बच्चों के बिहेवियर में आपको दिखें ये बदलाव तो समझ जाएं कि पक्का है कुछ गड़बड़, बच्चों की ग्रोथ पर भी पड़ सकता है असर

Mental Health: क्या आपका बच्चा भी कभी-कभी चिड़चिड़ा हो जाता है या अलग-थलग रहने लगता है, तो हो सकता है कि वह ट्रॉमा से गुजर रहा हो, आप इन लक्षण से उसमें trauma को पहचान सकते हैं.

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Child Mental Health: बच्चे ज्यादा इमोशनल और चिड़चिड़े हो रहे हैं तो उनको मेंटल ट्रॉमा हो सकता है.

Child Mental Trauma Symptoms: हम सभी चाहते हैं कि हमारे बच्चे (Kids) हमेशा खुश रहें और इसके लिए माता-पिता ना जाने क्या कुछ नहीं करते, लेकिन कई बार कुछ ऐसी स्थिति हो जाती है कि बच्चे किसी ट्रॉमा (Trauma) का शिकार हो जाते हैं. ये ट्रामा लंबे समय तक बच्चों के साथ रहता है और उनके डेवलपमेंट (Child Development) में भी असर डालता है. ऐसे में आइए आज हम आपको बताते हैं कि बच्चों में ट्रामा की पहचान कैसे करें (Symptoms Of Trauma) और इससे कैसे डील करें.

बच्चों में मेंटल ट्रॉमा के लक्षण | Symptoms of Mental Trauma In Children

1. बिहेवियर में बदलाव

अगर बच्चे के व्यवहार में आपको अचानक से चेंज नजर आने लगे वो  बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा या अलग-थलग रहने वाला व्यवहार करने लगे तो समझ जाएं कि बच्चा किसी ट्रामा से गुजर रहा हैं.

2. इमोशनल बिहेवियर 

अगर आपका बच्चा बहुत ज्यादा उदास रहने लगा है, छोटी छोटी सी बातों पर डरने लगा है और अपनी बातें शेयर नहीं करता है, तो आपको सचेत हो जाना चाहिए क्योंकि ये ट्रामा के लक्षण हो सकते हैं.

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3. नींद ना आना 

जब बच्चे ट्रामा से गुजर रहे होते हैं तो उनकी नींद का पैटर्न भी बिगड़ जाता है. जैसे सोने में परेशानी आना, बुरे सपने आना, रात को डर लगना, बेचैनी होना.

4. भूख में बदलाव 

ट्रॉमा से गुजर रहे बच्चों को या तो भूख नहीं लगती है या इतनी भूख लगती है कि वो बहुत ज्यादा खाने लगते हैं, ऐसे में आप इस बात का भी विशेष ध्यान रखें.

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5. हाइपरसोल

हाइपरसोल एक ऐसी स्थिति है, जिसमें ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई आना, दूसरों से अलग-थलग रहना, आसानी से चौंक जाना या हाइपर विजिलेंस होना शामिल है. ऐसी स्थिति में बच्चा ट्रॉमा से प्रभावित हो सकता है. 

6. फिजिकल प्रोब्लम

ट्रॉमा के दौरान बच्चे में शारीरिक समस्याएं भी नजर आने लगती है, जैसे- सिर दर्द, पेट दर्द या शरीर के किसी भी हिस्से में अचानक से दर्द होना, लेकिन उसे एक्सप्रेस ना कर पाना.

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इस कंडिशन में पेरेंट्स को क्या करना चाहिए? | What Should Parents Do In This Condition?

1. बच्चे की भावनाओं और व्यवहार को समझने की कोशिश करना.

2. खुले दिमाग से बच्चे की बात ध्यान से सुनना .

3. छोटे-छोटे चेंज को देखना और धीरे से बच्चे से उनके बारे में पूछना.

4. जजमेंटल होने से बचना.

5. ओवररिएक्ट न करके और इसके बजाय उनके साथ सहानुभूति रखने की कोशिश करें.

6. बच्चे को विश्वास दिलाना कि वे उनके साथ हैं.

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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