भारत में 60 साल से ज्यादा उम्र के लगभग 7.4 प्रतिशत लोगों को है भूलने की बीमारी, डॉक्टर ने बताया कैसे बचें

अल्जाइमर रोग के बारे में ज्यादा जानकारी लेने के लिए हमने मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड में पैथोलॉजिस्ट कंसल्टेंट डॉक्‍टर भाव्या सक्सेना से बात की

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उम्र बढ़ने के साथ धीरे-धीरे दिमाग के सेल्‍स कम होने लगते हैं.

अल्जाइमर की बीमारी में व्यक्ति की एक उम्र के बाद  याददाश्त में कमी होने लगती है. इस रोग से जूझ रहा मरीज अक्‍सर चीजें रखकर भूल जाता हैं. इस बारे में डॉक्‍टरों का कहना है कि उम्र बढ़ने के साथ धीरे-धीरे दिमाग के सेल्‍स कम होने लगते हैं, इससे अल्जाइमर की समस्‍या होती है. अल्जाइमर रोग के बारे में ज्यादा जानकारी लेने के लिए हमने मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड में पैथोलॉजिस्ट कंसल्टेंट डॉक्‍टर भाव्या सक्सेना से बात की.

डॉक्‍टर सक्सेना ने बताया कि "अल्जाइमर रोग मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान पहुंचाने वाला रोग है, जो लोगों की डेली लाइफ को प्रभावित करता है. 2023 के अध्ययनों पर एक नजर डालें तो भारत में अल्जाइमर रोग 60 साल से ज्यादा आयु के लगभग 7.4 प्रतिशत वयस्कों को प्रभावित करता है. वैश्विक लेवल पर डिमेंशिया से पीड़ित 55 मिलियन लोगों में से अनुमानित 60 से 70 प्रतिशत लोग किसी न किसी प्रकार के डिमेंशिया से पीड़ित हैं."

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उम्र बढ़ने पर ब्रेन सिकुड़ने लगता है:

उन्‍होंने कहा, "अल्जाइमर में ब्रेन में कुछ बदलाव होते हैं. ऐसे में ब्रेन में प्रोटीन का जमाव होने लगता है, इससे ब्रेन सिकुड़ने लगता है. अगर समय से इसका इलाज न किया जाए, तो ब्रेन सेल्स मर जाती हैं और इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलते है."

डॉक्‍टर भाव्या ने बताया, "इसके शुरुआती दौर में भ्रम, मेमोरी लॉस, काम पूरा करने में कठिनाई, आंखों की रोशनी में बदलाव, बोलने या लिखने में परेशानी, भूलने की बीमारी जैसे लक्षण दिखाई देते है. समय के साथ इन लक्षणों के गंभीर परिणाम सामने आते है."

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"अल्जाइमर रोग के गंभीर होने से पहले इसका इलाज बेहद जरूरी है"

डॉक्‍टर ने कहा, "अल्जाइमर ब्रेन फंक्शनिंग को रिस्ट्रिक्ट होने के साथ डिहाइड्रेशन और इंफेक्शन की समस्‍या पैदा कर सकता है, जो मौत का कारण भी हो सकता है. बाजार में कई दवाएं मौजूद हैं, जो इसके लक्षणों और इसकी प्रगति को धीमा करने का काम करती है. लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर भी इससे बचा जा सकता है. इसके लिए ब्‍लड प्रेशर और शुगर को कंट्रोल करना बेहद जरूरी है. यह सभी बदलाव अल्जाइमर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते है."

आपको बता दें कि अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का एक रूप माना जाता है. यह ब्रेन के उन हिस्सों को प्रभावित करता है, जिससे बोलने सोचने में परेशानी होती है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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