Cotton Candy History And Facts: गलियों में बिकने वाली कॉटन कैंडी, बुढ़िया के बाल भारत की नहीं, जानें किस देश...

Cotton Candy History: गुलाबी चमकीली रूई के जैसी दिखने वाली डिश का नाम लेते ही आज भी मुंह में मिठास घुल जाती है. पहले तो मेलों में ये कॉटन कैंडी (Cotton Candy) खासा बच्चों का आकर्षण का केंद्र होती थी और आज भी है.

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Budhiya Ke Baal: आज कॉटन कैंडी की मशीन ऑटोमैटिक हो गई हैं.

Who Invented Cotton Candy: कॉटन कैंडी कहें, हवा मिठाई या बुढ़िया के बाल. इसका नाम लेते ही बचपन की यादे ताजा हो जाती हैं. गुलाबी रंग की मखमली कैंडी जो मुंह में जाते हैं घुल जाती है. हम सभी बचपन में अपने गली-मुहल्ले में इसे बेचते हुए देख कर भागे चले जाते थे. गुलाबी चमकीली रूई के जैसी दिखने वाली डिश का नाम लेते ही आज भी मुंह में मिठास घुल जाती है. पहले तो मेलों में ये कॉटन कैंडी (Cotton Candy) खासा बच्चों का आकर्षण का केंद्र होती थी. लेकिन आज भी इसकी लोकप्रियता घटी नहीं बल्कि, इतनी हो गई है कि ये शादी व बर्थडे पार्टियों के स्टॉल्स में भी अपनी जगह बना चुकी है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि जिसे हम बचपन से खाते आ रहे हैं और इतना पसंद करते हैं असल में वो आई कहां से है. 

कहां और कब बनी चर्चा का विषय- Wherr And Who Invented Cotton Candy:

अमेरिका में विलियम्स जेम्स मॉरिसन (Williams James Morrison) नाम के दांतों के एक डॉक्टर (Dentist) ने, इस अनोखी चीज की खोज की. साल 1897 की बात है, जेम्स मॉरिसन ने एक हलवाई जॉन सी व्हाटर्न (John C Wharton) के साथ मिलकर एक मशीन बनाई, जो गर्म चीनी को घुमाते हुए कॉटन कैंडी बनाती थी. उस जमाने में ये अपने आप में एक अनूठा अविष्कार था. लेकिन तब इसे पहचान नहीं मिली. करीब 7 साल बाद 1907 में विलियम्स जेम्स मॉरिस ने सेंट लुइस वर्ल्ड फेयर में अपने इस नए प्रोडक्ट को पहली बार लोगों के सामने रखा. धीरे-धीरे ये मशीन लोगों के बीच काफी फेमस हो गई. तब अमेरिका में इसे ‘फेयरी फ्लॉस' (fairy floss) का नाम दिया गया था. और धीरे-धीरे ये पूरी दुनिया में पॉपुलर हो गई. 

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इसके बाद साल 1921 में और डेंटिस्ट जोसेफ लास्कॉक्स (Josef Lascaux) ने एक और कॉटन कैंडी की मशीन बनाने का दावा किया. कहतें कि लॉस्कॉक्स को ही इस रूई जैसी दिखने वाली चीज का नाम ‘कॉटन कैंडी'  (Cotton Candy) रखने का श्रेय जाता है. और समय के साथ जैसे हर चीज में बदलाव होता है वैसे ही इसमें भी हुआ. आज कॉटन कैंडी की मशीन ऑटोमैटिक हो गई है. इतना ही नहीं इसकी पॉपुलैरिटी की वजह से इसके कई कलर और फ्लेवर भी आपको देखने को मिल जाएंगे. 

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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