पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट के बारे में जानते हैं आप, क्या है दोनों में अंतर?

कोलकाता आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए रेप के आरोपी का पॉलीग्राफी टेस्ट कराया जाएगा. इसके बारे में लोगों में कन्फ्यूजन रहा है कि नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट एक ही होता है. आइए जानते हैं कि इन दोनों टेस्ट में क्या अंतर है.

Advertisement
Read Time: 3 mins

कोलकाता आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए रेप के आरोपी का पॉलीग्राफी टेस्ट कराया जाएगा. इसके बारे में लोगों में कन्फ्यूजन रहा है कि नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट एक ही होता है. अक्सर आप जुर्म को साबित करने के लिए पुलिस की तरफ से यह कहते सुनते हैं कि अमुख आरोपी का पॉलीग्राफ टेस्ट या नार्को टेस्ट होगा जिसके जरिए सच्चाई का पता चलेगा. ऐसे में ये पॉलीग्राफ या नार्को टेस्ट क्या है इसकी सामान्य लोगों को समझ थोड़ी कम होती है. वैसे सबसे पहले आपको बता दें कि पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट दोनों अलग-अलग हैं.  

इसमें से पॉलीग्राफी टेस्ट इंसान के सच और झूठ का पता लगाने के लिए किया जाता है. सामान्य भाषा में इसे लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कहा जाता है. इसमें कुछ मशीनों का प्रयोग किया जाता है जिसके जरिए अपराधी या आरोपी का झूठ पकड़ा जाता है.  

एंडोमेट्रियोसिस क्या है और किन वजहों से होता है? महिलाओं की इस दर्दनाक बीमारी के बारे में एक्सपर्ट से जानिए

दरअसल पॉलीग्राफ मशीन को आरोपी के शरीर के साथ अटैच किया जाता है और इसके सेंसर्स से आ रहे सिग्नल को एक मूविंग पेपर (ग्राफ) पर रिकॉर्ड किया जाता है. इसी के जरिए पता लगाया जाता है कि वह व्यक्ति सच बोल रहा है या झूठ. इस दौरान उसके बीपी से लेकर हृदय के धड़कन तक की सघन गणना की जाती है. इस प्रक्रिया में आरोपी को कोई इंजेक्शन नहीं दिया जाता है. आरोपी का यह टेस्ट पूरे होशोहवास में होता है. 

प्रेस्टो इंफोसॉल्यूशंस, मेडिकैम और रिलायबल टेस्टिंग सॉल्युशंस जैसी कंपनियां भारत में पॉलीग्राफी मशीन का उत्पादन करती हैं या पॉलीग्राफ टेस्ट डिवाइस और अन्य फोरेंसिक डिवाइस प्रोवाइड कराती हैं. 

वहीं नार्को टेस्ट के बारे में बता दें इस टेस्ट के दौरान आरोपी को सोडियम पेंटोथल की डोज इंजेक्शन के जरिए दी जाती है. जिससे आरोपी बेहोशी की स्थिति में आ जाता है. इस दौरान उसका दिमाग पूरी तरह से सक्रिय रहता है. नार्को टेस्ट से पहले व्यक्ति का फिटनेस टेस्ट किया जाता है.

Advertisement

वैसे आपको बता दें कि आरोपी के दोनों ही प्रकार के टेस्ट के लिए अदालत की मंजूरी लेना जरूरी होता है. इसके साथ ही जिस शख्स का टेस्ट होना है उसकी सहमति भी इसके लिए जरूरी होती है. कई देशों में यह पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं. 

ऐसे में बता दें कि कोलकाता आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए रेप के आरोपी का पॉलीग्राफी टेस्ट करने का आदेश दिया गया है जो नार्को टेस्ट से बिल्कुल अलग है.  

Advertisement

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
हिज्बुल्लाह सदस्यों के पेजर्स में विस्फोट से 8 की मौत, 2750 जख्मी