हर माह में दो बार प्रदोष का व्रत (Pradosh vrat) पड़ता है. इस व्रत में भगवान शिव की विधि विधान से पूजा का महत्व है. माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है. महिलाएं संतान सुख और संतान की खुशहाली के लिए इस व्रत को करती हैं. आइए जानते हैं सितंबर में कब रखा जाएगा प्रदोष का व्रत (Vrat in September) पूजा की विधि (Puja Vidhi of Pradosh vrat) और भगवान शंकर को किस चीज का लगाएं भोग.
प्रदोष व्रत की तिथि और पूजा विधि- (Pradosh vrat tithi and puja vidhi)
सितंबर माह में प्रदोष का पहला व्रत 12 सितंबर को और दूसरा व्रत 27 सितंबर को रखा जाएगा. माना जाता है कि प्रदोष व्रत में विधि विधान से भगवान शंकर की पूजा करने से जातक को बहुत ही शुभ फलों की प्राप्ति होती है. प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद श्वेत वस्त्र धारण कर सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें. इसके बाद पूजा की चौकी पर श्वेत वस्त्र बिछाकर भगवान शंकर, माता पार्वती का चित्र स्थापित करें. पूजा में फल, फूल, भांग, धतुरा, कुमकुम, चावल, अबीर, गुलाल, दिया और अगरबत्ती का उपयोग करें. पूजा के दौरान शिव चालीसा या शिव स्त्रोत का पाठ करें. पूजा के बाद अपनी सफलता और कार्य सिद्धि के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करें. दिन भर व्रत रख कर शाम में आरती के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है.
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घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू के भोग की रेसिपी
प्रदोष व्रत में भगवान शंकर को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगा सकते हैं. इसे तैयार करने के लिए दो कटोरी सत्तू में एक कटोरी पिसी हुई शक्कर और आधी कटोरी घी को गर्म करके मिलाएं. अच्छी तरह से मिल जाने पर उसे लड्डू का आकार दें. घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग तैयार है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)