अल्जाइमर की शुरुआती पहचान में सहायक हो सकते हैं ब्लड-बायोमार्कर टेस्ट : रिपोर्ट

बिना सर्जरी के बीमारी जल्द पता लगाने के किफायती तरीकों में विकास से नर्व्स सिस्टम पर असर डालने वाली इस बीमारी के समय पर उपचार में मदद मिल सकती है.

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वैश्विक स्तर पर 5.5 करोड़ से ज्यादा लोग अल्जाइमर से पीड़ित हैं.

अल्जाइमर रोग का जल्द पता लगाना बेहतर इलाज के लिए जरूरी है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्लड बेस्ड टेस्ट इसमें काफी मददगार साबित हो रहे हैं. डाटा और विश्लेषण क्षेत्र की कंपनी ग्लोबलडाटा की रिपोर्ट में पीईटी स्कैन और सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (सीएसएफ) विश्लेषण के सुलभ विकल्प सुझाए गए हैं. वर्तमान में वैश्विक स्तर पर 5.5 करोड़ से ज्यादा लोग अल्जाइमर से पीड़ित हैं और 2050 तक मामलों के तीन गुना होने का अनुमान है.

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बीमारी का पता लगाने के तरीकों में प्रगति:

बिना सर्जरी के बीमारी जल्द पता लगाने के किफायती तरीकों में विकास से नर्व्स सिस्टम पर असर डालने वाली इस बीमारी के समय पर उपचार में मदद मिल सकती है. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि उपचार के परिणामों वास्तविक में पड़ने वाले असर को लेकर अब भी सवाल बरकरार हैं.

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ग्लोबलडाटा में सीनियर मेडिकल एनालिस्ट एशले क्लार्क ने कहा कि हार्ट अटैक जैसी स्थितियों का पहले पता लगाने में किफायती और प्रभावी ब्लड बेस्ड बायोमार्कर टेस्ट ने बड़ी भूमिका निभाई है.

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शोधकर्ताओं ने क्या कहा?

क्लार्क ने कहा, "विश्वसनीय और सुलभ परीक्षण से अल्जाइमर रोग का पहले पता लग सकता है, जिससे रोगियों को उपचार शुरू करने और जीवनशैली में बदलाव के लिए ज्यादा समय मिल सकता है."

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ग्लोबलडाटा के पाइपलाइन प्रोडक्ट डाटाबेस के अनुसार, अल्जाइमर रोग के लिए 150 से ज्यादा इन विट्रो डायग्नोस्टिक टेस्ट वर्तमान में विकास के चरण में हैं. हालांकि, अमेरिकी दवा नियामक यूएसएफडीए ने अभी तक ब्लड बेस्ड अल्जाइमर टेस्ट को पूर्ण स्वीकृति नहीं दी है. क्लार्क ने कहा, "पूर्वानुमान में उच्च नकारात्मक आंकड़ों के साथ बेल्ड बेस्ड टेस्ट विश्वसनीय स्क्रीनिंग उपकरण के रूप में काम कर सकते हैं. इससे पीईटी स्कैन जैसी प्रक्रियाओं के लिए अस्पताल के संसाधनों को उन रोगियों के लिए आरक्षित करने में मदद मिल सकती है, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है.

ग्लोबलडाटा की रिपोर्ट के अनुसार, टेस्ट के कम से कम पांच तरीके पाइपलाइन में हैं, जो अमेरिका और यूरोप में नियामकों की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. इसके बावजूद नैतिक और रेगुलेटरी चुनौतियां बनी हुई हैं. इन टेस्ट से बीमा कंपनियों द्वारा परीक्षण परिणामों के आधार पर प्रीमियम में बदलाव करने की संभावना के बारे में चिंताएं उत्पन्न होती हैं.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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