Navratri 2024 9th Day : शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व जब अपने अंतिम चरण में होता है यानी कि दशहरा से एक दिन पहले तो माता के नौवें स्वरूप की आराधना की जाती है. देवीपुराण के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही सिद्धियों की प्राप्ति की थी. साथ ही मां के इसी स्वरूप से ही भगवान शिव को आधा शरीर देवी का प्राप्त हुआ था जिसे अर्द्धनारीश्वर कहा जाता है. माना जाता है कि, जो भी व्यक्ति सच्चे मन और पूरी श्रद्धा से माता के इस स्वरूप की पूजा करता है तो उसे सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है. साथ ही उसके सभी बिगड़े हुए काम बन जाते हैं और धन की कमी भी नहीं रहती. आइए जानते हैं मां के इस स्वरूप से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें.
नवमी तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार नवमी तिथि की शुरुआत 11 अक्टूबर दिन शुक्रवार को 12:06 पी एम से होगी जिसका समापन 12 अक्टूबर को दिन शनिवार 10:58 ए एम पर होगा.
इन नामों से भी जाना जाता है
मां सिद्धिदात्री को और भी कई सारे नामों से जाना जाता है. इनमें अणिमा, महिमा, ईशित्व, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य,वाशित्व, परकायप्रवेशन, वाक्सिद्धि, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व, दूरश्रवण, कल्पवृक्षत्व, सृष्टि, संहारकरणसामर्थ्य, अमरत्व, सर्वन्यायकत्व, भावना और सिद्धि शामिल हैं.
कैसा है माता का स्वरूप
मां सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर विराजमान हैं और इनका वाहन भी सिंह ही है. उनकी चार भुजाएं हैं. माता के दाहिनी ओर के नीचे वाले हाथ में चक्र है वहीं ऊपर वाले हाथ में गदा है. जबकि बाईं ओर के नीचे वाले हाथ में कमल का फूल और ऊपर वाले हाथ में शंख है. जैसा कि माता के नाम से ही पता चलता है कि वे सिद्धियां प्रदान करने वाली हैं. उनके पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व यह 8 सिद्धियां हैं.
इस विधि से करें पूजा
माता की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें और फिर उसके आसपास गंगाजल का छिड़काव करें. इसके बाद माता को फूल, अक्षत, कुमकुम आदि आर्पित करें. माता को भोग लगाएं और घी का दीप जलाएं. इस दिन जातक को हवन अवश्य करना चाहिए और सभी देवी देवताओं के नाम की आहुति देना चाहिए. विधिवत पूजा के दौरान मंत्रों का जाप भी करें और आखिर में मां की आरती करें और माता के जयकारे लगाएं.
भोग में क्या करें अर्पित?
मां दुर्गा का नौवां स्वरूप मां सिद्धिदात्री है. नवे दिन की पूजा में माता सिद्धिदात्री को पुरी, चने और हलवे का भोग लगाया जाता है और यह भोग कन्याओं को भी दिया जाता है. इस दिन कन्या पूजन किया जाता है, इसे करने से ही मां के नौ दिनों की पूजा पूरी होती है.
मां सिद्धिदात्री का पूजा मंत्र
ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)