पारिवारिक दबाव, लोग क्या कहेंगे, करियर बनाने का प्रेशर... माता-पिता और युवाओं के लिए आचार्य प्रशांत की सलाह

आचार्य प्रशांत (Acharya Prashant) के विचार युवाओं और उनके माता-पिता दोनों के लिए एक मार्गदर्शिका हैं. एनडीटीवी युवा कॉन्क्लेव में जब आचार्य प्रशांत ने बच्चों पर दवाब को लेकर माता-पिता और खुद बच्चों से क्या, कहा आइए जानते हैं.

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मेंटल प्रेशर दूर करने के लिए आचार्य प्रशांत ने एनडीटीवी युवा कॉन्क्लेव में कुछ जरूरी बातें शेयर कीं.

करियर बनाने का दबाव, पारिवारिक अपेक्षाएं और समाज में "लोग क्या कहेंगे" का भय आज के युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) पर भारी पड़ रहा है. इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में युवाओं को सही मार्गदर्शन देने और मानसिक प्रेशर (Mental Pressure) को कम करने के लिए आचार्य प्रशांत (Acharya Prashant) ने एनडीटीवी युवा कॉन्क्लेव (NDTV Youth Conclave) में कुछ जरूरी बातें शेयर कीं. उन्होंने न केवल युवाओं को तनाव से बचाने के उपाय बताए, बल्कि सही दिशा में मेहनत करने की नसीहत के साथ माता-पिता को भी उनके बच्चों के साथ बेहतर तरीके से पेश आने के बारे में बताया. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा....

क्यों होता है युवाओं पर प्रेशर?

पारिवारिक दबाव: माता-पिता की अपेक्षाएं और उनकी खुद की अधूरी इच्छाएं बच्चों पर लादी जाती हैं, जिससे बच्चे मानसिक दबाव महसूस करते हैं.
समाज का प्रभाव: "लोग क्या कहेंगे" का डर बच्चों को उनकी पसंद और रुचियों के अनुसार करियर चुनने से रोकता है.
प्रतिस्पर्धा का माहौल: समाज में प्रतिस्पर्धा इतनी बढ़ चुकी है कि हर कोई अपने बच्चे को सबसे आगे देखना चाहता है, चाहे वह उसकी क्षमता के अनुसार हो या न हो.

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"बच्चे प्रेशर महसूस करते हैं क्योंकि माता पिता को खुद पता नहीं होता की उन्हें क्या चाहिए." एनडीटीवी युवा कॉन्क्लेव में जब आचार्य प्रशांत से जब पूछा गया कि, परिवारिक दवाब, लोग क्या कहेंगे का दबाव,  हमारा समाज और देश का पूरा तानाबाना है, जिस तरह से है हम आए दिन खबरें देखते हैं कि कोटा में बच्चे किसी न किसी प्रेशर के चलते आत्महत्या चुन लेते हैं. तो इस दबाव को कैसे दूर किया जाय?

इस पर आचार्य प्रशांत कहते हैं कि, "माता पिता भी ले-देकर बच्चे की भलाई ही चाहते हैं, लेकिन ये जरूर नहीं कि उनको ये सचमुच पता ही हो कि वह सच्चाई निहित किस चीज में है. माता पिता की नियत बच्चे की भलाई को लेकर अच्छी हो सकती है, लेकिन उससे ये साफ नहीं हो जाता कि उनमें अवेयरनेस भी है."

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उन्होंने एक उदाहरण के जरिए समझाने की कोशिश की, कि "जब बच्चा बीमार हो जाता है, तो हम सभी पेरेंट्स चाहते कि हमारा बच्चा जल्दी से जल्दी ठीक हो जाए, लेकिन क्या इसका ये मतलब है कि क्या मैं ये भी जानता हूं कि इसके दवाई कौन सी देनी है? ये तो हम नहीं जानते ना? तो दवाई तो हम डॉक्टर से ही लेते हैं. मां-बाप से शुभकामना, आशीर्वाद लिया जा सकता है, लेकिन जिंदगी में करना क्या है ये तो आपको अपने दिल से ही पूछना होगा. आपका असली डॉक्टर वही है."

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माता-पिता की समझ

माता-पिता का खुद अपने जीवन में स्पष्टता न होना ही बच्चों पर प्रेशर का मुख्य कारण है. जब माता-पिता को यह समझ नहीं होता कि उनके लिए क्या सही है, तो वे अपनी दुविधाएं और अपेक्षाएं बच्चों पर थोपते हैं. इस स्थिति को सुधारने के लिए जरूरी है कि माता-पिता खुद आत्मविश्लेषण करें और समझें कि उनके बच्चे की क्षमता और रुचि क्या है.

युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना

युवाओं को सिखाना चाहिए कि वे खुद अपने लिए निर्णय लें और "लोग क्या कहेंगे" के भय से मुक्त होकर अपने करियर की योजना बनाएं. आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास मानसिक दबाव को कम करने में सहायक होते हैं.

संवाद की जरूरत

आचार्य प्रशांत ने माता-पिता और बच्चों के बीच बेहतर संवाद स्थापित करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि जब माता-पिता बच्चों के साथ खुलकर बात करेंगे, तो वे उनकी समस्याओं को बेहतर समझ पाएंगे और सही मार्गदर्शन दे पाएंगे.

बच्चों को उनका स्पेस दें

बच्चों को उनकी पसंद और नापसंद के अनुसार निर्णय लेने की स्वतंत्रता दें. इससे वे अपने जीवन की जिम्मेदारी उठाना सीखेंगे और तनावमुक्त रहेंगे.

आचार्य प्रशांत के विचार युवाओं और उनके माता-पिता दोनों के लिए एक मार्गदर्शिका हैं. बच्चों के मानसिक प्रेशर को कम करने के लिए परिवार को ज्यादा संवेदनशील, समझदार और सहयोगात्मक बनने की जरूरत है. माता-पिता और समाज का सही दृष्टिकोण न केवल बच्चों को मानसिक रूप से हेल्दी बनाएगा, बल्कि उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित भी करेगा.

क्या Career और Passion साथ-साथ चल सकते हैं? Acharya Prashant ने क्या बताया?

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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