क्या स्टेम सेल थेरेपी से ठीक हो सकता है टाइप 1 डायबिटीज? जानिए चीन की अहम केस स्टडी में चौंकाने वाला नया दावा

चीन में स्टेम-सेल थेरेपी से टाइप 1 डायबिटीज को पूरी तरह ठीक किए जाने का दावा किया गया है. वहां एक महिला ने अपने टाइप 1 डायबिटीज के इलाज के लिए अपनी कोशिकाओं से बनी स्टेम-सेल थेरेपी करवाई है.

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जानिए क्या है स्टेम सेल थेरेपी, कैसे करती है काम?

Stem-cell therapy: क्या स्टेम-सेल थेरेपी से टाइप 1 डायबिटीज या मधुमेह का इलाज किया जा सकता है? आजतक दवाइयों और इंजेक्शन ने महज काबू किया जा सकने वाली लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी डायबिटीज के इलाज को लेकर यह सवाल इन दिनों सुर्खियों में है. क्योंकि, चीन में सामने आई एक अहम केस स्टडी में नया और चौंकाने वाला दावा किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में स्टेम-सेल थेरेपी से टाइप 1 डायबिटीज को पूरी तरह ठीक किए जाने का दावा किया गया है. वहां एक महिला ने अपने टाइप 1 डायबिटीज के इलाज के लिए अपनी कोशिकाओं से बनी स्टेम-सेल थेरेपी करवाई है.

इलाज के 75 दिनों के बाद मरीज को इंसुलिन लेने की जरूरत नहीं

चीन में शोधकर्ताओं ने पाया कि इलाज के 75 दिनों के बाद डायबिटीज पीड़ित महिला को इंसुलिन का इस्तेमाल करने की कोई जरूरत नहीं थी. स्टेम-सेल से मिले आइलेट कोशिकाओं को उसके पेट के अंदर प्रत्यारोपित किया गया था. अब इस परीक्षण और दुनिया भर में कई साइटों पर दूसरी स्टेम-सेल थेरेपी परीक्षणों में ज्यादा लोगों को नॉमिनेट किया गया है. क्योंकि टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित एक महिला ने स्टेम-सेल थेरेपी के तहत इंजेक्शन लेने के 3 महीने से भी कम समय में अपना इंसुलिन बनाना शुरू कर दिया. इलाज के 1 साल बाद भी वह इंसुलिन इंजेक्शन से फ्री रहीं.

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डायबिटीज के इलाज में अपनी तरह का पहला और अनोखा मामला

यह अपनी तरह का पहला मामला है. स्टडी में शामिल रिसर्चर्स ने बताया कि महिला के सफल इलाज के बाद से चीन में दो और लोगों को क्लिनिकल ट्रायल में नोमिनेट किया गया है. नए अध्ययन के मुख्य लेखक और पेकिंग विश्वविद्यालय, बीजिंग, चीन में सेल बायोलॉजिस्ट होंगकुई डेंग, पीएचडी ने पहले प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल थेरेपी विकसित करने का महत्वपूर्ण काम किया है. रिसर्च में टाइप 1 डायबिटीज वाले 12 मरीजों के डेटा एनालिसिस के आधार पर परीक्षण के परिणामों में स्टेम-सेल से मिले इंसुलिन-उत्पादक आइलेट कोशिकाओं की शुरुआत को देखा गया.

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रिसर्चर्स ने केस स्टडी और स्टेम-सेल थेरेपी के बारे में क्या बताया?

डॉक्टर होंगकुई डेंग ने कहा, "परीक्षण जारी है. इसमें कुल तीन मरीज शामिल हैं. पहले मरीज के डेटा के अंतरिम विश्लेषण और इस काम को सफलता से पूरा करने के बाद, दूसरे और तीसरे मरीज को नामांकित किया गया. इन मरीजों के साथ फॉलोअप कार्रवाई जारी है, क्योंकि उन्हें नियामक सुरक्षा जरूरतों के मुताबिक क्रमिक रूप से नामांकित किया गया था. कम से कम 2 साल का लॉन्ग टाइम फॉलेअप की कार्रवाई की जाएगी." इस केस स्टडी में रोगी को पहले दो लीवर प्रत्यारोपण हुए थे और उसके मधुमेह के कारण हुई जटिलताओं के कारण एक असफल अग्न्याशय प्रत्यारोपण हुआ था.

