नाइट शिफ्ट में काम करने के भयंकर नुकसान, इन 2 तरह के लोगों को तो खासकर बचना चाहिए : स्टडी

मानव शरीर की अपनी बायोलॉजिक क्लॉक होती है, जिसे वैज्ञानिक रूप से सर्कैडियन लय कहा जाता है, जो आमतौर पर दिन के उजाले और रात के समय से जुड़ी होती है.

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थोड़े समय के लिए भी नाइट शिफ्ट में काम करना किसी की भी हेल्थ पर बुरा असर डाल सकता है. वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी और पेसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेटरी के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है. शोधकर्ताओं ने वोलियंटर्स के साथ एक कंट्रोल लेबोरेटरी एक्सपेरिमेंट किया, जिन्हें तीन दिनों के लिए नाइट या डे शिफ्ट के अनुरूप शेड्यूल पर रखा गया था.

उनकी लास्ट शिफ्ट के बाद पार्टिसिपेट्स को बाहरी प्रभावों के हस्तक्षेप के बिना उनकी इंटरनल बायोलॉजिक रिदम को मापने के लिए लगातार कंडिशन्स - लाइट, टेंपरेचर, पॉजिशन और खाना खाने - के तहत 24 घंटे तक जागते रखा गया था.

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नाइट शिफ्ट में काम करना के नुकसान:

प्रोटीन रिसर्च जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि नाइट शिफ्ट में सिर्फ तीन दिन एक व्यक्ति के ब्लड ग्लूकोज रेगुलेशन, एनर्जी मेटाबॉलिज्म और सूजन से संबंधित प्रोटीन लय को खराब कर देते हैं, ऐसी प्रक्रियाएं जो पुरानी मेटाबॉलिक कंडिशन, डायबिटीज के विकास को प्रभावित कर सकती हैं.

नाइट शिफ्ट में काम करने से शरीर की सर्कैडियन लय बिगड़ जाती है. ये इंटरनल क्लॉक है जो मेटाबॉलिज्म सहित कई फिजिकल एक्टिविटीज को कंट्रोल करती हैं. नाइट शिफ्ट मेनली ब्लड शुगर रेगुलेशन को रिस्ट्रिक्ट करती है. इंसुलिन सेंसिटिविटी और ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म के लिए जरूरी प्रोटीन लय अनियमित हो जाती है, जिससे डायबिटीज और मोटापे को बढ़ावा मिलता है.

बिगड़ जाती है सर्कैडियन लय और मेटाबॉलिज्म रिएक्शन्स:

नींद में बाधा, इरेगुलर फूड और रात की रोशनी के संपर्क में आने से एनर्जी मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है, जिससे सूजन बढ़ जाती है. नाइट शिफ्ट में ग्लूकोज मैनेजमेंट कमजोर होना और मेटाबॉलिज्म संबंधी विकार के जोखिम को बढ़ाना संभव है. सर्कैडियन लय और मेटाबॉलिज्म रिएक्शन्स में व्यवधान तेजी से हो सकता है जब व्यक्ति अपने नींद-जागने के चक्र में बदलाव और नाइट शिफ्ट में काम करते हैं.

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मानव शरीर की अपनी बायोलॉजिक क्लॉक होती है, जिसे वैज्ञानिक रूप से सर्कैडियन लय कहा जाता है, जो आमतौर पर दिन के उजाले और रात के समय से जुड़ी होती है.

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गड़बड़ा जाते हैं आपके हार्मोन्स:

“सुबह के समय, आपका शरीर कोर्टिसोल नामक एक हार्मोन रिलीज करता है जो आपको सतर्क और एनर्जेटिक महसूस कराता है. शाम के समय हमारा शरीर मेलाटोनिन छोड़ता है, जिससे आपको नींद आने लगती है. आपके शरीर की सर्कैडियन लय इंसुलिन रिलीज करने में भी मदद करती है, ये एक हार्मोन है जो आपके ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस करता है. नाइट शिफ्ट आपकी सर्कैडियन लय को रिस्ट्रिक्ट करती है, जिससे ये हार्मोन भी गड़बड़ा सकते हैं.

भूख और नींद पर पड़ता है बुरा असर:

नाइट शिफ्ट में काम करने से आपकी भूख और नींद पर बुरा असर पड़ सकता है. ऐसा हमारी बायोलॉजिक क्लॉक में बदलाव के कारण हो सकता है. खासकर मोटापा और डायबिटीज के इतिहास वाले लोगों को नाइट शिफ्ट से बचने की सलाह दी जाती है. अगर आपको रात में काम करना जरूरी है तो रात में बहुत ज्यादा खाने से बचना चाहिए और दिन में पर्याप्त आराम करना बहुत जरूरी है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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