हाथ में चौबीस घंटे रहता है फोन, तो आंखों पर हो सकता है असर, फोन की नीली लाइट कम कर सकती है आंखों की रोशनी और नींद

How blue light affects your eyes, sleep, and health: मोबाइबल फोन, टीवी और कंप्यूटर से निकनले वाली ब्लू स्क्रीन कर सकती है आपकी नींद हराम. जानिए क्या-क्या है खतरा?

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अगर लगातार जमाकर रखेंगे स्‍क्रीन पर आंखें, तो होगा ये असर

Blue Light Effect on Sleep : आज के समय में हर पेशेवर और पढ़ाई करने वाले यहां तक कि बेरोजगार भी हाथ में मोबाइल लेकर घूम रहे हैं. हमने मोबाइल को नहीं बल्कि मोबाइल ने हमें अपने जद में ले लिया है. खाते-पीते, उठते-बैठते यहां तक कि बिस्तर जाने से पहले और बिस्तर पर पड़े-पड़े इंसान मोबाइल का आदी हो गया है. वहीं, रात में सोने से पहले भी लोग मोबाइल नहीं छोड़ रहे हैं और जब मोबाइल हाथ से छूटकर मुंह पर नहीं गिर जाता है या फिर उसकी बैटरी डाउन नहीं हो जाती है, तब तक लोग सो नहीं रहे हैं.

अगर आप भी ऐसा कर रहें तो एक बहुत बड़े खतरे का शिकार हो सकते हैं. अगर आप सोने से पहले रूम की लाइट बंद कर बिस्तर पर पड़े-पड़े मोबाइल चला रहे हैं तो अभी से सतर्क हो जाएं, क्योंकि मोबाइल, टीवी कंप्यूटर से निकलने वाली ब्लू लाइट खतरे की घंटी है. मोबाइल से निकलने वाली ब्लू लाइट आंखों के लिए अभिशाप है. वहीं इसका शरीर की पूरी हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है.

मोबाइल की ब्लू लाइट से होने वाले नुकसान (Disadvantages of Blue Light)

मोबाइल से निकलने वाली ब्लू लाइट के लगातार संपर्क में रहने से रेटिना सेल्स डैमेज हो सकती है, जो मोतियाबिंद और आंखों के कैंसर का कारण बन सकती है. एक स्टडी के अनुसार, इसका खतरा बच्चों में ज्यादा है, जैसा कि आजकल बच्चे बिना फोन चलाए मान नहीं रहे हैं. मोबाइल चलाते वक्त पलके कम झपकती हैं, जिससे आंखों में तनाव और दर्द की समस्या हो सकती है.

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स्लीपिंग पैटर्न हो रहा डिस्टर्ब (Sleeping Pattern)

बता दें, अंधेरे में मोबाइल फोन का इस्तेमाल सबसे ज्यादा खतरनाक है. भले ही लोग यह कहते हैं कि सोने से पहले मोबाइल चलाने से उनकी थकान मिटती हैं और सुकून मिलता है, तो वो ऐसा ना करें, क्योंकि ब्लू लाइट नींद पर बुरा असर छोड़ती है.

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ब्लू लाइट से नींद का पैटर्न पूरी तरह से बिगड़ जाता है, जिससे सर्केडियन सिस्टम में गड़बड़ टाइप 2 डायबिटीज, हार्ट डिसीज और स्लीपिंग डिसऑर्डर जैसी समस्याएं होने लगती हैं. वहीं, 11 एक्सपेरिमेंटल अध्ययन के अनुसार, ब्लू लाइट के मुकाबले जो लोग ब्राइट स्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें अच्छी नींद आती है. अध्ययन के अनुसार, ब्लू लाइट वालों को ब्राइट स्क्रीन इस्तेमाल करने वालों से 2.7 मिनट बाद नींद आती है. बता दें, मोबाइल स्क्रीन से ना केवल आंखों की रोशनी पर असर पड़ता है, बल्कि स्किन संबंधी समस्याएं भी होने लगती हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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