Delhi Pollution: सर्दियों का मौसम आते ही दिल्ली की हवा पर एक धुंधली चादर सी फैल जाती है. सुबह की ठंडी हवा ताजगी नहीं, बल्कि जलन और भारीपन लेकर आती है. जिन सड़कों पर दिन भर भाग-दौड़ रहती है, वहां धुंध और धुएं का ऐसा मिश्रण बन जाता है कि कुछ ही मिनट बाहर रहने पर आंखों में चुभन और सांस में कसाव महसूस होने लगता है. हर साल दिल्ली की हवा का AQI खराब से बेहद खतरनाक श्रेणी तक पहुंच जाता है और लोग सोचने लगते हैं, आखिर दिल्ली की हवा में ऐसा क्या है जो इसे इतना जहरीला बना देता है?
प्रदूषण एक अदृश्य दुश्मन है, जो बिना आवाज किए हमारे शरीर में घुसता है और हमारी सांसों को धीरे-धीरे प्रभावित करता है. फेफड़ों के साथ-साथ दिमाग, दिल और स्किन पर असर दिखता है. लेकिन, हवा में मौजूद यह जहरीले तत्व क्या हैं, यह जानना बहुत जरूरी है. आइए समझते हैं कि दिल्ली की हवा में कौन-कौन से ऐसे कण और गैसें मौजूद हैं जो इसे जानलेवा बना रही हैं.
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कौन से तत्व बना रहे आपको बीमार?
नए शोध में पता चला है कि दिल्ली की हवा में पोटेशियम, सिलिकॉन, एल्यूमीनियम, क्लोरीन और कैल्शियम जैसे तत्व खतरनाक लेवल तक मौजूद हैं. यह अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ सरे के जीसीएआरई और आईआईटी दिल्ली सहित अन्य संस्थानों के सहयोग से हुआ और कीमोस्फीयर जर्नल में प्रकाशित हुआ.
भारत में वायु प्रदूषण हर साल लाखों मौतों का कारण बन रहा है और दिल्ली, जिसकी आबादी 3 करोड़ से ज्यादा है, दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में गिनी जाती है. यहां पीएम 2.5 का लेवल WHO मानकों से कई गुना ज्यादा रिकॉर्ड किया गया है. शोध से पता चला कि निर्माण कार्य, सड़क की धूल, कचरा जलाना, लैंडफिल की आग और पराली से बनने वाले प्रदूषण में बड़ी मात्रा में ऑर्गेनिक कार्बन और धातु तत्व मौजूद थे, जो हवा को और ज्यादा जहरीला बना रहे हैं.
दिल्ली की हवा जहरीली बना रहे ये तत्व | These Elements Are Making Delhi's Air Poisonous
1. PM 2.5 सबसे छोटा और सबसे खतरनाक कण
PM 2.5 यानी बेहद महीन धूल के कण, जिनका आकार एक मानव बाल से भी 30 गुना छोटा होता है. ये कण सीधे फेफड़ों की गहराई तक पहुंचकर वहां जमा हो जाते हैं, जिससे अस्थमा, खांसी और सांस फूलने की समस्या, फेफड़ों की सूजन, हार्ट डिजीज का बढ़ा जोखिम, लंबे समय में फेफड़ों की क्षमता कम होना, दिल्ली की हवा में PM 2.5 का लेवल सामान्य से 10-20 गुना तक ज्यादा पाया जाता है.
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2. PM 10 बड़े धूल के कण जो आंख, नाक और गले को परेशान करते हैं
PM 10 बड़े कण होते हैं, जो सड़कों की धूल, निर्माण कार्य और वाहनों की आवाजाही से बनते हैं. ये कण आंखों में जलन, गले में खराश, एलर्जी, छाती भारी महसूस होना जैसी समस्याएं पैदा कर सकते हैं. हालांकि यह PM 2.5 जितने गहरे फेफड़ों तक नहीं पहुंचते, लेकिन इनका असर तेजी से महसूस होता है.
3. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) गाड़ियों से निकलने वाली जहरीली गैस
दिल्ली में वाहनों की संख्या लाखों में है और उनसे निकलने वाली NO2 हवा को बेहद नुकसान पहुंचाती है. इससे फेफड़ों की सूजन, ब्रोंकाइटिस, बच्चों में फेफड़ों की धीमी ग्रोथ, लंबे समय में सांस की बीमारियां होती हैं. यह गैस सर्दियों में हवा में ज्यादा समय तक टिकी रहती है, जिससे हवा और ज्यादा जहरीली बन जाती है.
4. सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) औद्योगिक क्षेत्रों की देन
यह गैस कोयले और डीजल के जलने से निकलती है. दिल्ली में आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों से इसकी मात्रा बढ़ जाती है. सांस में जलन, आंखों में चुभन, दिल के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है.
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5. ओजोन (O3) गर्मी में बनती है, लेकिन सर्दियों में असर बढ़ा देती है
ओजोन एक सेकेंडरी प्रदूषक है, जो गैसों के सूर्य की रोशनी से प्रतिक्रिया करने पर बनता है. ये गले में जलन, सांस लेने में तकलीफ, छाती कसना जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है.
दिल्ली की हवा सिर्फ धूल और धुएं का मिश्रण नहीं है, बल्कि कई खतरनाक कणों और जहरीली गैसों का ऐसा मेल है जो हमारी हर सांस को प्रभावित करता है. PM 2.5, PM 10, NO2, SO2 और ओजोन ये सभी तत्व मिलकर हवा को इतना प्रदूषित बना देते हैं कि लगातार संपर्क में रहने पर शरीर पर गंभीर असर पड़ सकता है.
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