All About Cancer: भले ही आज के दौर में हमने कई बीमारियों का इलाज खोज लिया है लेकिन कैंसर आज भी ऐसी बीमारी बनी हुई है जिसका नाम सुनकर ही मन में एक डर बैठ जाता है. क्या आपको पता है कि अमेरिका में कैंसर मौत का दूसरा सबसे आम कारण है. हालांकि 20 साल पहले की तुलना में अब इस बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या में जरूर कमी आई है, जिसकी वजह है, अर्ली डायग्नोज और इनोवेटिव ट्रीटमेंट, जिससे कैंसर के इलाज में काफी मदद मिल रही है. कैंसर क्या होता है, क्यों होता है, इसके टाइप, लक्षण, उपाय क्या हैं? इन सभी पहलुओं के बारे में हम आज आपको बताएंगे ताकि इस बीमारी की संभावना को कम किया जा सके.
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कैंसर क्या होता है? (What is cancer?)
इस बीमारी में सामान्य कोशिकाएं (Normal Cells) कैंसर कोशिकाएं बन जाती हैं. आपके जीन (Genes) आपकी कोशिकाओं को निर्देश भेजते हैं कि उन्हें कब बढ़ना शुरू करना है और कब बंद करना है. सामान्य कोशिकाएं इन निर्देशों को फॉलो करती हैं, लेकिन कैंसर कोशिकाएं ऐसा नहीं करती. कैंसर की वजह से कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ती हैं. कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है.
कैंसर के टाइप (Types of Cancer)
100 से ज्यादा तरह के कैंसर होते हैं. स्पेशलिस्ट उन्हें शरीर में ये कहां से शुरू होते हैं और किस तरह के टिश्यू यानी टिश्यू को प्रभावित करते हैं, उसके मुताबिक इन्हें अलग-अलग करते हैं. मुख्य तौर पर कैंसर को तीन कैटेगरी में बांटा गया हैं:
ठोस कैंसर (Solid cancers): यह सबसे कॉमन टाइप का कैंसर है, जो कैंसर के सभी मामलों में से 80% से 90% में पाया जाता है.
ब्लड कैंसर (Blood cancers): ये वो कैंसर हैं जो आपके ब्लड सेल या लिम्फेटिक सिस्टम में शुरू होता है. उदाहरणों के तौर पर ल्यूकेमिया (leukemia), लिंफोमा (lymphoma) और मल्टीपल मायलोमा (multiple myeloma).
मिक्स्ड कैंसर (Mixed Cancers): यह एक दुर्लभ तरह का कैंसर होता है, जिसमें दो क्लासिफिकेशन या सबटाइप शामिल होते हैं. उदाहरण के तौर पर कार्सिनो सारकोमा (carcinosarcoma) और एडेनोस्क्वैमस कार्सिनोमा.
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क्या कैंसर के मामले बहुत कॉमन हैं? (How Common Is Cancer?)
कैंसर दुनिया भर में मौत का दूसरा सबसे आम कारण है. रिसर्चर का अनुमान था कि 2024 में, अमेरिका में रहने वाले 2 मिलियन से ज्यादा लोगों में कैंसर डायग्नोज होगा और 611,000 से ज्यादा लोगों की इस बीमारी की वजह से मौत होगी. लगभग 4 में से 1 व्यक्ति को अपने पूरे जीवन में कभी न कभी कैंसर होगा.
सबसे कॉमन कैंसर में शामिल हैं (The most common cancers)
- ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer)
- लंग कैंसर (Lung cancer)
- प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer)
- कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal cancer)
- ब्लड कैंसर (Blood cancers)
कैंसर के लक्षण क्या होते हैं? (What are the symptoms of cancer?)
कैंसर के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं. वे इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपको किस तरह का कैंसर है और यह कितनी एडवांस स्टेज में पहुंच गया है.
सामान्य कैंसर के लक्षणों में नीचे बताए लक्षण शामिल हो सकते हैं (General Cancer Symptoms):
- थकान (Fatigue)
- रात में बुखार आना (Fever at night)
- भूख में कमी (Loss of appetite)
- रात में सोते समय बहुत ज्यादा पसीना आना (Night sweats)
- लगातार दर्द रहना (Persistent pain)
- वजन घटना (Weight loss)
कुछ मामलों में, कैंसर ऑर्गन-स्पेसिफिक एडिशनल सिन्टम्स यानी लक्षण पैदा कर सकता है. इसमें शामिल हो सकते हैं:
- आपके पेशाब या मल में खून आना
- तिल के शेप, कलर या साइज में बदलाव
- खांसी के साथ खून आना
- नई गांठ या उभार
इन लक्षणों के होने का मतलब हमेशा यह नहीं होता कि आपको कैंसर है, लेकिन ये पता करने के लिए आपको टेस्ट कराना होगा. कैंसर एक कॉम्पलिकेटेड डिजीज है. अलग-अलग तरह के कैंसर की वजह से इसके लक्षण भी अलग-अलग होते हैं. ऐसा भी संभव है कि सालों से कैंसर हो और मरीज में उसके लक्षण न दिखें. इसलिए समय समय पर इसका टेस्ट कराना बहुत जरूरी है.
