह की डिजीज काफी आम होती हैं यही वजह है कि टोमेटो फ्लू के बारे में कहा जा रहा है कि एक छोटे बच्चे जल्दी और ज्यादा इसके शिकार हो रहे हैं. वैसे इस तरह के डिजीज 10 साल से कम उम्र के बच्चों में होता है लेकिन टोमेटो फ्लू के बारे में कहा जा रहा है कि ये उससे ऊपर के उम्र के लोगों में भी हो सकता है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है.
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टोमेटो फ्लू से बचाव के लिए उपाय | Tips To Prevent Tomato Flu
सैनिटाइजेशन इसके लिए सबसे बढ़िया बचाव है. अगर किसी को ये बीमारी हो जाती है तो सबसे पहले उसको 5 से 7 दिन का आइसोलेशन में रखा जाना चाहिए. इसके साथ ही मरीज को पूरी तरीके से रेस्ट लेना चाहिए और साथ में बहुत सारा तरल पदार्थ लेना चाहिए.
गर्म पानी से स्किन पर स्पॉन्ज करने से स्किन में इरिटेशन कम होता है इसलिए ऐसे मरीज जिन्हें यह बीमारी हुई है उनके लिए ज्यादा जरूरी है कि गुनगुने पानी से शरीर पर स्पंज करें.
- बच्चों को रूमाल के इस्तेमाल के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रेरित करें.
- शरीर के जिस भी अंग पर छाले पड़े हो उसको बहुत ज्यादा नहीं खरोचें.
- बच्चों के कपड़ों को अच्छी तरीके से साफ करें.
- इस बीच बच्चों को पौष्टिक डाइट दें.
इन लक्षणों वाले बच्चों में, डेंगू, चिकनगुनिया, जीका वायरस, वैरीसेला-ज़ोस्टर वायरस और दाद के निदान के लिए आणविक और सीरोलॉजिकल टेस्ट किए जाते हैं. टमाटर फ्लू एक स्व-सीमित संक्रामक रोग है क्योंकि इसके लक्षण कुछ दिनों के बाद खुद ही ठीक होने लगते हैं. ऐसा लगता है, यह रोग तथाकथित हाथ-पैर-मुंह की बीमारी का एक नैदानिक रूप है जो स्कूल जाने वाले बच्चों में आम है. शिशुओं और छोटे बच्चों को भी डायपर के इस्तेमाल से, अशुद्ध सतहों को छूने के साथ-साथ चीजों को सीधे मुंह में डालने से भी इस संक्रमण का खतरा होता है, ”मंत्रालय ने सलाह में कहा.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.