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कैसे किया गया था स्टेम-सेल थेरेपी इलाज, क्या थी पूरी प्रक्रिया?

मौजूदा समय में टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के लिए कई और स्टेम-सेल आधारित इलाज भी विकास और परीक्षण के दौर में हैं. इस केस स्टडी के लिए, चीन के तियानजिन में नानकाई विश्वविद्यालय के तियानजिन फर्स्ट सेंट्रल हॉस्पिटल में स्थित रिसर्चर्स ने टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित 25 वर्षीय महिला से वसा कोशिकाएं लीं और उन्हें प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल के रूप में व्यवहार करने के लिए रासायनिक रूप से प्रेरित किया. इस प्रक्रिया के तहत एक प्रकार की कोशिका अन्य प्रकार की कोशिकाओं में विकसित हो सकती है.

क्या है इंसुलिन? स्टेम-सेल थेरेपी के बाद क्यों नहीं पड़ी जरूरत?

फिर उन्होंने इनका उपयोग आइलेट कोशिकाओं को बनाने के लिए किया, जो आम तौर पर अग्नाशय में मौजूद होती हैं और इंसुलिन बनाती हैं. इंसुलिन एक हार्मोन है जो ब्लड सर्कुलेशन में ग्लूकोज (शर्करा) के स्तर को कंट्रोल करता है.  शोधकर्ताओं ने पाया कि थेरेपी की प्रक्रिया पूरी होने के लगभग ढाई महीने बाद महिला को इंसुलिन इंजेक्शन की जरूरत नहीं थी और एक साल के बाद भी उसे इंसुलिन इंजेक्शन की कोई जरूरत नहीं पड़ी.

टाइप 1 डायबिटीज क्या है? आंखों, नर्वस सिस्टम और लीवर को नुकसान

टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून स्थिति है जिसके चलते इम्यूनिटी सिस्टम द्वारा इन आइलेट कोशिकाओं को नष्ट कर दिया जाता है. इसका मतलब है कि शरीर उतना इंसुलिन नहीं बना सकता जितना कि जरूरी है. इसके कारण क्रोनिक और हाई ब्लड शुगर हो जाता है, जो संवहनी समस्याओं सहित कई जटिलताओं को जन्म दे सकता है. यह आंखों की रोशनी को प्रभावित करता है. साथ ही नर्वस सिस्टम और लीवर को भी गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है.

दुनिया भर में डायबिटीज के इलाज में स्टेम-सेल थेरेपी से क्यों बढ़ी उम्मीद?

चीन में हुई केस स्टडी की रिपोर्ट के मुताबिक, स्टेम सेल थेरेपी की प्रक्रिया से पहले मरीज ने अपने लक्ष्य ग्लाइसेमिक रेंज तक पहुंचने के लिए पर्याप्त इंसुलिन के 43.18 प्रतिशत समय में इसका उत्पादन किया और 4 महीने बाद यह समय बढ़कर 96.2 फीसदी हो गया. मरीज के ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन में भी कमी पाई गई, जो नॉन-डायबिटीज स्तर पर ब्लड ग्लूकोज के स्तर को दर्शाता है. हालांकि, इस केस स्टडी के अलावा कई दूसरे परीक्षण भी हैं जो टाइप 1 और 2 डायबिटीज वाले लोगों के लिए स्टेम सेल थेरेपी विकसित करने के लिए चल रहे हैं.

चीन से पहले अमेरिका और कनाडा में भी स्टेम-सेल थेरेपी पर रिसर्च जारी

जून 2024 में, फार्मास्युटिकल कंपनी वर्टेक्स ने अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के 84वें साइंटिस्ट सेशन में स्टेम-सेल थेरेपी का टाइप 1 डायबिटीज के इलाज में इस्तेमाल पर अपने पहले चरण के टेस्ट के रिजल्ट की घोषणा की थी. कंपनी ने परिणाम की रिपोर्ट करने के समय परीक्षण को कुल 37 डायबिटीज मरीजों पर आजमाया था. इससे पहले, साल 2021 में कनाडा में एक केस स्टडी भी सामने आई थी. इसमें 17 प्रतिभागियों में इंसुलिन-उत्पादक स्टेम-सेल से प्राप्त अग्नाशयी एंडोडर्म कोशिकाओं को प्रत्यारोपित करने की सेल रिपोर्ट्स मेडिसिन स्टडी पब्लिश की गई थी.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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