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कैंसर होने का कारण क्या होता है? (What Causes Cancer?)
कैंसर एक अनुवांशिक विकार (Genetic Disorder) है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह हमेशा परिवार से विरासत में मिलता है. कैंसर, कोशिकाओं के बढ़ने और गुणा करने के तरीके को मैनेज करने वाले जीन में बदलाव की वजह से होता है. वे असामान्य कोशिकाएं बनाने लगते हैं जो डिवाइड होकर बढ़ती चली जाती है और फिर आपके शरीर के काम करने के तरीके में रुकावट डालने लगती है.
ये सेल यानी कोशिकाएं कैंसर क्लस्टर या ट्यूमर बनाती हैं. कैंसर कोशिकाएं ट्यूमर से अलग हो सकती हैं और आपके लिम्फेटिक सिस्टम या ब्लड स्ट्रीम के जरिए आपके शरीर के दूसरे हिस्सों में पहुंच सकती हैं. स्पेशलिस्ट इसे मेटास्टेसिस कहते हैं.
उदाहरण के तौर पर, आपके ब्रेस्ट का ट्यूमर आपके फेफड़ों तक फैल सकता है, जिससे आपके लिए सांस लेना मुश्किल हो सकता है. कुछ तरह के ब्लड कैंसर में, आपका बोन मैरो असामान्य रक्त कोशिकाएं बनाने लगता है जो अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं. आखिर में असामान्य कोशिकाएं सामान्य रक्त कोशिकाओं को खत्म कर देती हैं.
मेडिकल रिसर्चर्स ने कई रिस्क फैक्टर की पहचान की है जो कैंसर डेवलप होने की संभावना को बढ़ाते हैं. चलिए उन पर नजर डालते हैं.
कैंसर के रिस्क फैक्टर्स (Risk Factors of Cancer)
कैंसर की कोई एक वजह नहीं होती है, बल्कि, कुछ चीजें इसे विकसित करने की संभावना बढ़ा सकती हैं जैसे:
फैमिली हिस्ट्री (Family history)
अगर आपके करीबी बायोलॉजिकल फैमिली मेंबर (माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी) को कैंसर है, तो आपमें कैंसर डेवलप होने का खतरा ज्यादा होगा.
स्मोकिंग (Smoking)
स्मोकिंग या ई-सिगरेट का इस्तेमाल करने से फेफड़े, ग्रासनली, अग्नाशय और मुंह का कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है.
एनवायरमेंटल फैक्टर (Environmental factors)
आपके वातावरण में एस्बेस्टस, पेस्टीसाइड और रेडॉन जैसे टॉक्सिन्स के मौजूद होने से कैंसर हो सकता है.
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कुपोषण (Malnutrition)
हाई-फैट या हाई शुगर वाले खाद्य पदार्थ आपके शरीर में कई तरह के कैंसर डेवलप होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं. अगर आपकी दिनचर्या में फिजिकल एक्टिविटी शामिल नहीं है तो इस बीमारी का खतरा और बढ़ जाता है.
हार्मोन थेरेपी (Hormone Replacement Therapy)
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) लेने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) और गर्भाशय कैंसर (Uterine Cancer) का खतरा बढ़ सकता है.
रेडिएशन एक्सपोजर (Radiation Exposure)
सूर्य की अल्ट्रावायलेट (UV) किरणों के सम्पर्क में आने से स्किन कैंसर होने का खतरा काफी बढ़ जाता है.
कैंसर को डायग्नोज कैसे किया जाता है? (How is cancer diagnosed?)
स्पेशलिस्ट कंप्लीट फिजिकल एग्जामिनेशन करके कैंसर का डायग्नोज शुरू करते हैं. वे आपसे आपकी फैमिली हिस्ट्री और लक्षणों के बारे में पूछते हैं. डायग्नोज करने के लिए ये टेस्ट करने की भी जरूरत हो सकती है:
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कैंसर के लिए ब्लड टेस्ट (Blood Tests For Cancer)
- कंपलीट ब्लड काउंट (CBC), ब्लड प्रोटीन टेस्ट और ट्यूमर मार्कर टेस्ट शामिल हो सकते हैं.
- सीटी स्कैन (CT scan), MRI, अल्ट्रासाउंड या MIGB जैसे इमेजिंग टेस्ट.
- बायोप्सी, जो सर्जिकल (यानी चीरा लगाकर) या नॉन सर्जिकल (नीडिल से) की जा सकती है.
- वंशानुगत कैंसर को डायग्नोज करने और ट्रीटमेंट प्लान करने के लिए जेनेटिक टेस्ट.
कैंसर की स्टेज कैसे तय की जाती है?
स्पेशलिस्ट कैंसर के इलाज की योजना बनाने और पूर्वानुमान लगाने के लिए कैंसर स्टेजिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं. कैंसर स्टेजिंग सिस्टम (cancer staging system) से पता चलता है कि कैंसर कितना फैला है और कहां है. फिर इस जानकारी के आधार पर डॉक्टर मरीज का ट्रीटमेंट प्लान करते हैं.
