Diwali 2025 : दिवाली पर बढ़ रहे प्रदूषण के बीच ऐसे रखें अपना और अपनों का ख्याल

पटाखों और आतिशबाजी से हवा में हानिकारक पदार्थों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत, थकावट, चक्कर और कई दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.

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AQI को मॉनिटर करें: स्थानीय AQI देखें और अगर यह “खराब” या “बहुत खराब” है तो बाहर जाने से बचें.

How to save your self with pollution : दीवाली रोशनी और खुशियों का त्योहार है, लेकिन इसके साथ एक गंभीर समस्या भी आती है, हवा की क्वालिटी का खराब होना. दरअसल, पटाखों और आतिशबाजी से हवा में हानिकारक पदार्थों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत, थकावट, चक्कर और कई दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. खासकर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से सांस की बीमारी वाले लोग ज्यादा प्रभावित होते हैं. आज हम आपको आसान और इफेक्टिव तरीके बताएंगे, जिनसे आप इस त्यौहार पर होने वाले हवा के प्रदूषण से अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा कर सकते हैं.

दिवाली पर हवा का प्रदूषण और इसके असर - Air Pollution During Diwali and Its Effects

कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के एक स्टडी के मुताबिक, (2009-2019) के बीच भारत में लगभग 38 लाख मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी थीं, जब हवा में PM2.5 की मात्रा भारत की मानक सीमा (40 µg/m³) से ज्यादा थी. यहां तक कि थोड़े समय के लिए भी PM2.5 के संपर्क में आना स्वास्थ्य के लिए गंभीर हो सकता है.

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पटाखों से निकलने वाले धुएं में PM2.5, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और हैवी मेटल्स जैसे हानिकारक पदार्थ शामिल होते हैं. ये छोटे-छोटे पार्टिकल फेफड़ों और हृदय पर गंभीर असर डाल सकते हैं. दिल्ली में 16 अक्टूबर 2025 को AQI 183 दर्ज किया गया, जो “अनहेल्दी” की कैटेगरी में आता है, और अनुमान है कि दिवाली के दौरान यह 301+ (“हानिकारक”) तक पहुंच सकता है. स्टडी से पता चला है कि PM2.5 के एक्सपोजर से सांस की बीमारियां, हार्ड डिजीज, स्ट्रोक और अन्य स्वास्थ्य से जुड़े खतरे बढ़ जाते हैं.

प्रदूषण से बचने के आसान उपाय - Easy ways to avoid pollution

AQI को मॉनिटर करें: स्थानीय AQI देखें और अगर यह “खराब” या “बहुत खराब” है तो बाहर जाने से बचें.

भीड़ वाले आतिशबाजी कार्यक्रमों से दूर रहें: बच्चे, बुजुर्ग और सांस की बीमारी से पीड़ित लोग घर में रहें.

सही मास्क का इस्तेमाल करें: बाहर जाने पर N95 या FFP2 मास्क पहनें. ये मास्क फेफड़ों में जाने वाले छोटे-छोटे हानिकारक कणों (PM2.5) को कम करने में मदद करते हैं . साधारण सर्जिकल या कपड़े के मास्क पर्याप्त सुरक्षा नहीं देते.

घर के अंदर हवा को सुरक्षित रखें: प्रदूषण के समय खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें, दरवाजों में ड्राफ्ट-स्ट्रिप्स का इस्तेमाल करें, और घर के अंदर माचिस, मोमबत्ती, अगरबत्ती या मच्छरदानी जैसी चीजें जलाने से बचें. अगर संभव हो तो HEPA-फिल्टर वाला एयर प्यूरिफायर लिविंग रूम और बेडरूम में चलाएं, क्योंकि यह घर के अंदर PM2.5 पार्टिकल की मात्रा को काफी कम कर देता है.

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सांस की बीमारी का ध्यान रखें: अस्थमा या COPD मरीज अपनी दवाइयां नियमित लें और लक्षण बिगड़ने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

आउटडोर हैवी एक्सरसाइज कम करें: हैवी एक्सरसाइज से ज्यादा प्रदूषक अंदर जाते हैं. इसलिए दिवाली के दौरान और उसके तुरंत बाद भारी आउटडोर वर्कआउट करने से बचें.

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सार्वजनिक उपायों का पालन करें: ग्रीन क्रैकर्स प्रदूषण को कुछ हद तक कम करते हैं, लेकिन उनकी मात्रा, सही उपयोग और उत्पाद की गुणवत्ता भी मायने रखती है. लेकिन लॉन्ग टर्म सॉल्यूशन के लिए पॉलिसी बनाना, मॉनिटर करना और लोगों का कम प्रदूषण वाले तरीकों को अपनाना जरूरी है.



 

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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