ज्यादातर कैंसर की चार स्टेज होती हैं. कैंसर की स्टेज अलग-अलग फैक्टर्स के जरिए निर्धारित की जाती है, जैसे ट्यूमर का साइज और लोकेशन.
स्टेज I-III (1-3) का मतलब है कि कैंसर सीधे आस-पास के ऊतकों यानी टिश्यू में डेवलप हो गया है या पास के लिम्फ नोड्स में फैल गया है. इसे अर्ली स्टेज (Early-stage) या लोकली एडवांस (Locally advanced) स्टेज भी कहा जाता है.
स्टेज IV (4) (या मेटास्टैटिक) का मतलब है कि कैंसर कोशिकाएं आपके ब्लड स्ट्रीम या लिम्फेटिक सिस्टम के माध्यम से आपके शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल गई हैं.
कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है? (How Is Cancer Treated?)
डॉक्टर कैंसर के इलाज के लिए अलग-अलग तरह के ट्रीटमेंट का इस्तेमाल कर सकते हैं. कभी-कभी मरीज की सिचुएशन के हिसाब से ट्रीटमेंट को कम्बाइन भी किया जा सकता है. कॉमन कैंसर ट्रीटमेंट में शामिल हैं:
- सर्जरी (Surgery): अगर कैंसर फैला नहीं है, तो सर्जरी के जरिए कैंसरयुक्त ट्यूमर को शरीर से अलग किया जा सकता है.
- कीमोथेरेपी (Chemotherapy): कीमोथेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए पावरफुल ड्रग का इस्तेमाल किया जाता है. इन ड्रग को नस में नीडिल के जरिए या गोली के रूप में भी दिया जा सकता है. कीमोथेरेपी के जरिए कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने, बढ़ने से रोकने या उनकी वृद्धि धीमी करने में मदद मिलती है.
- रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy): रेडिएशन थेरेपी को रेडियोथेरेपी भी कहा जाता है. इसमें कैंसर कोशिकाओं को मारने और ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए रेडिएशन की हाई डोज का इस्तेमाल किया जाता है.
- इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy): इम्यूनोथेरेपी बीमारी से लड़ने के लिए मरीज के इम्यून सिस्टम को एक्टिवेट करती है.
- टारगेटेड थेरेपी (Targeted therapy): ये थेरेपी उन जेनेटिक म्यूटेशन को टारगेट करती है जो स्वस्थ कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं में बदल देते हैं.
हार्मोन थेरेपी (Hormone Therapy)
हार्मोन थेरेपी कैंसर पैदा करने वाले हार्मोन को ब्लॉक करती है. प्रोस्टेट कैंसर (prostate cancer ) के इलाज में हार्मोन थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है.
बोन मेरो ट्रांसप्लांट (Bone marrow transplant)
बोन मेरो ट्रांसप्लांट मरीज के डैमेज ब्लड सेल को हेल्दी सेल्स से बदल देता है.
कैंसर के इलाज के साइड इफेक्ट (Side Effects of Cancer Treatment)
कैंसर के इलाज के कई साइड इफेक्ट हो सकते हैं. ये साइड इफेक्ट इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपने कौन सा ट्रीटमेंट लिया है और आपका शरीर उसे कैसे सहन करता है. यदि मरीज में कैंसर के इलाज के दौरान साइड इफेक्ट डेवलप होते हैं, तो उसे अपने डॉक्टर को बताना चाहिए. डॉक्टर मरीज को ऐसी दवाएं दे सकते हैं जो साइड इफेक्ट्स को कम करने में मददगार हो सकती हैं.
क्या कैंसर को रोका जा सकता है? (Can Cancer Be Prevented?)
आप हमेशा कैंसर को नहीं रोक सकते, खासकर जब ऐसे रिस्क फैक्टर हों जिन्हें अवॉइड नहीं किया जा सकता. लेकिन आप कैंसर के खतरे को कम करने के लिए कई चीजें जरूर कर सकते हैं:
- अगर आप धूम्रपान करते हैं या तंबाकू का सेवन करते हैं, तो अपनी इस आदत को छोड़ने की कोशिश करें. आप अपने डॉक्टर से ऐसे प्रोग्राम के बारे में पूछ सकते हैं जो आपको तंबाकू की आदत छोड़ने में मदद कर सकते हैं.
- ऐसा न्यूट्रिशन प्लान फॉलो करें जो आपके लिए हेल्दी हो. जैसे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और हेल्दी प्रोटीन डाइट में शामिल करें. ज्यादा कैलोरी वाले फूड और ड्रिंक से बचें.
- अपनी डेली रुटीन में फिजिकल एक्टिविटी को शामिल करें.
- एस्बेस्टस (asbestos) और पेस्टीसाइड (pesticides) जैसे वातावरण में मौजूद टॉक्सिन से बचें.
- धूप से होने वाले नुकसान से खुद को बचाएं.
- नियमित तौर पर कैंसर की जांच कराएं.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)